मन्दिर में दलित की बेटी / सुधाकर राजेन्द्र
सिनन रविदास की बेटी सिबरती शिव पूजा के लिए मंदिर में प्रवेश की तो सवर्णों ने गाँव में बबाल
मचा दिया। शिवमंदिर को गंगा जल से धुललवाया कर पवित्र किया गया। इस अपराध के लिए
उसके बाप पर पाँच सौ रूपया जुर्माना लगाया गया।
सवर्णों द्वारा लगाये गये इस जुर्माना से सिबरती बिचलीत नहीं हुई पर पिता सिनन दास बड़े परेशान थे। सिबरती ने पिता से कहा बाबूजी आप परेशान मत होईये। शिव मंदिर में पूजन का अधिकार दलितों को भी है। इस समस्या का समाधन शिव चर्चा में शिवगुरू भक्तों के बीच निकाला जायेगा।
नहीं बेटी सवर्ण दबंग हैं और हम हैं दलित । वे हमें गाँव में नहीं रहने देगें । जुर्माना देकर माफी मांग लेने में ही भला है। हमारे बाप दादा उनके नियमों का पालन करते आये हैं। शिव मंदिर में प्रवेश कर तुम मेरा जान आपफत में डाल चुकी हो। मेहनत मजदूरी करके यह जुर्माना भर देना ही उचित है।
हमने कोई अपराध् नहीं किया है। हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पायेगें सवर्ण । ज्यादा दबंगता दिखलायेगें तो उनके खिलापफ कानून का सहारा लेगें । जुर्माना लगाकर मंदिर को गंगाजल से धोकर सवर्णों ने दलितो का अपमान और अपराध किया है।
नहीं बेटी तुम नहीं जानती हमारे पूरखन उनके आदेश को सिर चढ़ाते रहे हैं। उनके नियम निषेध
का पालन दलितों के लिए जरूरी है। सवर्णों के कुआँ का जल, मंदिर में प्रवेश, उनके घर दूरा-दालान में प्रवेश वर्जित है। वे हमें अछूत मानते हैं इसलिए उन्हें छूना भी मना है। इन नियमों का पालन हमारे बाप दादा करते आये हैं।
आये होगें, पर अब समय बदला है। यह प्रतिबंध् अब नहीं चलेगा, कोई भी धम या कानून इस विभेद को मान्यता नहीं देता। छूआछूत, उच्च-नीच, दलित-सवर्ण ये सब दबंगों, सवर्णों और धर्मान्धों द्वारा बनाया गया पाखंड है जिसे हमें दूर करना है।
उधर जुर्माना जमा करने के लिए दबंग सवर्णों का दबाव बढ़ता ही जा रहा था। लाला सिंह ने सिनन दास को बुलकार डाँटा-जुर्माना जमा करना है या गाँव खाली करना है। सिनन सब सुनता रहा पर कोई जबाव नहीं दे सका। इस बार दबंगों ने उसे गाय-गोरू, खेत-वधर में चराने और शौच आदि करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया।
सिनन घर आकर पूरी बातें बेटा रामप्यारे दास के अलावे सजातियों को बताया। जवान बेटा रामप्यारे ने भी सवर्ण दबंगों के इस प्रतिबंध का तीखा विरोध किया वह बामपंथी पार्टी का सक्रिय कार्यकर्त्ता था। उसने इस जुर्म को पार्टी में उठाने की बात कहकर पिता को बल दिया।
अब पूरा गाँव दलित औरर सवर्ण के खेमों में बँट गया। दलित दबंगों को जुर्माना देने के लिए तैयार नहीं थे। दबंग उसे बलपूर्वक लेना चाह रहे थे । बात बामपंथी खेमा और थाना पुलिस तक पहुँच गयी। मामला बिगड़ते देखकर सवर्णों में सेना निवृत शिक्षक कमेशरी मास्टर ने सुलझाने का पहल किया। मास्टर साहब ने सवर्णों में मनबढ़ूआ को डांटा-आग मत लगाओ गाँव मे, पूरा गाँव बर्वाद हो जायेगा । गाँव उजाड़ना आसान है बसाना मुश्किल। बदलते जमाने के साथ बदलो, दलितों पर दबंगता दिखलाना बंद करो उनके भी अधिकार हैं अब वे भी अपने अधिकार के प्रति सजग हैं। यह जुर्माना और पाबंदी वापस लो नहीं तो पूरा गाँव जल जायेगा। कमेशरी मास्टर की बात सवर्णों की जेहन में लगी, सब ने उनकी बातें मान ली।
कमेशरी मास्टर आज गाँव की गलियों में टहलते हुए सिनन दास के घर शिष्य रामप्यारे का हालचाल लेने उसके घर पहुँचे। दलित टोले में मास्टर साहब को देखकर दलितों को आर्श्चय हुआ। सिबरती ने आदर के साथ उन्हें बैठने के लिए खाट बिछाया। कमेशरी मास्टर ने बैठते हुए। सिबरती, सिनन और रामप्यारे को समझाया-देखो बाबू तुमलोगों का कोई अपराध नहीं है। दबंग सवर्णों द्वारा लगाया गया जुर्माना और प्रतिबंध बिल्कुल गलत है। मंदिर में पूजा करना कोई अपराध नहीं, तुम्हारा अधिकार है।
हाँ सर, आप तो स्कूल में ये सब पढ़ा चूके हैं पर अपने गाँव में ऐसा है नहीं । आज भी दलितों का मंदिर में प्रवेश वर्जित है, छूआछूत जैसी पाबंदियाँ बरकरार है।
नहीं ऐसा नहीं होगा रामप्यारे । हमारे रहते कोई दबंग या सवर्णें दलितों पर कोई अत्याचार, शोषण दमन या जुर्म नहीं करेगा। हमलोग पूरे गाँव के लोग मिलजुल कर रहेगें। हम तुम्हारे हक और अधिकार की रक्षा करेगें पार्टी वालों को ये सब समझा दो कि गाँव के सबलोग मिलजुल गये। अब किसी पर कोई पाबंदी, प्रतिबंध् या जुर्माना नहीं है। मंदिर, कुँआ, तालाब, बधार पर सब का अधिकार है। छूआछूत, उँच नीच का बखेड़ा नहीं है हमारे गाँव में।
कमेशरी मास्टर की बातों से सिबरती और रामप्यारे के अलावे पूरे दलित टोला के लोग प्रसन्न थे। सिबरती ने अपने हाथों से चाय बनाकर कमेशरी मास्टर को पिलाकर छुआछुत के बंध्न का अंत किया । अब सिबरती शिव मंदिर में पूजा करने नित्य जाती है।
एक दलित की बेटी ने सवर्णं दबंगों को बदल जाने के लिए विवश और मजबूर कर दिया । आज समाज को आवश्यकता है सिबरती जैसी बेटियों की।