मन विचित्र बुद्धि चरित्र— मास्टर पीस / रश्मि विभा त्रिपाठी
संवेदनशील कथाकार डॉ. सुषमा गुप्ता का कहानी- संग्रह ‘मन विचित्र बुद्धि चरित्र’ पढ़ा। आवरण- चित्र का बल्ब डॉ. सुषमा गुप्ता के अमूर्त्त चिंतन का प्रकाश है जिसमें मानव मनोविज्ञान को बड़ी बारीकी से पढ़कर यह जाना जा सकता है कि विचित्रता से घिरे मन और बुद्धि के निर्णय से बना चरित्र या तो समाज के लिए एक आदर्श बनता है या फिर एक कलंक।
डॉ. सुषमा गुप्ता की हर कहानी वह सागर है, जिसमें गहरे डूबकर नायाब और बेशक़ीमती मोती मिलते हैं। अंकशास्त्र के अनुसार 11 नम्बर मास्टर नम्बर है। व्यारह कहानियों से सजा संग्रह ‘मन विचित्र बुद्धि चरित्र’ मास्टर पीस है, जिसमें मन, बुद्धि का मूर्तरूप दिखता है।
‘मरीचिका की गंध’ स्त्री को लेकर भ्रम में जी रहे एक युवक की कहानी है।
“मैं उसके जिस्म की हर एक गली से गुज़रा था।... पर मैं उसकी आत्मा के हर मोड़ पर ठिठकता रहा।”— प्रमुख पात्र न बरसों पहले गई लड़की की आत्मा तक पहुँच सका और न अपनी मौजूदा प्रेमिका के लिए अपनी आत्मा के तहखानों का दरवाजा खोल पाता है; क्योंकि— “इतनी नाजुक काँच- सी माया कहाँ उतर पाएगी, उन घिनौने बदबूदार तहखानों में।”
तहखाने ‘ताजे गोश्त की हवस में’ बदबूदार हो चुके हैं। इसीलिए अपनी प्रेमिका के आने से पहले वह सबकुछ समेट लेना चाहता है— “मैं नहीं चाहता कि माया... उन काग़ज़ों को देखे जिन पर मेरी आत्मा के लहू के धब्बे चिपके हुए थे। अगर उनमें से एक भी लफ़्ज़ माया की आँखों से गुज़र गया, तो मैं उसके सामने बिलकुल ऐसा हो जाऊँगा जैसे निर्वस्त्र।
कहानी ‘मंत्रविद्ध’ में सपनों और यथार्थ के बीच मानसिक और भावनात्मक प्रवाह में बहता हुआ एक पात्र है। स्वप्न में वह देखता है कि ट्रेन छूटने के बाद एक लड़की मदद के लिहाज से उसे अपने घर ले जाती है। उसकी डायरी उसके हाथ लगती है। डायरी में— “ख़ुद को भूलने के बाद मैंने अपना एक परिचय बनाया, उस परिचय में जितने विशेषण थे, वह सब परिष्कृत समाज के बाज़ार में इतने महँगे थे कि उनकी क़ीमत कहीं खून देकर चुकाई तो कहीं योनि” वह परिष्कृत समाज का चेहरा देखता है और सोचता है कि कहीं वह देह व्यापार से तो नहीं जुड़ी; मगर फिर भी उसकी ओर खिंचता चला जाता है। यह अवचेतन मन की शक्ति है, जो उसे अपनी ओर खींचती है। जीवन के अनुभव और घटनाएँ इसी अवचेतन मन की शक्ति का परिणाम हैं, जिन्हें चेतन मन भोगता है। कहानी सिगमंड फ्रायड के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत, स्वप्न सिद्धांत और जॉन एलन हॉब्सन व रॉबर्ट मैककार्ले के सक्रियण संश्लेषण सिद्धांत के अतिरिक्त भावनात्मक जुड़ाव की भी बानगी है। भावनाएँ कभी किसी से इस तरह जुड़ जाती हैं कि हम अपने आसपास उसकी उपस्थिति महसूस करते हैं।
‘ख़्वाब की छाल में यथार्थ की कील’ कहानी दिखाती है कि कैसे सत्ताधारी गिद्ध किसी की बुद्धि को लील जाते हैं— “छोड़ना नहीं है साली को। यह साले पैसे वाले, हम ग़रीबों को कीड़ा- मकौड़ा समझते हैं। हमारा हक़ मारते हैं। हमारी बहू- बेटियों को अपना माल समझते हैं और इनकी लड़कियाँ परियाँ हैं! हमें खाने को रोटी नहीं और ये लोग हज़ारों का खाना नालियों में बहाते हैं! पकड़ साली के पैर। आज तो तबीयत से इसकी दुर्गत बनाऊँगा।”
और कैसे किसी को औजार बनाते हैं अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए।कहानी संदेश देती है कि जब तक समाज में धार्मिक भेदभाव की दीवारें खड़ी करने वाले स्वार्थपरक असंवेदनशील लोग हैं, शांति और मानवता तब तक कायम नहीं हो सकती।
कहानी ‘मिस्टिक स्टे’ एक गम्भीर मुद्दे को उठाती है। सुनसान गलियों से होकर एक जोड़ा हवेली में पहुँचता है। वहाँ पता चलता है कि वह एक होटल है। हवेली देखकर वह वहीं ठहरने का निश्चय करते हैं; हालाँकि होटल रहस्यमय है और किसी भी वेबसाइट पर सूचीबद्ध नहीं है। कहानी सोचने पर मजबूर करती है कि आज के युग में किस तरह हमारी निजता का हनन हो रहा है। ऐसे में हम अपनी सुरक्षा को लेकर कितने सतर्क हैं?
‘ग्रेवडिगर’ कहानी में वास्तविक प्रेम और धोखे का चित्रण है। कहानी में एक ज़हीन ग्रेवडिगर लड़कियों की क़ब्र खोदता है और जब कोई लड़की मरने लगती, तो उसे कब्र से खींचकर बाहर निकाल लेता और जब जिन्दा होने लगती, तो उस पर कब्र की मिट्टी डाल देता है। प्रेम के नाम पर लड़कियों के जीवन को बर्बाद करने का यह तरीका है कि लड़की न जी सके और न मर सके। प्रेम के नाम पर शारीरिक मानसिक शोषण, धोखा करने वाला ग्रेवडिगर ही है।
“इश्क़ से जानलेवा दुनिया में और क्या है भला!”
लड़की द्वारा लड़के की अनदेखी करने पर लड़के के अहंकार को चोट लगती है। अपने अहंकार को बचाने के लिए वह दोस्ती का हाथ बढ़ाता है और फिर चोट खाया आदमी क्या कर सकता है, यह बताने की जरूरत नहीं।
मृत्यु का रूप केवल शारीरिक नहीं, व्यक्ति मानसिक और भावनात्मक रूप से भी मरता है— “एहसास, संवेदनाएँ, उम्मीदें, प्रेम के भ्रम- सब मरते हैं, पर सब आहिस्ता आहिस्ता।” कहानी सवाल उठाती है कि क्या वास्तव में शारीरिक मृत्यु ही मुक्ति है?
कहानी ‘भद्दी हँसी’ ऑब्सेशन पर आधारित है कि कैसे ऑब्सेशन यानी जुनून जिसमें व्यक्ति का ध्यान लगातार किसी पर रहता है, वह लगातार उसके बारे में सोचता है, जब इंसान पर हावी होने लगता है, तो न केवल उसे बल्कि उसके निजी रिश्तों को भी प्रभावित करता है।
गुब्बारे बेचने वाली दो लड़कियों में से एक पर रोशन लगातार ध्यान देने लगता है, उसकी मदद करने की सोचता है, जबकि वह जानता है कि वह समाज सुधारक नहीं है, रोशनी से वह प्रेम करता है; लेकिन उस लड़की की ओर जाने क्यों भागता है। ऑब्सेशन भयानक अफ़ीम है।
लड़की की भद्दी हँसी में सामाजिक असमानता, समाज- सेवा, गरीबी और शिक्षा पर एक व्यंग्य है। ‘दिन के ख़्वाब सुनाएँ किसको!’ प्रेम का अर्थ, परिभाषा, प्रेम के बदलते स्वरूप, प्रेम सम्बन्धों के उतार-चढ़ाव और अलगाव की कहानी है।
नायिका अलगाव को अच्छा मानती है— “जो तुम्हारे लिए ईमानदार न हो सका, उसे रोककर क्या करोगे? जिसके साथ तुम ईमानदार न रह सके, उसे रुकने देकर क्या करोगे? तो रुख़्सती अच्छी शै है।”
अलगाव वाकई अच्छा ही है अगर साथी में रिश्ते के प्रति सच्ची निष्ठा नहीं।
दूसरों के दुख को अपना समझने वाली ‘उठान हाड़ की लड़की’ की संवेदनशील पात्र शम्पा साबित करती है कि आज के युग में संवेदना का मूल्य समझने वाला शायद विरला ही होगा। उठान हाड़ की लड़की की आत्महत्या से वह दुखी है, जबकि उसके पति को लगता है कि उसे साइकेट्रिस्ट की जरूरत है। कहानी समाज की काली सच्चाई दिखाती है जहाँ पैसों के लिए डोनर प्रक्रिया की आड़ में महिलाओं की देह से खिलवाड़ हो रहा है।
‘टंच’ सुस्पष्ट स्वप्न (ल्यूसिड ड्रीमिंग) के अनुभव से गुजर रहे एक युवक की एक रोचक कहानी है। ‘मूक चीखें’ समाज का काला सच बताती है कि किस प्रकार एक दसवीं कक्षा के बच्चे को कुछ बिगड़ैल लड़कों ने न सिर्फ शारीरिक, मानसिक रूप से प्रताड़ित किया; बल्कि उसपर यौन हिंसा की। बच्चे ने गहरे अवसाद में आकर आत्महत्या कर ली। विकृत मानसिकता के लड़कों के इस घिनौने कृत्य में उनके माता- पिता और स्कूल प्रबंधन दोनों जिम्मेदार हैं।
‘मनारा’ देशभक्ति, प्रेम और मानवता की एक बेमिसाल कहानी है। कहानी का नायक निश्कान बर्लिन के हीरोज डैन जाता है, जहाँ दूसरे विश्व युद्ध में शहीद हुए शहीदों की खून से सनी वर्दी, उनके लिखे ख़त, उनका हर सामान अमानत के तौर पर सहेजा गया है। वहाँ उसे एक बटुआ मिला, जिसपर लियो लिखा था। बटुए में लियो की प्रेमिका मनारा के नाम एक खत था। जाने किस भाव से उसने लियो का बटुआ लिया और मनारा की तलाश में निकल पड़ा, लियो का खत लौटाने के लिए।
मनारा का अर्थ रोशनी है और वाकई शाश्वत प्रेम की अखण्ड ज्योति है मनारा और मानवता की मिसाल है लियो जो जंग के हालात में मनारा की रक्षा कर संदेश देता है कि दुनिया की कोई जंग मानवता और प्रेम को कभी नहीं मार सकती और निस्वार्थ निश्कान, जो लियो का खत लेकर मनारा की तलाश में भटकता है उसके जुनून की लौ में पाठक का मन पिघल जाता है।
संग्रह की हर कहानी के संवाद, भाव, विचार एक दृश्य की तरह पाठक की आँखों के सामने से गुजरते हैं। भाषा में एक लय है, जिसमें पात्रों की भावनाओं की गूँज सुनाई देती है। ‘मन विचित्र बुद्धि चरित्र’ कहानी- संग्रह साहित्य जगत में अपना एक अलग और विशिष्ट स्थान बनाएगा।
मन विचित्र बुद्धि चरित्र (कहानी-संग्रह): डॉ. सुषमा गुप्ता, पृष्ठ: 208, मूल्य: 209 , संस्करण: 2025, प्रकाशक: हिंद युग्म, सी- 31, सेक्टर- 20, नोएडा (उ.प्र.)- 201301, आवरण- चित्र: प्रियम गुप्ता
-0-