मरम्मत के लिए रास्ता बंद है / जयप्रकाश चौकसे

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मरम्मत के लिए रास्ता बंद है
प्रकाशन तिथि :18 जुलाई 2017


भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और सितारा अनुष्का शर्मा न्यूयॉर्क में छुटि्टयां मना रहे हैं। उनकी अंतरंगता जगजाहिर है अौर उन्होंने कभी कुछ छिपाया नहीं। दोनों अपने कार्यक्षेत्र में अपने काम की गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं। भारतीय कस्बों में दो अलग जातियों से आने वाले प्रेमियों को कत्ल कर दिया जाता है और इस घिनौने काम को 'ऑनर किलिंग' कहा जाता है। यह श्रेष्ठि वर्ग पर लागू नहीं होता। हमारे यहां तो हर क्षेत्र में दोहरे मानदंड हैं और इस पर राज कपूर ने महान फिल्म 'प्रेम रोग' बनाई थी। सफल सितारों के संसार में कोई ऑनर किलिंग नहीं होती। अत: इस पंजाबी मुंडे की बामन कन्या से प्रेम-कथा का कोई विरोध नहीं करेगा।

एक दौर में विराट कोहली कम रन बना रहे थे तब गैर-जवाबदार पत्रकारों ने इसका दोष बेचारी अनुष्का शर्मा पर लगा दिया था। हर क्रिकेट खिलाड़ी के जीवन में एक समय ऐसा भी होता है कि वह आशा के अनुरूप सफल नहीं होता। सफलता कोई राजमार्ग नहीं है। इसकी आकी-बाकी पगडंडियों में भटकना मुमकिन है और बहकने का डर हमेशा होता है। विराट जैसे स्तर के खिलाड़ी में यह बात चिंता का विषय है कि ऑफ स्टम्प के बाहर जाती गेंद से छेड़छाड़ उन्हें महंगी पड़ रही है। हर बल्लेबाज के लिए इस तरह की गेंद एक चुनौती होती है। आम आदमी अपने सामान्य जीवन में आजकल रनआउट हो रहा है। जी हुजूरी करने वाले अम्पायर हों तो खेलना कठिन हो जाता है। आम आदमी सदियों से अन्याय आधारित व्यवस्था में जीने का अभ्यस्त है। वह हर हाल में टिके रहने वाला व्यक्ति है। उसका तो प्रेरक गीत है, 'देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।

बहरहाल, विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ऑटोग्राफ लेने वालों से मुक्त होकर छुटि्टयां मना रहे हैं। इस तरह की छुटि्टयां शरीर में नई ऊर्जा भर देती हैं। छुटि्टयों में किए गए सैर-सपाटे से कुछ लोग थक भी जाते हैं। थकान मनोवैज्ञानिक है। मनपसंद काम करते हुए कोई थकावट नहीं होती। प्राय: पालक अपनी संतान को उसकी पसंद का काम नहीं करने देते। जब कोई छात्र किसी विषय में फेल होता है तब दरअसल उसका शिक्षक असफल होता है, जिसने अपने विषय को यथेष्ट रोचक एवं मनोरंजक नहीं बनाया।

खिलाड़ियों के कुछ अंधविश्वास भी होते हैं। जिन कपड़ों को पहनकर शतक मारा था, उन्हें ही वे साफ-सुथरा रखकर पहनते हैं। वस्त्रों या वस्तुओं का लकी या अनलकी होना बहुत भ्रामक है। एक उपन्यास है, जिसमें एक लड़की की मौजूदगी को 'लकी' माना जाता है। इसके फिल्म अधिकार बिक चुके हैं। क्रिकेट का खेल उन्हीं देशों में लोकप्रिय हुआ जो कभी हुकूमते बरतानियां के अधीन थे। सुना है कि चीन में भी इस खेल की ओर ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि इसमें अब बहुत धन आ चुका है। अर्थशास्त्र हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण होता है। विगत दशकों में वेस्टइंडीज के युवा धन के कारण अमेरिका में बेसबॉल के प्रति आकृष्ट हुए हैं। ज्ञातव्य है कि वेस्टइंडीज कोई देश नहीं है परंतु बहुत से टापुओं के खिलाड़ी मिलकर उसकी टीम बनाते हैं। सभी टापुओं के संविधान अलग-अलग हैं परंतु क्रिकेट उन्हें एकजुट करता है। वेस्टइंडीज सहित सभी टीमों की तुलना में वर्तमान में भारत के खिलाड़ियों को बहुत धन मिलता है।

पॉली उमरीगर के जमाने में वस्त्र की धुलाई का भत्ता मात्र मिलता था और चार दिन में टेस्ट समाप्त होने पर पांचवें दिन का भत्ता नहीं मिलता था। इस समय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अत्यंत धनाढ्य संस्था है। उन्हें अपनी विराट आय का कुछ हिस्सा अन्य खेलों के विकास पर भी लगाना चाहिए। अब वक्त आ गया है, जब विराट जैसा धनाढ्य खिलाड़ी किसी कबड्‌डी टीम को गोद ले ले। अनुष्का शर्मा को आदित्य चोपड़ा ने पहला अवसर दिया था। उन्होंने 'एनएच टेन' नामक एक उत्तम फिल्म का निर्माण किया परंतु उनकी 'फिल्लौरी' सफल नहीं हुई। वे समय निकालकर अपनी भावी फिल्म के लिए पटकथाएं पढ़ रही हैं। प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण भी फिल्म निर्माण में रुचि रखती हैं। दीपिका पादुकोण के पिता बैडमिंटन के प्रसिद्ध खिलाड़ी रहे हैं और वे अपना बायोपिक भी बना सकती हैं। एमएस धोनी बायोपिक को आंशिक सफलता मिली थी। भारत में क्रिकेट और फिल्म दोनों ही नशे हैं अत: अत्यंत सफल फिल्म की संभावना तो है ही। फिल्म 'लव मैरिज' में देआनंद एक क्रिकेट खिलाड़ी की भूमिका कर चुके हैं।

एक जमाने में दिलीप कुमार, देवआनंद और राज कपूर किसी सामाजिक कार्य के लिए धन एकत्रित करने के लिए सितारों का क्रिकेट मैच आयोजित करते थे। इस तरह के मैच में सुंदर नायिका द्वारा फेंकी गेंद पर बल्लेबाज लेग बिफोर विकेट आउट हो जाते थे। अन्य संदर्भ में वैजयंतीमाला, दिलीप व राज कपूर दोनों को आउट कर चुकी हैं। इन दोनों खिलंदड़ सितारों की रुचियां नरगिस व वैजयंतीमाला में रही हैं और दिलीप कुमार के पाले से उन्हें राज कपूर ने अपने पाले में शामिल कर लिया था। राज कपूर रहे नहीं और दिलीप अपनी याददाश्त खो चुके हैं। इस तरह की अपुष्ट खबरें कई दिनों से चल रही है।भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और सितारा अनुष्का शर्मा न्यूयॉर्क में छुटि्टयां मना रहे हैं। उनकी अंतरंगता जगजाहिर है अौर उन्होंने कभी कुछ छिपाया नहीं। दोनों अपने कार्यक्षेत्र में अपने काम की गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं। भारतीय कस्बों में दो अलग जातियों से आने वाले प्रेमियों को कत्ल कर दिया जाता है और इस घिनौने काम को 'ऑनर किलिंग' कहा जाता है। यह श्रेष्ठि वर्ग पर लागू नहीं होता। हमारे यहां तो हर क्षेत्र में दोहरे मानदंड हैं और इस पर राज कपूर ने महान फिल्म 'प्रेम रोग' बनाई थी। सफल सितारों के संसार में कोई ऑनर किलिंग नहीं होती। अत: इस पंजाबी मुंडे की बामन कन्या से प्रेम-कथा का कोई विरोध नहीं करेगा।

एक दौर में विराट कोहली कम रन बना रहे थे तब गैर-जवाबदार पत्रकारों ने इसका दोष बेचारी अनुष्का शर्मा पर लगा दिया था। हर क्रिकेट खिलाड़ी के जीवन में एक समय ऐसा भी होता है कि वह आशा के अनुरूप सफल नहीं होता। सफलता कोई राजमार्ग नहीं है। इसकी आकी-बाकी पगडंडियों में भटकना मुमकिन है और बहकने का डर हमेशा होता है। विराट जैसे स्तर के खिलाड़ी में यह बात चिंता का विषय है कि ऑफ स्टम्प के बाहर जाती गेंद से छेड़छाड़ उन्हें महंगी पड़ रही है। हर बल्लेबाज के लिए इस तरह की गेंद एक चुनौती होती है। आम आदमी अपने सामान्य जीवन में आजकल रनआउट हो रहा है। जी हुजूरी करने वाले अम्पायर हों तो खेलना कठिन हो जाता है। आम आदमी सदियों से अन्याय आधारित व्यवस्था में जीने का अभ्यस्त है। वह हर हाल में टिके रहने वाला व्यक्ति है। उसका तो प्रेरक गीत है, 'देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है। बहरहाल, विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ऑटोग्राफ लेने वालों से मुक्त होकर छुटि्टयां मना रहे हैं। इस तरह की छुटि्टयां शरीर में नई ऊर्जा भर देती हैं। छुटि्टयों में किए गए सैर-सपाटे से कुछ लोग थक भी जाते हैं। थकान मनोवैज्ञानिक है। मनपसंद काम करते हुए कोई थकावट नहीं होती। प्राय: पालक अपनी संतान को उसकी पसंद का काम नहीं करने देते। जब कोई छात्र किसी विषय में फेल होता है तब दरअसल उसका शिक्षक असफल होता है, जिसने अपने विषय को यथेष्ट रोचक एवं मनोरंजक नहीं बनाया।

खिलाड़ियों के कुछ अंधविश्वास भी होते हैं। जिन कपड़ों को पहनकर शतक मारा था, उन्हें ही वे साफ-सुथरा रखकर पहनते हैं। वस्त्रों या वस्तुओं का लकी या अनलकी होना बहुत भ्रामक है। एक उपन्यास है, जिसमें एक लड़की की मौजूदगी को 'लकी' माना जाता है। इसके फिल्म अधिकार बिक चुके हैं। क्रिकेट का खेल उन्हीं देशों में लोकप्रिय हुआ जो कभी हुकूमते बरतानियां के अधीन थे। सुना है कि चीन में भी इस खेल की ओर ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि इसमें अब बहुत धन आ चुका है। अर्थशास्त्र हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण होता है। विगत दशकों में वेस्टइंडीज के युवा धन के कारण अमेरिका में बेसबॉल के प्रति आकृष्ट हुए हैं। ज्ञातव्य है कि वेस्टइंडीज कोई देश नहीं है परंतु बहुत से टापुओं के खिलाड़ी मिलकर उसकी टीम बनाते हैं। सभी टापुओं के संविधान अलग-अलग हैं परंतु क्रिकेट उन्हें एकजुट करता है। वेस्टइंडीज सहित सभी टीमों की तुलना में वर्तमान में भारत के खिलाड़ियों को बहुत धन मिलता है।