मरियम सी खूबसूरत माँ / सत्या शर्मा 'कीर्ति'

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"कल रात जो तुमने कहानी अधूरी छोड़ दी थी अब बताओ ना कि फिर उस राजकुमारी का क्या हुआ माँ?"

माँ के बेलन के नीचे गोल-गोल घूमती हुई रोटियों को देखते हुए नम्रता ने पूछा। "

"अच्छा वह राजकुमारी? अरे वह तो एक बहुत अमीर राजकुमारी थी। जब दिल करता अपने पैसे के बल पर दूर देश के किसी भी राजकुमार को लेकर चाँद-सितारों की दुनिया में घूमने निकल जाती थी और फिर कुछ दिनों बाद राजकुमार अपने देश लौट जाते।" माँ ने आँच तेज करते हुए कहा।

"माँ! राजकुमार लौट क्यों जाते थे? क्या वह पुराने हो जाते थे?" गर्म रोटी से आजाद होती भाप को देख कर नम्रता ने मासूमियत से पूछा।

"नहीं मेरी बच्ची! तिजोरी में भरे हीरे-जवाहरात की चमक के बाबजूद भी कुछ ही दिनों में शायद राजकुमारी पुरानी हो जाती थी।" तेज आँच में जल चुकी रोटी को देखते हुए माँ ने कहा।

"फिर आगे क्या हुआ माँ?" उत्सुकता से नम्रता ने पूछा।

"जैसे ही राजकुमारी की तिजोरी खाली हुई एक-एक करके सभी राजकुमार अपनी-अपनी दुनिया में व्यस्त हो गए।" माँ ने गहरी ठंडी आह भरते हुए कहा।

"तो क्या राजकुमारी अपने महल में अब अकेली रहती होगी?" उदास स्वर में नम्रता ने पूछा।

"नहीं, एक दिन एक राजकुमार उस राजकुमारी को एक नन्ही-सी परी देकर न जाने कहाँ गुम हो गया। तब से वह उसी परी के साथ रहती है, अपनी छोटी-सी दुनिया में।" पानी के छींटों से चूल्हे की आग बुझाते हुए माँ ने उत्तर दिया।

सारी रोटियाँ बन चुकी थी पर थाली में जो खाने को स्वाद दे वैसी सब्जी की जगह आज भी खाली देख कर उदास हो नम्रता ने पूछा "माँ राजकुमारी अकेले क्यों रहती है किसी राजकुमार के साथ क्यों नहीं चली गयी?"

क्योंकि किसी भी राजकुमार को ऐसे चेहरे बाली राजकुमारी अच्छी नहीं लगी।

अपने चेहरे पर ईश्वर की गलतियों को आँचल से ठीक करने की कोशिश करती हुई माँ ने कहा।

"कोई बात नहीं माँ एक राजकुमारी बदसूरत हो सकती है पर एक माँ तो दुनिया में सबसे खूबसूरत होती है ना।" अपने छोटे-छोटे हांथों से रोटी के टुकड़े माँ के को खिला चहक उठी नम्रता।

सामने टँगी मरियम की तस्वीर ने भी जैसे हँसते हुए कहा सच ही तो है। माँ सबसे खूबसूरत होती है।