मर्लिन मुनरो: आत्म मुग्धा या अग्नि गर्भा? / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 25 सितम्बर 2014
न्यूयॉर्क के मैडिसन गार्डन नामक प्रसिद्ध स्थान पर हमारे प्रधानमंत्री हजारों अप्रवासी भारतीयों जिनमें अधिकांश गुजराती होंगे, के सामने प्रस्तुत होंगे जहां गीत संगीत का कार्यक्रम होगा गोयाकि भरपूर मनोरंजन के साथ उनका स्वागत आैर भाषण भी होगा। पहली बार अन्य देश के प्रधानमंत्री इस तरह मनोरंजन के लिए प्रसिद्ध स्थान पर प्रस्तुत होंगे। यह भव्य तमाशा संभवत: अमेरिका में बसे भारतीय लोगों द्वारा आयोजित है परंतु प्रधानमंत्री की स्वीकृति इसमें शामिल है। इस तरह के तमाशे उनकी प्रचार नीति का हिस्सा रहे हैं। इसी प्रसिद्ध स्थान पर माइकल जैक्सन भी कार्यक्रम दे चुके हैं आैर उनका 'मून-वॉक' भी यहां सराहा गया था।
आजकल हमारे नवोदित टाइगर श्रॉफ भी मून-वाक करते हैं आैर उन्हाेंने माइकल जैक्सन को आदरांजलि देने के लिए एक वीडियो भी बनाया है। मून-वॉक नृत्य की एक अदा के रूप में माइकल जैक्सन ने रचा था। ज्ञातव्य है कि चांद पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति के अभाव में मनुष्य हवा में तैरता सा लग सकता है आैर यह नृत्य उसी की प्रस्तुति है। इसी मैडिसन गार्डन पर 1961 में जॉन. एफ. कैनेडी का जन्म दिवस मनाया गया था जिसमें 'हैप्पी बर्थ डे' गाने के लिए सुपर सितारा मर्लिन मुनरो आई थी क्योंकि कैनेडी की बहन से पैट न्यू कोम्बो से केवल उसकी मित्रता थी वरन् वहीं उन दिनों उनकी एकमात्र विश्वस्त मित्र भी थी। उस उत्सव में जॉन. एफ. कैनेडी का भाई रॉबर्ट कैनेडी भी मौजूद था आैर इस तरह की अफवाह थी कि दोनों ही भाई मर्लिन से मन ही मन इश्क भी करते थे आैर इसी अफवाह के आधार पर यह भी कहा जाता है कि जिसे मर्लिन मुनरो की आत्महत्या कहा गया, वह उनकी हत्या थी जैसा कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में नींद की दवाओं के साथ 'जहर' का भी जिक्र है। उस रात मर्लिन मुनरो द्वारा किए गए या लिए गए फोन का रिकॉर्ड भी गायब कर दिया गया है क्योंकि इस रहस्यमय मृत्यु के पीछे शक्तिशाली लोगों का हाथ था।
बहरहाल मृत्यु के समय मर्लिन मुनरो मात्र छत्तीस वर्ष की थीं आैर लोकप्रियता के शिखर पर थीं। मृत्यु के कुछ दिन पूर्व ही उसने 'लाइफ' के संपादक को एक अंतरंग साक्षात्कार दिया था जिसका एक वाक्य था कि वे स्वयं को एक भव्य इमारत समझती है जिसकी नींव नहीं है, कोई ठोस आधार नहीं है आैर आज मैं वहीं नींव अर्थात आधार रचने का प्रयास कर रहीं हूं।
इस महान स्वीकारोक्ति में यह अर्थ भी निहित है कि लोकप्रियता हवा महल की तरह आधारहीन होती है। उन्हें स्वयं को 'सेक्स सिंबल' की तरह प्रचारित किए जाने का घोर दु:ख था। उसे 'अभिनयहीनता' के आरोप का भी क्षोभ था। उसने लॉ स्ट्रेसबर्ग के मार्ग दर्शन में अभिनय के लिए गहन अभ्यास भी किया था। मर्लिन मुनरो का जन्म एक जून 1926 को हुआ था आैर वह अपनी फिल्म संपादक मां ग्लेडीज मुनरो की अवैध संतान थीं। उस दौर के लोगों को विश्वास था कि मर्लिन के पिता फिल्मकार स्टेन्ले गिफोर्ड थे आैर ताउम्र वे मर्लिन के उनसे मिलने के प्रयास को विफल करते रहे।
मर्लिन की मां आैर नानी दोनों ही दिमागी मर्ज की शिकार अपनी वृद्धा अवस्था में हुई। कभी मर्लिन में भी सनकीपन देखा गया परंतु इसे एक ऐसी महिला का मूड मानना चाहिए जो निरंतर दुविधा में रहती है। लगभग अनाथों की तरह पाली गई मर्लिन शरीर की पैदाइशी मादकता पर गर्व तो करती थी परंतु स्वयं को अभिनय प्रतिभा के लिए जाने जाने के लिए ताउम्र बेकरार रही। मनोरंजन उद्योग में शरीर की मादकता एक टकसाल की तरह होती आैर मादक शरीर के साथ चेहरे पर मासूमियत हो तो कहर ढाती है। हमारी श्रीदेवी भी मादकता के साथ मासूमियत के लिए प्रसिद्ध रही हैं। जब मर्लिन मात्र सोलह की थी, बाइस वर्षीय जिम डगार्थी से विवाह कर बैठी आैर दो वर्ष बाद ही तलाक भी हो गया। मर्लिन मुनरो, जो अपने लड़कपन में नोर्मा जीन के नाम से जानी जाती थी, बारह वर्ष की अवस्था में जवान हो गई थी। उसका बचपन विदा भी नहीं हुआ था आैर जवानी ने जिस्म की दहलीज पर दस्तक दे दी थी। इस अनोखेपन के कारण उस पर जिसकी भी नजर पड़ी वह बुरी ही थी आैर इस अभागी को अपने सौंदर्य आैर मादकता के कारण सारी उम्र 'बुरी नजर' झेलनी पड़ी। इस तरह बदनीयत लोगों को इसकी कल्पना भी नहीं है कि इन लम्पट नजरों से किसी की आत्मा घायल हो सकती है आैर क्योंकि आत्मा में लहू नहीं होता, इस तरह के मनोवैज्ञानिक 'कत्लalt16 कभी अपराध की तरह दर्ज नहीं होते।
मर्लिन मुनरो अपनी मादकता की ताकत से परिचित थी आैर आईने में अपनी इस छवि से स्वयं उसे भी प्रेम हो गया था आैर यह प्रेम बढ़कर एक रोग भी हो जाता है। आत्म मुग्धा कभी-कभी यह भूल जाती है कि वह अग्नि-गर्भा भी हो सकती है। यह मर्लिन का दुर्भाग्य है कि उसके तीन बार गर्भपात भी हुए हैं। इस तरह के दुर्भाग्य आत्मा पर दाग की तरह लगते है आैर छाती धू-धू करके सारी उम्र जलती हैं परंतु इसका धुआं दिखाई नहीं पड़ता। स्टारडम के तनाव के कारण मर्लिन नींद की गोलियां लेने लगी। मर्लिन की तीसरी शादी बुद्धिजीवी आर्थर मिलर से हुई आैर उसे मर्लिन ब्रेन्डो के साथ एलिया कजान की अमर फिल्म 'ए स्ट्रीट कार नेम्ड डिजायर' में अभिनय का अवसर मिला। यह निर्यात का व्यंग्य है या पुरुष लम्पटता का षड्यंत्र कि बेचारी मर्लिन ताउम्र डिजायर ही रही जबकि वह कुछ आैर भी थी। "आैरत का बदन ही उसका वतन नहीं होता वह जमीन ही नहीं कुछ आैर भी है'।