मर कर भी कोई मरता नहीं / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 06 फरवरी 2022
खबर है कि मधुबाला की 96 वर्ष की बड़ी बहन को उनकी बहू ने घर से निकाल दिया और बिना पैसे टिकट देकर उन्हें भारत वापस भेज दिया। विगत दशकों से ये लोग न्यूजीलैंड में रह रहे थे। मधुबाला को सौंदर्य का मानदंड माना जाता रहा है। कुछ वर्ष पूर्व भारत में बनी फिल्म ‘हैप्पी भाग जाएगी’ में प्रस्तुत किया गया है कि परिवार की तीन पीढ़ियां मन ही मन मधुबाला से प्रेम करती थीं। वह कभी मधुबाला से मिले नहीं थे। मधुबाला से कई लोगों को एकतरफा प्रेम रहा परंतु मधुबाला केवल दिलीप कुमार को प्रेम करती थीं। मधुबाला के पिता अताउल्ला खान ने शादी के लिए यह शर्त रख दी थी कि दिलीप कुमार और मधुबाला केवल उन्हीं के द्वारा निर्मित फिल्मों में काम करें तो वह उनका विवाह करा देंगे। दिलीप कुमार अपने अभिनेता स्वरूप को निखारना चाहते थे, इसलिए उन्होंने यह शर्त नहीं मानी। मधुबाला की मृत्यु मशीनरी मरमर नामक बीमारी से हुई। जिसका इलाज उनकी मृत्यु के कुछ समय बाद ही संभव हो गया था। पृथ्वीराज कपूर की मृत्यु हॉजकिन लिंफोमा नामक बीमारी (कैंसर का एक रूप) से हुई जिसका इलाज भी कुछ माह पूर्व ही संभव हो गया था।
मधुबाला का जन्म हुआ दिल्ली में 14 फरवरी 1933 को हुआ और मृत्यु 23 फरवरी 1969 में मुंबई में हुई। अपने आखिरी वर्षों में वह ‘अरेबियन नाइट्स’ नामक बंगले में रहती थीं। उनका जीवन भी ‘अरेबियन नाइट्स’ की फंतासी की तरह रहा। उन्होंने बहुत नाम और धन कमाया परंतु प्राय: मुसीबत में रहीं। उन्हें बेबात हंसने का शौक था। मानो वह सारे व्यक्तिगत दुख का मखौल उड़ा रही हों। किशोर कुमार से उनका विवाह हुआ। मधुबाला ने अपने बंगले में एक प्रोजेक्टर लगा रखा था। वह प्राय: ‘मुग़ल-ए-आज़म’ की कुछ रीलें देखती थीं। किशोर कुमार ने उन्हें सलाह दी कि वे ‘चलती का नाम गाड़ी’ देखा करें जिससे उनका नैराश्य दूर होगा। लेकिन मधुबाला अपने ठहाकों के पीछे शायद अपने नैराश्य को छुपाती थीं। मधुबाला अपने सौंदर्य के जादू को जानती थीं और लोगों से इस तरह व्यवहार करतीं मानो केवल उन्हीं को चाहती हों। केदार शर्मा जैसा अनुभवी व्यक्ति भी उनके इस शौक से कुछ दिन भरमाये रहे।
कुछ वर्ष पूर्व ही ‘हैप्पी भाग जाएगी’ फिल्म जिसकी प्रस्तुत की गई है। जिसका एक पात्र कहता है उसके दादा और पिता भी मन ही मन मधुबाला को चाहते थे। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रेसिडेंट जुल्फिकार अली भी मधुबाला को इतना पसंद करते थे कि कई बार ‘मुग़ल-ए-आज़म’ के सेट पर आए। के. आसिफ ने उनकी मुलाकात मधुबाला से करानी चाही तो उन्होंने इंकार कर दिया कि बस मधुबाला को देखना ही ऊर्जा दे देता है। मधुबाला की बहन चंचल ने किशोर कुमार द्वारा बनाई गई फिल्मों में अभिनय किया था। चंचल ने राज कपूर की फिल्म ‘जिस देश में गंगा बहती है’ में चरित्र भूमिकाएं अभिनीत की हैं। अब मधुबाला की इस बहन को उसकी बहू ने घर से निकाल कर भारत भेजा है। क्या इस मेहमान का भारत में स्वागत होगा? इस कोरोना कालखंड में कुछ भी कठिन है। उन्हें कौन शरण देगा? अताउल्ला खान के मोहल्ले में आने-जाने वाले एक फकीर ने कहा था कि मधुबाला नाम-दाम कमाएगी परंतु अधिक समय तक जीवित नहीं रहेंगी। उसी मोहल्ले का एक युवा भी मधुबाला से प्रेम करता था। कालांतर में वह बड़ा अफसर बना। ताउम्र उसने मधुबाला की कब्र पर 23 फरवरी को फूल रखे। अताउल्ला खान को मुंबई की पहली यात्रा में काम नहीं मिला था। देविका रानी ने फिल्म ‘ज्वार भाटा’ के लिए युसूफ खान को दिलीप कुमार नाम दिया और मुमताज को मधुबाला के नाम से प्रस्तुत किया। गुरुदत्त की ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’ में मधुबाला को हल्की-फुल्की भूमिका में बहुत पसंद किया गया। दिलीप कुमार लंबे समय तक बीमार रहे और अपनी याददाश्त खो चुके थे। कहीं कोई मधुबाला का नाम भी फुसफुसाता तो वह जाग जाते थे। बिमल रॉय की ‘मधुमती’ जन्म जन्मांतर की प्रेम कथा थी। मधुबाला और दिलीप का जीवन भी उस काल्पनिक फिल्म से कुछ हद तक मिलता था।