महाभारत पर एनिमेशन थ्रीडी / जयप्रकाश चौकसे

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महाभारत पर एनिमेशन थ्रीडी
प्रकाशन तिथि : 23 नवम्बर 2013


चेकोस्लोवाकिया के इस समय स्टार पर एक महाभारत दिखाई जा रही है। केबल पर बलदेवराज चोपड़ा की पुरानी महाभारत प्राय: दिखाई जाती है। जयंतीलाल गढ़ा की एनिमेशन फिल्म 'महाभारत' 24 दिसंबर को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी। दरअसल, जयंतीलाल गढ़ा ने महाभारत पर बहुसितारा फिल्म की कल्पना को आधार बनाकर अपनी एनिमेशन फिल्म में भीष्म को अमिताभ बच्चन की छवि में प्रस्तुत किया है। इस पात्र के लिए आवाज भी अमिताभ बच्चन की है। इसी तरह द्रौपदी की भूमिका में विद्या बालन और अजय देवगन कर्ण हैं। यह एनिमेशन थ्रीडी में बनाया गया है।

दरअसल एक फिल्म के लिए इतने सितारों को अनुबंधित करना असंभव है। जयंतीलाल गढ़ा ने ध्वनि के स्तर पर इसे सर्वकालिक बहुसितारा फिल्म बना दिया है। इस तरह सिनेमा और छोटे परदे से अलग एक नए किस्म का मनोरंजन गढ़ा गया है। महाभारत पढ़ते समय अधिकांश लोग भीष्म में अमिताभ बच्चन देखते हैं। किताबों को पढ़ते समय पात्रों की छवि हर पाठक के मन में आती है और गढ़ा साहब ने अधिकतम की पसंद का साधारणीकरण करके एनिमेशन थ्रीडी में महाभारत रची है। इसकी सफलता से प्रेरित सितारा आकल्पन की एनीमेशन फिल्में बनने लगेंगी। मसलन यह एक सपना ही है कि किसी फिल्म में सलमान खान, शाहरुख खान और आमिर खान काम करें तथा रणबीर कपूर और दीपिका के साथ कटरीना कैफ भी हो। इन सभी कलाकारों की छवियों और आवाज को लेकर एनिमेशन फिल्म बनाई जा सकती है। क्योंकि यथार्थ में तो इन सितारों के अहंकार और व्यक्तिगत समीकरण ऐसे हैं कि वे कभी साथ नहीं आएंगे। गढ़ा साहब ने दर्शकों के कभी पूरा न हो सकने वाले सपनों को कम से कम ध्वनि के स्तर पर तो पूरा कर ही दिया है। आवश्यकता आविष्कार को जन्म देती है।

वेदव्यास का रचा महाभारत ऐसा ग्रंथ है कि उसको अनेक ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है। सारे पात्र धूसर हैं। कोई भी पात्र पूरी तरह सफेद या स्याह नहीं है। भारत में महाभारत पर सबसे अधिक किताबें लिखी गई हैं। यह काम बंगाली और मराठी भाषा में सबसे अधिक हुआ है। कहा जाता है कि जो महाभारत में नहीं लिखा है, वैसा कुछ कभी घटित भी नहीं होगा। वर्तमान में जीवन में जितनी भी समस्याएं हैं, सभी के निदान आपको महाभारत में मिल सकते हैं। श्याम बेनेगल महाभारत से प्रेरित कलयुग बना चुके हैं जिसकी पृष्ठभूमि में एक आधुनिक औद्योगिक घराने का द्वंद्व है।

भीष्म पितामह मृत्यु शैया पर सूरज के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं तो श्रीकृष्ण के सुझाव पर युधिष्ठिर प्रति दिन युद्ध के पश्चात भीष्म से ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। केवल इस प्रसंग के आधार पर 200 एपिसोड का सीरियल रचा जा सकता है। युधिष्ठिर और यक्ष के बीच संवाद भी अनेक मनोरंजक कहानियों को जन्म दे सकता है। दरअसल अनेक युवा फिल्मों के लिए कहानियां लिखना चाहते हैं। उन सभी को महाभारत पाठ्यक्रम की किताब की तरह पढऩा चाहिए। विचारों और पात्रों का अद्भुत खजाना है महाभारत। इस पर लिखने वाले ज्ञानी लोग भी हुए हैं। कई अधकचरा लोगों ने भी इसकी व्याख्या की है। यह नीले फीते के जहर के लिए भी अद्भुत स्रोत है।

जब द्रौपदी जयद्रथ के पंजों से बच जाती है तो उसे बार-बार फंसने पर क्रोध आता है। ऋषि कहते हैं सतयुग में जब रावण सीता के अपहरण के लिए आया तो सीता की छाया को ले गया। युद्ध के बाद जब छाया सीता ने अग्नि परीक्षा के लिए एक सिरे से प्रवेश किया तो दूसरे सिरे से असली सीता बाहर आई। मध्य में छाया सीता के जलते समय श्रीराम ने उससे कहा कि सतयुग के संकट में सहायता करने के कारण द्वापरयुग में छाया सीता ही द्रौपदी के रूप में जन्म लेगी। श्रीराम कृष्ण स्वरूप हर संकट में उसकी रक्षा करेंगे। इस तरह महाभारत में ही रामायण के कई प्रसंग भी हैं। जैसे हनुमान और भीम का युद्ध। सारांश यह कि महाभारत नामक खजाने से कुछ भी लूट लो, वह खजाना कम नहीं होता।