महिला दिवस : एक हॉरर कथा? / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :08 मार्च 2017
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है और अगर इस दिन पूरे विश्व में कहीं भी किसी महिला का दुष्कर्म नहीं किया गया और किसी महिला को किसी भी तरह प्रताड़ित नहीं किया गया, यहां तक कि प्रधानमंत्री अपने अनगिनत विदेशी दौरों में महिला विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को साथ ले जाएं या स्वतंत्र रूप से उन्हें अपना काम ही करने दें तो महिला दिवस मनाना सार्थक होगा अन्यथा यह भी महज एक रस्म और थोथा नारा मात्र रह जाएगा जैसे कि व्यवस्थाओं के अन्य नारे रह जाते हैं। हमारे दोहरे मानदंड सदियों से जारी हैं और 21वीं सदी भी इस महिला मामले में अन्य अन्यायपूर्ण सदियों की तरह ही रह जाएगी।
जेन आस्टिन ने एक बार कहा था कि उन्हें अपने परिवार की निगाह से बचकर आधी रात के बाद ही लिखना संभव हो पाता था और कागज-कलम भी बड़ी कठिनाई से ही वे खरीद पाती थीं। कुछ इसी तरह की समस्याओं से बैनेट बहनें और वर्जीनिया वुल्फ भी गुजरी हैं। ये बातें तो तथाकथित रूप से विकसित पश्चिम के विषय में ठोस तथ्य हैं तो पूर्व में क्या हाल रहा होगा। हमारी महिला लेखकों की साफगोई के खिलाफ हमारी लेखक बिरादरी ने ही उनके चरित्र पर भी लांछन लगाए हैं।
भारत में पुरुष सितारों का मेहनताना हमेशा महिला सितारों से अधिक रहा है। यहां तक कि महान नूतन, मीना कुमारी और नरगिस को भी कभी अपने साथ अभिनय करने वाले पुरुष सितारों के बराबर मेहनताना नहीं मिला है। हॉल ही में 'क्वीन' कंगना रनौट ने फिल्मकार विशाल भारद्वाज से उतना ही मेहनताना लिया, जितना सैफ अली खान और शाहिद कपूर को मिला। विविश होकर निर्माण कंपनी ने तीनों सितारों को समान राशि सात-सात करोड़ दी और निर्माण व्यय 42 करोड़ बताया जा रहा है। प्रचार, वितरण पर खर्च रकम मिलाकर फिल्म की लागत 80 करोड़ रुपए तक पहुंची और प्रदर्शन के बाद अनुमान है कि निर्माण कंपनी को 50 करोड़ का घाटा होगा।
अब कंगना अभिनीत हंसल मेहता निर्देशित फिल्म 'सिमरन' के प्रदर्शन में बाधा आएगी और बेचारे केतन मेहता कंगना अभिनीत 'झांसी की रानी' कैसे बना पाएंगे। लंबे अरसे से सफल एवं स्थापित फिल्मकार सोहराब मोदी ने भी अपनी पत्नी मेहताब को नायिका लेकर 'झांसी की रानी' बनाई थी और उनकी निर्माण कंपनी का दीवाला निकल गया था। फिल्मकार बनने के पहले सोहराब मोदी शहर-दर-शहर टूरिंग टॉकीज चलाते थे। आज के पाठकों को स्पष्ट कर दूं कि सिनेमाघरों के अभाव में एक ट्रक में पोर्टेबल प्रोजेक्टर व अन्य सामान के साथ कस्बा-दर-कस्बा इस तरह से फिल्में दिखाई जाती थीं और मेले के स्थान पर टूरिंग टॉकीज का व्यवसाय बड़ा लाभप्रद था।
महिला फिल्मकारों को भी अपना काम करने में अनेक परेशानियों से जूझना पड़ता था। सर्वप्रथम नायक और यूनिट के पुरुष सदस्यों को महिला निर्देशक से आदेश लेना अपमानजनक लगता था। महिला फिल्मकार को प्रेम दृश्य फिल्माते समय अभद्र कानाफूसी से गुजरना होता था। इस विषय में पहले दौर की दुर्गा खोटे, लीला चिटणिस और शोभना समर्थ के कष्टों की क्या बात करें, हमारे अपने दौर में दीपा मेहता को 'वॉटर' बनाते समय वाराणसी में शूटिंग नहीं करने दी गई। एक हुड़दंगी ने शूटिंग नहीं करने के आंदोलन में गंगा में डूबकर प्राण गंवाए, उसका शव भी नहीं मिला परंतु कुछ वर्ष पूर्व वही व्यक्ति एक साम्यवादी जुलूस को रोकने सड़क पर लेट गया था कि जुलूस उसके शव पर से ही गुजर पाएगा। दीपा मेहता की सुपुत्री को उस हुड़दंगी ने बाद में बताया कि इस तरह के अड़ंगे लगाना उसका व्यवसाय है। कुछ राजनीतिक दल उसे धन देते हैं। विपक्ष की सभा को बिगाड़ने का भी ठेका दिया जाता है। भारत ने गणतंत्र व्यवस्था का मखौल बना दिया है। फिल्मकार विधु विनोद चोपड़ा के बड़े भाई वीर चोपड़ा ने एक किताब लिखी है कि एक सांसद पर कुल कितना खर्च होता है और लोकसभा संचालन जैसी महंगी प्रक्रिया से गैर-जवाबदार हुड़दंगी नेताओं के कारण कितनेे करोड़ की हानि होती है। ज्ञातव्य है कि वीर चोपड़ा ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डिग्री प्राप्त की है। आजकल वे अपनी होटल शृंखला का संचालन करते हैं और भारत आना कम ही संभव हो पाता है।
गर्भावस्था में शिशु के कन्या होने पर गर्भपात कानूनी अपराध है परंतु उसके बाद भी ऐसा होता है। खाकसार एक वृत्त चित्र बनाना चाहता है। कथा है कि प्रसूति के व्यवसाय से अकूत धन कमाकर डॉक्टर दंपती नया अस्पतल बनाते हैं। मंत्रीजी उद्घाटन करने आए हैं, उन्हें सभी कक्ष दिखाए जाते हैं। एशिया के सबसे विराट आधुनिक प्रसूति कक्ष में ऐसे यंत्र लगे हैं कि एक भी कीटाणु भीतर नहीं जा सकता है। डॉक्टर दंपती सगर्व आत्म-मुग्ध मंत्रीजी को कक्ष में ले जाते हैं। वे आश्चर्यचकित हैं कि कक्ष में विविध आयु की अनेक लड़कियां बैठी हैं और दो कन्याएं फुगड़ी खेल रही हैं। एक कन्या कहती है कि डॉक्टरजी आपने भोई मोहल्ले की कमलाबाई का गर्भपात कराया था और वह वही अजन्मी आत्मा है। सभी एक-एक करके इसी तरह का परिचय देती हैं और इन आत्माओं के द्वारा अपने किए गए पाप उजागर होते ही दहशत से मंत्री व डॉक्टर की मृत्यु हो जाती है। पुलिस की रिपोर्ट है कि संभवत: पड़ोसी देशों के गुप्तचरों ने ये हत्याएं की हैं। जांच जारी है।