माँ / उपमा शर्मा
दर्द के इंजेक्शन का असर खत्म हो रहा था। टाँकों के दर्द से बेचैन रिया की आँख खुल गई। रिया ने राउंड पर आई नर्स को अपने तेज़ दर्द के बारे में बताया; लेकिन उसने समय से पहले पेन किलर की दूसरी डोज़ देने में असमर्थता जाहिर कर दी। वो रिया को ड्रिप रेगुलेट कर दूसरे पेशेंट को चैक करने चली गई। दर्द की शिद्दत बढ़ रही थी। रिया सोने की कोशिश करने लगी; लेकिन दर्द की अधिकता सोने नहीं दे रही थी। अभी न जाने कितनी देर और ऐसे ही बर्दाश्त करना था। यह रात कब खत्म होगी और कब डॉक्टर आएगी? रिया अपने में ही बड़बड़ा रही थी।
कुछ दूरी पर अटैंडेंट बैड पर माँ गहरी नींद में सो रहीं थीं। ख़ुद हाई ब्लड प्रैशर की रोगी माँ इस उम्र में भी उसकी और कुछ घंटों पहले जन्मी उसकी नन्ही बिटिया की देख-रेख में कसर नहीं छोड़ रहीं थीं। दवाइयों के असर से रिया अब तक नींद में ही थी। नन्ही बिटिया परी थोड़ी-थोड़ी देर में जाग जाती। माँ झट बॉटल ले उसे दूध पिलाने बैठ जातीं। नीम -बेहोशी में उसे परी की थोड़ी-थोड़ी आवाज कानों में पड़ती; लेकिन दर्द की अधिकता और डॉक्टर की हिदायत से माँ उसे बिस्तर से नहीं उठने दे रहीं थीं। दिन-भर की भागदौड़ के बाद अपनी माँ को कुछ पल सुकून की इतनी गहरी नींद में सोते देख इतने दर्द में भी उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई। पास ही नन्हीं परी भी इस समय सो रही थी। ताजा लगे टाँकों में दर्द कुछ ज्यादा ही था। वह करवट भी नहीं बदल पा रही थी।
अपनी नींद पूरी कर अब परी ने जागकर रोना शुरू कर दिया। माँ की गहरी नींद में परी के रोने के धीमे सुर नहीं पहुँच रहे थे। उसने माँ को आवाजें दी; पर माँ थकान के कारण बहुत गहरी नींद में थीं। कुछ देर पहले जन्मी परी और कमजोरी के कारण उसकी, दोनों की ही धीमी आवाज़ उन्हें जगाने में बेअसर थी। उसने परेशान हो नर्स को आवाज़ लगाई। वो भी शायद दूसरे कमरे में चली गई थी। परी का रोना बढ़ता जा रहा था। उसने फिर माँ को पुकारा। अब तक परी ने रोने में पूरी ताकत लगा दी। उसने धीरे से करवट ली। दर्द की तेज़ लहर पूरे शरीर में दौड़ गई। परी का गुलाबी चेहरा रोने से लाल हो उठा। माँ के हड़बड़ाकर उठने से पहले ही उसने पूरी ताकत लगा परी को उठा सीने से लगा लिया। भूख से बेहाल बच्ची दूध मिलने पर चुप हो गई। रिया दर्द से दोहरी हो रही थी; पर उसकी आँखों में अपनी बच्ची के संतोष का असीम सुख छलक रहा था।
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