माधुरी की इश्किया और गुलाबी गैंग / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 04 जनवरी 2014
छयालीस (46) वर्षीय माधुरी दीक्षित नेने आज जितना धन कमा रही हैं उतना धन तो उन्होंने अपने शिखर सितारा दिनों में भी नहीं कमाया। वे एक दशक तक नंबर एक सितारा रही हैं। दरअसल उनके शिखर दिनों में फिल्म उद्योग का अर्थतंत्र अलग था। माधुरी ने सफल पारी के बाद विवाह करके भारत छोड़ दिया था। उनके पति डॉ. नेने अमेरिका में सफल थे। अमेरिका में माधुरी भारतीय शिखर सितारा नहीं वरन् एक औसत अमेरिकन पत्नी की तरह रहीं और घर के सारे कार्य किए। वे एक मध्यमवर्गीय महाराष्ट्रीयन परिवार में पलीं और अपने शिखर सितारा दिनों में उसने अपने संस्कार का निर्वाह किया। वे अत्यंत अनुशासित और मेहनती सितारा रहीं। बहरहाल ये उनका निजी मामला है कि उन्होंने भारत आने का निर्णय किया। डॉ. नेने भी यहां एक मेडिकल कॉलेज से जुड़ गए हैं। अपनी दूसरी पारी में उन्होंने अपने पुराने सचिव राकेश नाथ की सेवाएं समाप्त कर दी और रेशमा शेट्टी की मैट्रिक्स उनका काम देखती है।
उनकी दूसरी पारी की पहली फिल्म 'आजा नच ले' असफल रही, परंतु टेलीविजन पर वे रिएलिटी तमाशे में भाग लेती रहीं। विज्ञापन फिल्में करती रही हैं और वेबसाइट पर नृत्य की शिक्षा भी देती रहीं हैं। उनकी दो फिल्में प्रदर्शन के लिए तैयार हैं-'डेढ़ इश्किया' और 'गुलाबी गैंग'। डेढ़ इश्किया में उनके अभिनीत पात्र का नाम है बेगम पारा। ज्ञातव्य है कि चौथे-पांचवे दशक में बेगम पारा नामक नायिका ने कुछ फिल्में की थीं और वे उस दौर की राखी सावंत की तरह साहसी थीं। दिलीप कुमार के भाई नासिर खान ने बेगम पारा से विवाह किया और दोनों पाकिस्तान चले गए थे। सुना है बेगम पारा भारत लौट आई हैं।
बहरहाल इस फिल्म की नायिका का पहला पति तलाक के समय उन्हें मशविरा देता है कि वो दूसरी शादी किसी शायर से ही करें। संभवत: गुलजार से अपने घनिष्ठ संबंध के कारण विशाल भारद्वाज ने अपनी कथा में यह शर्त रखी। फिल्म में माधुरी स्वयं का स्वयंवर रचती हैं और नसीरुद्दीन शाह से मुलाकात होती है। फिल्म में माधुरी ने नाचने गाने का काम किया है जो अपने शिखर दिनों में भी करती थीं।
इश्किया से जुदा गुलाबी गैंग सत्य घटना से प्रेरित फिल्म है उन औरतों के बारे में जो स्वयं अन्याय और शोषण के खिलाफ खड़ी होती हैं। तीसरे दशक में एक पत्नी अपने पति की घरेलू हिंसा के खिलाफ अदालत जाती है जहां उससे कहा जाता है कि यह पति का अधिकार है। अदालत से निराश लौटने के बाद वह अपनी तरह की औरतों का दल बनाती है और पुरुषों के खिलाफ खड़ी होती हैं। माधुरी दीक्षित ने इस फिल्म में एक्शन दृश्य भी किए हैं जिसके लिए उन्होंने गहन अ?यास भी किया है। 'इश्किया' में नृत्य और 'गुलाबी गैंग' में एक्शन किया है तथा उस शो की जज भी रही हैं जिसमें एक्शनमय नृत्य किया जाता है। सर्कस की तरह किया गया काम भी नृत्य कहा जाता है।
अपने एक दशक के अमेरिका प्रवास में उन्होंने अनुभव किया होगा कि वहां घरेलू सेवा के एवज में कितने डॉलर देने पड़ते हैं और उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना पड़ता है। अन्यथा अपराधिक मामला बन जाता है। हमारे यहां हाल ही में मामले की तह में जाए बिना अमेरीका को क्षमा याचना के लिए बाध्य करने का असफल प्रयास किया गया। सरकार और मीडिया ने प्रकरण को राष्ट्रीय अस्मिता का मामला बना दिया गया। आज बगलें झांकने का समय आ गया है।
बहरहाल हमारे सिनेमा में परिवर्तन का एक संकेत इस बात से भी मिलता है कि आज 46 वर्ष की माधुरी को नायिका की भूमिका मिल रही है। वहीं पचास वर्षीय श्रीदेवी भी सक्रिय हैं।