मानव देह गुफा का 'खुल जा सिम सिम'/ जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मानव देह गुफा का 'खुल जा सिम सिम'
प्रकाशन तिथि :01 अगस्त 2016


अंग्रेजी के कवि शैली की लंबी कविता है, 'प्रोमेथियस अनबाउंड' जिसे धर्मवीर भारती ने अपने ढंग से 'प्रमथ्यु गाथा' के नाम से लिखा था। प्रमथ्यु मानव जाति के लिए ईश्वर के क्षेत्र से ज्ञान लेकर आया था और इसी अपराध के कारण उसे बाजार के चौक में बांधा गया था। एक गिद्ध दिनभर में उसका हृदय पिंड खा जाता था और रात में उसे नया हृदय पिंड प्राप्त होता था। प्रमथ्यु इस शारीरिक कष्ट को आसानी से सहता गया परंतु उसे असहनीय कष्ट उस समय हुआ जब वही आम जनता उसके गिर्द तमाशबीन की तरह खड़ी हो गई, जिसके लिए वह कष्ट उठाकर ज्ञान लेने गया था। हमारे वैदिक साहित्य में उत्तालक मुनि का पुत्र नचिकेता यम से ज्ञान पाने का आग्रह करता है। उसे यम समझाते हैं कि कोई और आशीर्वाद मांगो परंतु वह अपनी ज़िद पर अड़ा रहता है। संभवत: इसीलिए दैनिक भास्कर ने अपनी लोकप्रिय मुहिम में ज़िद करने पर जोर दिया है। धर्मवीर भारती की प्रमथ्यु गाथा का प्रारंभ है, 'हम सबके माथे पर दाग, हम सबकी आत्मा में झूठ, हम सब सैनिक अपराजेय, हम सबके हाथों में सिर्फ तलवारों की मूठ।'

बहरहाल, इस नचिकेता गाथा का कारण यह है कि जबलपुर में जन्मे नचिकेता ने एक विलक्षण किताब 'प्रेम देह की प्रार्थना है,' लिखी है, जिसके प्रकाशक स्काईमार्क पब्लिकेशन, एमरोज हाउस, पांडव नगर रोड शहडोल (मप्र) है। मुकेश बिजौले का आवरण चित्र विषय को बखूबी रेखांकित करता है। लगभग 430 पृष्ठ की सचित्र किताब का मूल्य 1500 रुपए अधिक लगता है परंतु पढ़ने के बाद यह 'माल-ए-मुफ्त, पाठक बेहरम' सा हो जाता है। यह आश्चर्यजनक है कि ज्ञान के कुछ क्षेत्र वयस्क होने के नाते प्रतिबंधित-से माने जाते हैं। यहां तक कि रोम का चर्च भी समय-समय पर किताबों की सूची जारी करता है इस परामर्श के साथ कि इन्हें नहीं पढ़ें। खजुराहो, एलोरा, कोणार्क इत्यादि महान स्थानों पर नारी-पुरुष अंतरंगता पत्थरों पर सचित्र अंकित है। हमारी महान एवं उदात्त संस्कृति में इस तरह के प्रतिबंध काफी हद तक अंग्रेजों के विक्टोरियन मूल्यों के कारण आए हैं। इसके साथ ही ज्ञान का व्यापार करने वाले भी स्वयंभू सेंसर अधिकारी बन जाते हैं। मानव देह प्रकृति की सुंदरतम रचना है। पांच तत्वों से देह बनी है। अग्नि पर जल डालने से वह बुझ जाती है गोयाकि इन तत्वों में दुश्मनी का-सा रिश्ता लगता है परंतु मनुष्य के पेट में भूख की ज्वाला के साथ ही पाचक रस भी बन जाता है अर्थात मनुष्य देह में पांच तत्वों के बीच सामंजस्य है। इसलिए मानव देह सत्य भी है, शिव भी है और सुंदर भी है। शयन-कक्ष की गोपनीयता परम आवश्यक है परंतु वहां जाने से पहले देह ज्ञान प्राप्त करना भी जरूरी है। इस गंभीर विषय को शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल नहीं करना भी एक भूल है। जिन विक्टोरियन मूल्यों के कारण कुछ प्रतिबंध आए हैं, उन्हीं महारानी विक्टोरिया के देश इंग्लैंड में एक लेखक रिचर्ड बर्टन हुए हैं। कृपया इस नाम के अभिनेता होने के कारण कोई भ्रांति नहीं हो। 19वीं सदी के आखिरी चरण में रिचर्ड बर्टन ने लंदन में कामसूत्र क्लब नामक संस्था इस उद्‌देश्य से रची थी कि धन एकत्रित करके वात्स्यायन के महान ग्रंथ को अंग्रेजी भाषा में अनुदित करें और यह कार्य किया भी गया। जिस कालखंड में वात्स्यायन अपना ग्रंथ लिख रहे थे, उसी कालखंड में चीन में भी ताओ नामक दार्शनिक ऐसा ही कार्य चीन में कर रहे थे। विचार की तरंग सारे विश्व में सारे समय चलती है, अत: यह प्रसंग नकल का नहीं है।

हर अध्याय के पहले विविध काव्यांश एवं उद्धरण है जैसे एक जगह अथर्ववेद का श्लोक है, 'काम सर्वप्रथम उत्पन्न हुआ। इसे देवों, पितरों और मनुष्यों में कोई भी अधीन नहीं कर सका, अत: हे काम तुम विश्वव्यापी और महान हो, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं।' दूसरी ओर सूफी तराना है, जिसका भावार्थ है, 'हम इस तरह एक है कि हमारे बीच कोई नहीं है।' शैलेंद्र मेरी विचार प्रक्रिया में इस तरह शामिल है कि मुझे याद आई 'संगम' के लिए लिखी उनकी पंक्तियां 'ओ मेरे सनम, ओ मेरे सनम, दो जिस्म मगर एक जान है हम, एक दिल के दो अरमान हैं हम! सुनते हैं प्यार की दुनिया में दो दिल मुश्किल से समाते हैं, गैर तो क्या यहां अपनों के सये तक न आ पाते हैं, हमने अाखिर क्या देख लिया, क्या बात है, क्यों हैरान है हम।' महाकवि कबीर लिख चुके हैं, 'प्रेम गली अति सांकरी, तामें दो न समाय, जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाय।'

भारतीय भाषाअों में इस विषय पर कुछ अज्ञान बढ़ाने वाली किताबें प्रकाशित हुईं, जिसे युवा वर्ग छुपाकर पढ़ता है। इससे बहुत हानि हुई है। अत: इस विषय पर यह तर्कसम्मत पुस्तक है। वैदिक साहित्य के नचिकेता की तरह इस पुस्तक का रचियता ज्ञान संबंधित प्रश्न करता है। साथ ही उत्तर भी देता चलता है। मनुष्य देह की गुफा में अनेक रहस्य हैं और इस गुफा के द्वार पर 'खुल जा सिमसिम' बोलने से काम नहीं चलता परंतु नचिकेता की यह पुस्तक आपको बताएगी कि किस मंत्र से देह की इस गुफा के रहस्य जाने जा सकते हैं।