मानसिक रोगी / सुषमा गुप्ता
"मम्मी अनिकेत को शायद स्कूल से सस्पैंड कर दिया जाए।" रूही घर में घुसती हुई बोली।
"अनिकेत! तेरा क्लासमेट है न?"
"हाँ, मम्मी।"
"क्यों निकाल रहें हैं?" स्वाति से आश्चर्य से पूछा
"मम्मी उसने रेवा का न्यूड—सा कोई स्कैच बनाया तो बहुत बड़ा तमाशा हो गया। रेवा के और अनिकेत के पेरेंट्स को भी बुलाया गया था।"
"बारह साल की उम्र है और ये सब होने लगा अभी से!" अजीब से भय ने स्वाति को अंदर तक झकझोर दिया।
"अरे मम्मी, आप को पता है उसके बाद हैड मिस्टर्स मैडम क्लास में आई और सब लड़कियों से पूछा और तो कोई किसी को ऐसे हैरस्स नहीं करता, सत्तर परसैंट लड़कियों ने हैंड रेज़ किया।"
स्वाति को चक्कर आने लगा। वह वहीं रखी डाइनिंग की चेयर पर बैठ गई।
"सत्तर परसैंट! इतने खराब हैं क्लास के लड़के। तुम सब बस सातवीं में तो हो अभी!"
"मम्मी हमारी क्लास के नहीं, टैन्थ के लड़कों से परेशान हैं सब। हमारा और टैन्थ का कॉरीडोर सेम है। ब्रेक के टाइम ये लड़के ग्रुप में बाहर घूमते है और किसी भी लड़की को गंदे से छूकर चले जाते है। भीड़ में पता भी नहीं चलता किसी को कि हाथ लगाने वाले लड़के थे कौन।"
स्वाति ऊपर से नीचे तक काँपने लगी। उसने दोनों हाथों से सिर थाम लिया। अपना बचपन कौंध गया आँखों के आगे।
आठवीं में थी वह जब कैंटिन की भीड़ का फायदा उठाकर किसी लड़के से उसकी स्कर्ट में ... हफ्तों स्कूल नहीं गई थी तब स्वाति। न घर में किसी को बता पाई थी। आज तक उस सदमे से उबर नहीं पाई वह।
"क्या हुआ मम्मी? पानी लाऊँ?" , मम्मी को भर सर्दी में पसीने से लथपथ देख घबराई रूही ने पूछा।
स्वाति ने मासूम रूही के दोनों हाथ थाम लिये और कुछ देर उसको निहारती रही। एक गहरी साँस लेते हुए उसने कहा, "सुन रूही मेरी बात ध्यान से। अगर तेरे साथ कोई भी लड़का ऐसा करने की कोशिश करे तो फौरन उसका कॉलर पकड़कर झिंझोड़ देना और..."
"मम्मी पता ही नहीं चलता भीड़ में कौन है।"
"तो चीख, ज़ोर-ज़ोर से चीख। इतने ज़ोर से की पूरा स्कूल सुने। सारे लड़कों को एक्यूज़ कर। तब तक शोर मचा जब तक हायर मैनेजमैंट आ न जाए।"
"पर मम्मी फिर तो बहुत तमाशा हो जाएगा।"
"होना भी चाहिए। हमें बुलवा स्कूल फिर। सारा प्रशासन हिलना चाहिए। पर चुप नहीं रहना बेटी, चुप नहीं रहना, चाहे जो अंजाम हो, वरना इन मानसिक बीमार लड़कों की हरकतें अपराध में बदल जाएँगी। इन्हें रोकना अभी से ज़रूरी है। बहुत ज़रूरी।"
कहकर स्वाति ने रूही को कसकर गले लगा दिया।
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