मायड़ भाषा नै मानता ही म्हारो सुपनो : चूंडावत / कथेसर
Gadya Kosh से
मुखपृष्ठ » | पत्रिकाओं की सूची » | पत्रिका: कथेसर » | अंक: जुलाई-सितम्बर 2012 |
जयपुर. राजस्थानी भाषा री सुप्रसिद्ध लेखिका पद्मश्री रानी लक्ष्मीकुमारी चूंडावत कैयो है कै जीवतै जीव मायड़भाषा राजस्थानी नै संवैधानिक मानता ही वां रो सुपनो है अर ओ सुपनो अधूरो नीं रैवणो चाइजै। अै भावपूर्ण उद्गार वां 26 जून नै आपरै 97वैं जलमदिवस रै मौकै प्रगट कर्या। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति कानी सूं समिति राप्रदेस पाटवी केसी मालू अर अंतरराष्ट्रीय संगठक अनै संस्थापक लक्ष्मणदान कविया इण वेळा बनीपार्क स्थित वां रै रैवास माथै वां नै दुसालो ओढ़ाय अर फूलां रो हार पैरायनै सम्मानित करता थकां जलमदिवस री बधाई दीनी अनै लाम्बी उमर अर निरोगै जीवण री कामना कीनी। संघर्ष समिति रा आनन्दसिंह कविया अर धनसिंह भी साथै हा।