मार्कण्डेय / परिचय
मार्कण्डेय
5 मई 1930 को जौनपुर के बराई नामक गांव के किसान परिवार में जन्मे मार्कण्डेय ने वर्ष 1948 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एमए करने के बाद शोध कार्य किया। धीरे-धीरे वे नई कहानी के पुरोधा के रूप में चर्चित हुए। उनकी पहली कहानी गुलरा के बाबा चर्चित हुई। अपने अंतिम समय में भी कथा जैसी चर्चित पत्रिका का संपादन करते रहे। उनके चर्चित उपन्यासों में अग्निबीज, सेमल के फूल रहे। इसके अतिरिक्त सपने तुम्हारे थे (कविता संग्रह), पत्थर परछाइयां एकांकियों का संग्रह शामिल है। कहानी की बात उनका चर्चित आलोचनात्मक ग्रंथ है।
मार्कण्डेय
जन्म 2 मई 1930 को, गाँव-बराई, केराकत तहसील, जिला जौनपुर। गाँव
में ही प्रारम्भिक शिक्षा, फिर प्रतापगढ़ में प्रताप बहादुर कॉलेज से इंटर। इसके
बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा।
प्रतापगढ़ में रहते हुए किसान-आंदोलन से सम्पर्क और उसमें शिरकत।
इसी प्रसंग मे इन्होंने भूमिहीन मजदूरों और गरीब किसानों की दुर्दशा एवं पीड़ा
को देखा और उससे गहरे प्रभावित। यह प्रभाव उनकी अनेक कहानियों में दिखाई
पड़ता है। स्वतंत्रयोत्तर भारत के एक प्रमुख कहानीकार, जिन्होंने हिन्दी कहानी
को नया आयाम दिया।
कहानी-संग्रह - पान-फूल, महुए का पेड़, हंसा जाई अकेला, भूदान, माही,
सहज और शुभ, बीच के लोग।
उपन्यास - सेमल के फूल और अग्निबीज।
कविता संग्रह - सपने तुम्हारे थे।
एकांकी-संग्रह - पत्थर और परछाइयाँ।
आलोचना-पुस्तक - कहानी की बात।
‘कथा’ नामक अनियतकालीन पत्रिका का प्रकाशन एवं सम्पादन।