मिट्टी / अमरीक सिंह दीप
Gadya Kosh से
हिन्दू-मुस्लिम सांप्रदायिक विद्वेष तथा 1984 के सिख विरोधी दंगों को मार्मिकता और सजीवता के साथ इन कहानियों में अनुभव किया जा सकता है। इनसानी सभ्यता के बेहद बर्बर चेहरे को नंगा करने में लेखक ने जिस बेबाकी का परिचय दिया है, वह प्रशंसनीय है। लेखक किसी विशेष दल और विचारधारा के अंधानुकरण की अपेक्षा तथ्यों तथा तर्कों के साथ सांप्रदायिकता तथा धार्मिक हिंसा के सच को बयान करता है।
यह रचना गद्यकोश मे अभी अधूरी है।
अगर आपके पास पूर्ण रचना है तो कृपया gadyakosh@gmail.com पर भेजें।
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