मीडिया के धोबीघाट पर प्रेम प्रसंग / जयप्रकाश चौकसे

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मीडिया के धोबीघाट पर प्रेम प्रसंग
प्रकाशन तिथि :18 मार्च 2016


आजकल ऋतिक रोशन और कंगना रनोट सरेआम अपने आंतरिक वस्त्रों की धुलाई कर रहे हैं। मीडिया के धोबीघाट पर भई प्रेमियों की भीड़। कंगना रनोट की पहल को ऋतिक अनदेखा कर सकते थे, परंतु उन्होंने जवाबी हमला कर दिया। ऋतिक के सुजैन से तलाक के बाद इस तरह के मामलों में शक की सुई उनकी ओर जाती है। वे पहले या आखिरी सितारे नहीं हैं, जिसके प्रेम प्रसंग हुए हों। फिल्म उद्योग का काम ऐसा है कि सह-सितारों का साथ सुदूर की लोकेशन पर लंबे समय तक रहना होता है, अत: प्रेम प्रकरण पनपने की खूब गुंजाइश रहती है। यह चिंतनीय है कि प्रेम खाली वक्त को भरने का भाव है। मनोरंजन जगत में प्राय: प्रेम कहानियों पर आधारित फिल्में ही सफल रहती है। 'टाइटैनिक' एक हादसा फिल्म से अधिक एक प्रेम कहानी है।

1933 में अमेरीकन निर्माता ने 'किंगकॉन्ग' की पटकथा पढ़ने के बाद कहा कि एक भव्य वनमानुष की इस कथा में अगर प्रेम प्रकरण बुना जा सके तो हमारे हाथ असीमित धन कमाने वाली फिल्म होगी। निर्देशक की एक सहायिका ने सुझाव दिया कि विराट वनमानुष का प्रेम जंगल में आए दल की अंग्रेज लड़की से हो जाए, तो यह कहानी गहरे अर्थ पा सकती है। उसका सुझाव स्वीकार किया गया और 'किंगकॉन्ग' इतनी सफल रही कि उसे विभिन्न समय में तीन बार बनाया गया और हर बार फिल्म सफल रही। किंगकॉन्ग की मृत्यु का दृश्य मजनू, फरहाद और रोमियो से ज्यादा हृदयद्रावक बन पड़ा है। विराट वनमानुष की मृत देह में उसकी आंख के नीचे आंसुओं की कड़ी है, जो कुछ आर्द्रता लिए सूख गए हैं। प्रसाद की पंक्तियां याद आती हैं, 'जो घनीभूत पीड़ा थी, मस्तिष्क में स्मृति-सी छाई, दुर्दिन में आंसू बनकर वह आज बरसने आई।'

बहरहाल, ऋतिक और कंगना रनोट ने 'काइट्स' और 'कृष-3' में साथ-साथ काम किया है। अनुराग बसु ने अपनी 'गैंगस्टर' नामक फिल्म में कंगना को अवसर दिया था। इस फिल्म का नाम भ्रामक है। 'गैंगस्टर' महान प्रेम कथा है, जिसमें अपराधी और बार गर्ल की त्रासद प्रेम कथा है और प्रेमिका की गलती से पुलिस की गोलियों के शिकार नायक की जेब में सिंदूर की डिबिया है, जो वह नायिका के लिए लाया था। कमाल की बात यह थी कि दोनों लंबे समय तक साथ रहे परंतु उन्होंने एक-दूसरे के शरीर को स्पर्श भी नहीं किया। हमारे प्रेम दृश्य प्राय: शारीरिकता और मांसलता के दलदल में धंस जाते हैं और फिल्मी प्रेम कहानियां बूचड़खाने में बदल जाती हैं। बूचड़खाने में कटी हुई बकरियां लोहे के हुक पर टंगी रहती हैं और कलेजी भी महंगे दामों में बेची जाती है। बकरी के शरीर का हर हिस्सा बेचा जाता है, केवल मनुष्य की मृत देह की कोई उपयोगिता नहीं है। वह पंचतत्व में विलीन हो या जमींदोख की जाए और सारा जीवन हम इस देह पर इतराते हैं, इसे सुंदर बनाए रखने के लाख जतन किए जाते हैं। मैंने एक नवधनाढ्य के घर में मानव खोपड़ीनुमा एश ट्रे देखा है और तभी से धूम्रपान छूट गया है। ऋतिक रोशन फिल्म परिवार में जन्मे हैं और उनके नाना जे. ओमप्रकाश ने अनेक सफल फिल्में बनाई हैं तथा दादा रोशन एक गुणवान संगीतकार थे। परिवार की दोनों ही शाखाएं समृद्ध एवं गुणवान रही हैं। इतना ही नहीं, उनकी पत्नी सुजान न केवल समृद्ध परिवार से है वरन् गृहसज्जा कार्य में वे निपुण है और उनका अपना स्वंतत्र व्यापार भी है।

दूसरी अोर कंगना एक छोटे शहर से भागकर मुंबई आई थीं और अपने संघर्ष के दिनों में उन्होंने कुछ रातें फुटपाथ पर काटी हैं। दोनों की पारिवारिक पृष्ठभूमियां भिन्न हैं। कंगना को कभी कोई स्थापित कंपनी की फिल्म नहीं मिली परंतु उन्होंने मध्यम बजट की सफल फिल्मों में अभिनय किया और 'तनु वेड्स मनु' भाग-1 और 2 तथा 'क्वीन' में विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन किया। वे मनमौजी स्वभाव की महिला हैं और न्यूयॉर्क से फिल्म विधा में एक डिग्री प्राप्त कर चुकी हैं अौर निर्माण संस्था प्रारंभ करना चाहती हैं। यह विवाद शुरू हुआ जब कंगना ने अपने बयान में ऋतिक की उनमें रुचि की बात कही अौर ऋतिक खामोश रहते तो यह बात वहीं खत्म हो जाती परंतु उनके विरोध ने बात का बतंगड़ बना दिया। टेलीविजन तो इस तरह की चिंगारियों को दावानल में बदलने के काम में माहिर हैं। जब से चौबीसों घंटे चलनेवाले चैनल आए हैं, तब से अनावश्यक मामले तूल पकड़ रहे हैं और व्यवस्था तथा सत्तासीन लोग खुश हैं कि जीवन के असली मुद्‌दों से अवाम का ध्यान हट गया है। सरकार को कोई नया तमाशा खड़ा करने की आवश्यकता नहीं है। इसी समय श्री श्री रविशंकर के सांस्कृतिक आयोजन को असमय वर्षा ने कीचड़ में मिला दिया, अन्यथा कुछ और मन बहलाव होता। बरसात के बादल अनपढ़ हैं, उन्हें क्या मालूम किस छत को भिगोना है और किसको बचाना है। जाने किसके, कितने करोड़ कीचड़ में मिल गए। बहरहाल, ऋतिक और कंगना की प्रतिभा का पूरा दोहन ही नहीं हो पाया है। अब उन दोनों की साथ-साथ एक और फिल्म नहीं बन पाएगी। दर्शक को हानि पहुंची है।