मीन पुई / शायक आलोक

Gadya Kosh से
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एक बाओ नाम का आदमी हुआ दक्षिणी चीन में। वह खुबसूरत चित्र बनाता था। उसकी बनायीं तितलियाँ, फूल-पत्ते सौन्दर्य से परिपूर्ण होते थे। वह सुन्दर स्त्रियों की सुन्दर तसवीरें भी बनाता था। वह सम्मोहक भाषा बोलता था । स्त्रियाँ प्रेमकरने लगती थीं उससे। वह उन स्त्रियों की भावनाओं का उपयोग करता था। वह उनसे दैहिक संबंध बनाता था। वे मना नहीं करती थीं। बाओ की एक घरेलु पत्नी थी। एक दस साल का पुत्र और एक तेरह साल की पुत्री थी। बाओ की पत्नी कोबाओ के प्रेम का पता चला तो वह बीमार रहने लगी। पुत्री को चिंता हुई। वह एक सुन्दर लड़की थी। उसका नाम मीन पुई था। मीन पुई ने माँ का दुःख दूर करने की ठानी। वह बाओ को पश्चाताप के रास्ते पर लाना चाहती थी। मीन पुई नेदुपट्टे से अपना मुंह ढंका और बाओ के पास पहुंची। उसने बाओ से उसकी तस्वीर बनाने का आग्रह किया। बाओ के समक्ष उसने अपने कपडे खोल दिए। बाओ ने तन्मयता से चित्र पूरा किया। चित्र का चेहरा बनना अब भी शेष था। बाओ नेअपने सम्मोहक शब्द कहे। मीन पुई ने चेहरे का दुपट्टा हटा दिया। बाओ का मन ग्लानि से भर गया। उसने कुएं में कूदकर जान दे दी। मीन पुई ने पिता के सब चित्र बेच दिए और भेडें खरीद ली।