मुंशी प्रेमचंद और सत्यजीत रे की महान फिल्म / जयप्रकाश चौकसे

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मुंशी प्रेमचंद और सत्यजीत रे की महान फिल्म
प्रकाशन तिथि : 29 दिसम्बर 2020


वेब सीरीज ‘द क्वीन्स गेम्बिट’ की लोकप्रियता के कारण शतरंज के खेल के प्रति उत्सुकता बढ़ी है। यह संभव है कि हिंसात्मक युद्ध के विकल्प के रूप में शतरंज का उदय हुआ हो। इस खेल में राजा-रानी हैं तो पैदल सिपाही भी हैं जिन्हें केवल एक घर चलने की आज्ञा है। शतरंज में ऊंट का महत्व रेगिस्तान में लड़े गए युद्ध के कारण भी जोड़ा गया हो सकता है। शतरंज का खेल बुद्धि द्वारा लड़ा गया युद्ध है। भारत के विश्वनाथन आनंद इस खेल के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ी हैं।

राज खोसला की देवानंद और सुचित्रा सेन अभिनीत फिल्म ‘बंबई का बाबू’ में शतरंज की चाल चलते हुए सुचित्रा सेन अपने भाई बनकर आए देवानंद को इशारे से बताती है कि वह उसकी हर चाल को जान चुकी है। दरअसल इस सीन में संवाद और शतरंज द्वारा एक युद्ध लड़ा जा रहा है। सुचित्रा सेन की चाल से देवानंद अधिक दुखी है उसके संवाद से, इसलिए वह शतरंज की बाजी फेंक देता है कि उसे यह खेल नहीं खेलना है। यह राज खोसला का जीनियस है कि एक लीक से हटकर बनाई गई फिल्म में शतरंज के खेल से उन्होंने बहुत कुछ अभिव्यक्त कर दिया है।

सत्यजीत रे ने मुंशी प्रेमचंद की कथा ‘शतरंज के खिलाड़ी’ संजीव कुमार, शबाना आज़मी और सईद जाफ़री अभिनीत फिल्म बनाई। अवध के सुल्तान अंग्रेजों के इरादे को अनदेखा करते रहे। अंग्रेजी फौज अवध पर कब्जा जमाना चाहती थी, परंतु अवध के रसिया बादशाह मियां की तोड़ी, नृत्य और संगीत में मगन रहे। अवध के दो खानदानी रईस शतरंज के बड़े शौकीन थे। अपनी बेगमों से अधिक चिंता उन्हें शतरंज की रानी को बचाने की थी।

दोनों रईस शतरंज खेलने एक सुनसान जगह पर आते हैं, जहां उनके लिए सारी व्यवस्था है। जब वे दोनों शतरंज में डूबे हुए हैं तब अंग्रेजी सेना अवध की ओर कूच कर चुकी है।

कड़वे यथार्थ से विमुख दोनों मित्र शतरंज की बाजी खेल रहे हैं। जब खेल की रानी को बचाने के लिए एक चाल चलने में खिलाड़ी अधिक समय लेता है, तब दूसरा खिलाड़ी उसकी पत्नी के अन्य व्यक्ति से प्रेम का जिक्र कर देता है। अपनी इस कमजोर नब्ज़ के दबते ही वह हिंसक होना चाहता है। सत्यजीत रे ने महान मुंशी प्रेमचंद की कथा से प्रेरित फिल्म में उस दौर की राजनीति, रईसों का अय्याशी और अवाम की उदासीनता को ऐसे प्रस्तुत किया है कि इतिहास और राजनीति के लिए यह पाठ्यक्रम की तरह हो सकता है। मौजूदा राजनीति की शतरंज के खेल में 2 खिलाड़ी हैं राजा और उसका बजीर। बेचारे प्यादे 32 दिनों से हड़ताल पर हैं। वर्तमान में अवाम की उदासीनता उस दौर के अवध के अवाम से कई गुना अधिक है। सामूहिक सम्मोहन का स्वर्ण काल है। शतरंज, भारत-चीन में समान रूप से लोकप्रिय है। कहते हैं कि मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने महल के एक बड़े कक्ष के फर्श पर शतरंज बनवाई थी। इसमें मोहरों की जगह सुंदर-सुडौल औरतें खड़ी होती थीं और उनके सि