मुकदमा सावित्री बनाम श्रीदेवी / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 14 अक्टूबर 2014
बोनी कपूर आैर राम गोपाल वर्मा लंबे अरसे से मित्र आैर भागीदार रहे हैं परंतु अभी श्रीदेवी के नाम का प्रयोग एक फिल्म के शीर्षक में करने से एक-दूसरे से खफा हैं। बाेनी ने अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी भी वर्मा को दी है। अपनी पहली फिल्म 'शिवा' की सफलता के बाद राम गोपाल मुंबइया उद्योग में कदम जमाने के लिए बेकरार थे आैर बोनी हमेशा ही दक्षिण भारतीय सिनेमा के उफक पर उभरती प्रतिभा को हथियाने के लिए आतुर रहे हैं क्योंकि उन्होंने करियर की पहली दो फिल्मों में ही दक्षिण की फिल्मों का रीमेक किया था 'हम पांच' आैर 'वो सात दिन'। स्थापित होने के बाद भी उन्होंने रीमेक का सिलसिला जारी रखा। श्रीदेवी से विवाह के बाद तो चेन्नई उनकी ससुराल ही हो गई। दरअसल उन्हें दक्षिण से इतना मोह है कि 'दक्षिण-मुखी' मकान भी खरीदने से उन्हें एतराज नहीं यद्यपि वे वास्तु में यकीन रखते हैं।
राम गोपाल की 'शिवा' के बाद "रात' और "द्रोही' के निर्माता बाेनी कपूर ही थे। 'द्रोही' के लिए उर्मिला मातोंडकर की सिफारिश भी बोनी ने ही की थी। 'द्रोही' में बने रिश्ते के कारण राम गोपाल ने आमिर खान अभिनीत 'रंगीला' में उर्मिला को ऐसे प्रस्तुत किया कि वह सितारा बन गई आैर उनके साथ कई फिल्में बनाईं। उनकी अंतरंगता से बॉक्स ऑफिस दहकता रहा। बोनी ने वर्मा के साथ 'कंपनी' फिल्म भी बनाई है। सारांश यह कि रिश्ता पुराना आैर पुख्ता रहा, अब दरारें उभर रही है।
कुछ समय पूर्व राम गोपाल ने तेलुगु फिल्म 'सावित्री' की घोषणा की जिसमें एक कमसिन लड़का अपने से 20 वर्ष बड़ी स्त्री के प्रेम में पागल हो जाता है। इस तरह की अनेक फिल्में बनी हैं। राज कपूर की 'जोकर' के पहले भाग में 16 वर्षीय राजू अपनी 25 वर्षीय शिक्षिका सिमी से प्यार करने लगता है। अंग्रेजी भाषा में 'समर ऑफ 1942' में भी कमसिन युवा अधेड़ विधवा से प्यार कर बैठता है जिसे यह भी ज्ञात नहीं कि उस स्त्री का पति युद्ध में शहीद हुआ है। फिल्म इतनी लोकप्रिय हुई कि मुहावरा ही बन गया कि हर व्यक्ति के जीवन में कमसिन उम्र की किसी आसक्ति की याद होती है जिसे 'समर ऑफ 42' कहकर संबोधित किया जाता है।
बहरहाल राम गोपाल ने अपनी फिल्म 'सावित्री' का नाम बदलकर 'श्रीदेवी' रख दिया है। संभव है कि बॉक्स ऑफिस सफलता को तरसते राम गोपाल को श्रीदेवी की 'इंग्लिश विंग्लिश' की अंतरराष्ट्रीय सफलता के कारण यह ख्याल आया हो कि ब्रैंड श्रीदेवी का इस तरह इस्तेमाल करें आैर दूसरा कारण यह भी संभव है कि उन्होंने अपनी कमसिन वय में श्रीदेवी का जलवा देखा आैर मन ही मन उसे अपनी 'समर ऑफ 42' मानते रहे हों। उन्होंने वैकल्पिक संवाद माध्यम पर श्रीदेवी के जादू का भावपूर्ण वर्णन किया है जिसका हर शब्द किसी दमित इच्छा की अभिव्यक्ति सा लगता है। इस तरह की कामना का सांप मुंह कुचले जाने के बाद भी बहुत देर तक लहराता रहता है जैसे कुचले मुंह के कारण प्राण अाहिस्ता-आहिस्ता पूरे जिस्म में रेंगते हुए पूंछ से निकलने का प्रयास करते हैं।
बहरहाल बोनी कपूर की शिकायत के बावजूद राम गोपाल वर्मा टस से मस होने को तैयार नहीं है आैर मामला अदालत में जा सकता है। अदालत में राम गोपाल वर्मा का वकील यह दलील पेश कर सकता है कि बोनी कपूर ने 'श्रीदेवी' को पेटेंट नहीं कराया है। कई बच्चियों के नाम श्रीदेवी रखे जाते हैं आैर इस पर कानूनन बंदिश भी नहीं है। इसी तरह फिल्म कलाकार की अदाआें का भी पेटेंट नहीं होता। वकील सफाई शायराना कदम उठाएं तो यह भी कह सकते हैं कि कमसिन वय में, जीवन की उस अलसभोर में, मन कोमल लता की तरह सहारे की तलाश में रहता है। अपने भीतर होते परिवर्तन से कुछ चकित, कुछ भयभीत कमसिन नजर में सहानुभूति की डोर से खींचा चला जाता है। यह 'समर ऑफ 42' का भी कोई कॉपीराइट नहीं है। बोनी कपूर का वकील यह दावा कर सकता है कि इस तरह की प्रस्तुति एक किस्म का चरित्रहनन माना जाए। बहरहाल उम्र के उस दौर का बयां कुछ यूं भी हो सकता है कि "आज तो ध्वनियां तुम सुन नहीं पा रहे हो, वे तुम्हारी नाक के नीचे आैर आेंठो के ऊपर रोएं बनकर उभर आई हैं।'