मुझे स्कूल नहीं जाना / पवित्रा अग्रवाल

Gadya Kosh से
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शिक्षक अभिभावक मीटिंग में सयंम की माँ स्कूल आई थी ।टीचर ने कहा–'आपका बेटा तो पढ़ने में बहुत अच्छा था ।कक्षा छह तक वह चौथी, पांचवीं रेंक लाता था पर सातवीं कक्षा के शुरू में ही उसमे एक बहुत बड़ा बदलाव नज़र आरहा है ।क्लास में वह पिछड़ रहा है ।होमवर्क भी बेमन से करके लाता है ... इन गर्मी की छुट्टियों में एसा क्या हुआ है जिस से उसकी यह दशा हुई है?'

'हाँ टीचर हमें भी ऐसा ही लगता है, बहुत उदास रहने लगा है ।खाने पीने में भी कोई जिद्द नहीं करता'

' आपने जानने की कोशिश नहीं की?

'जानना चाहा पर कुछ कहता नहीं'

'आपके घर में कुछ ऐसा हुआ हो जिससे इसके मन को ठेस लगी हो, कोई बात तो ज़रूर है...मुझे चाहे आप नहीं बताइए पर इस पर ध्यान दीजिये'

' ठीक है टीचर हम कोशिश करते कारण जानने की ।

घर जाकर माँ ने कहा–'संयम बेटा तुम नहीं बताओगे तो हमें कैसे पता चलेगा कि तुम्हारी परेशानी की वज़ह क्या है।तुमने पढ़ने में भी ढील डाल दी है ।यदि ख़राब नंबर आये तो तुम्हे अच्छे स्कूल में दाखिला नहीं मिलेगा'

'मुझे नहीं चाहिए अच्छे स्कूल में दाखिला'

'तो फिर तुम क्या करोगे?'

'पापा कि दुकान है, मैं भी वहीँ काम कर लूँगा'

'बेटा काम तुम कुछ भी करो पर लड़कों के लिए पढना बहुत ज़रूरी है'

' क्या लड़कियों के लिए पढ़ना ज़रूरी नहीं है?

'हाँ लड़कियों के लिए भी ज़रूरी है पर आजकल बाहर का माहोल इतना ख़राब है कि लड़की को बाहर भेजते डर लगता है।'

'क्या लड़कों के लिए बाहर सब कुछ ठीक है?'

'उनके लिए भी सब ठीक तो नहीं है पर मजबूरी है ।जगह जगह शापिंगमॉल खुल गए हैं, पापा का व्यापार भी डांवाडोल है ।तेरे भविष्य के लिए तेरा पढ़ना बहुत ज़रूरी है ।बहन की तो शादी हो जाएगी तो उसे दूसरे घर चले जाना है ...'

'नहीं मम्मी लड़कियों का पढ़ना भी उतना ही ज़रूरी है ।मेरे क्लास के एक लडके की बहन ने पिछले दिनों आत्महत्या कर ली थी'

'क्यों?' माँ का प्रश्न था

'उसका स्कूल छुड़ा कर छोटी उम्र में ही उसकी शादी कर दी थी । ससुराल में उसके साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा था, वे शायद मारते पीटते भी थे ।वह ससुराल छोड़कर अपने माता पिता के घर आ गई थी। वापस नहीं जाने की जिद्द करती रही थी पर लोग क्या कहेंगे का डर दिखा कर उसे वापस ससुराल भेज दिया था ।वहाँ उसने आत्महत्या करली ।मेरा दोस्त कह रहा था यदि उसे पढाया होता तो वह हमारे साथ रहते हुए कहीं गुजारे के लायक नौकरी तो कर ही सकती थी।दोस्त कहीं अपने को भी ज़िम्मेदार मानता है कि उसने भी माता पिता को समझाने की कोई कोशिश नहीं की थी ।' संयम ने अपने मन की बात कही।

'अब समझ गई तू अपनी बहन की पढ़ाई छुड़ा देने की वज़ह से हमसे नाराज है?'

हाँ माँ, दीदी के बिना घर में मेरा मन नहीं लगता ।वह पढ़ने में बहुत अच्छी थी, मेरे होमवर्क में भी मेरी मदद करती थी। वह स्कूल जाने की जिद्द करती रही पर आपने उसे दादा–दादी के पास गाँव भेज दिया।'

' यह बात तुम ने तभी क्यों नहीं कही?

'पापा के डर से तब मैं कुछ बोल नहीं पाया ।दीदी को बुलालो माँ, उन्हें फिर से पढ़ने भेजो ।तब ही पढ़ने में मेरा दिल लगेगा वरना मैं भी स्कूल जाना छोड दूंगा।'

'तुम ठीक कह रहे हो बेटा।मुझे भी लग रहा है कि हम से गलती हुई है। मैं आज ही तुम्हारे पापा से कह का उसे वापस बुलाती हूँ। उसे स्कूल भी भेजूंगी पर तुम स्कूल छोड़ने की बात अब कभी नहीं करना'

संयम माँ से लिपट गया।