मुठभेड़ / सुरेश सौरभ
'पकड़ लिया।'
'जी साहब।'
'ठीक है। उसे पन्द्रह किलोमीटर वहीं ले जाओ जहाँ भूरा और कालू को मारा था। पहले दौड़ा-दौड़ा कर इधर-उधर फायर झोंकना, फिर अपनी वर्दी-सर्दी भी कुछ गंदी-संदी कर लेना। फिर वहीं साले को घने-घने खेतो में ठोंक देना।'
'जी साहब ओ के।'
' हाँ और सुनो कुछ मरे ज़िंदा कारतूस भी जहां-तहां-वहाँ छिंटका देना। एक देसी असलहा भी वहाँ डाल देना। साले ने बरसों से जीना हराम की रखा है। अब किसी भी क़ीमत पर बच कर जाने न पाए। अपने दो साथियो को भी वह उड़ा चुका है। अगर साले को कोर्ट में पेश करेंगे तो वहाँ उसे कालू भालू छुटा देंगे। आज ही ख़त्म करो साले बैन चोट का किस्सा।
' जी साहब जैसे कहा है बिलकुल वैसे ही होगा, बड़ी सावधानी से आप चिन्ता न करें।
अगले दिन अखबारों में ख़बर छपी। पुलिस मुठभेंड़ में एक नामी बदमाश मारा गया। उसे पकड़ने के लिए हज़ारों का ईनाम था। उसके साथ उसका एक साथी भी मारा गया, वह भी पड़ोसी जनपद का हिस्टीसीटर था। इनके पास कई जिन्दा-मरे कारतूस और देसी असलहे भी बरामद हुए। पुलिस टीम की इतनी बड़ी सफलता पर आला अधिकारी बहुत खुश हैं और पूरी टीम को सम्मानित करने का फ़ैसला किया है। इसके साथ ही इस सूचना पर खुश होकर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी इस इन्काउन्टर करने वाली, स्पेशल टास्क फोर्स का, प्रमोशन करने का फ़ैसला किया है।