मुर्दे की मौत / सुधाकर राजेन्द्र
गाँव के बधार में एक लाश पड़ी थी। देखने के लिए गाँव वालो की भीड़ लगी थी। थाने की पुलिस आ पहुंची। चेहरा विकृत हो जाने के कारण लाश की पहचान नही हो पा रही थी। तभी दारोगा ने ग्रामीणो से पूछा-इस लाश को कोई पहचानता है? लाला सिंह ने कहा- हाँ सर लगता है यह मेरे बड़े भाई मोहन शर्मा की लाश है। वे दस दिनों से घर से लापता हैं। बहुत खोजबीन किया पर पता नही चल सका।
लगता है नहीं, इसे ठीक से पहचानो। लाश इतनी विकृत हो चुकी थी कि उसे पहचान पाना कठिन था पर मोहन शर्मा की पत्नी और बेटे ने भी पहचान की कि यह लाश मोहन शर्मा की है। दारोगा ने एफ.आई.आर. करते हुए लाला शर्मा से पूछा, हत्या की अंदेशा भी किसी पर है? लाला शर्मा ने महेश दास और सहेश दास का नाम बताया, दोनों दलित और लाल झंडा के समर्थक थे। दारोगा मधुसूदन सिंह ने दोनो भाईयो को मोहन शर्मा की हत्या के आरोप मे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस हत्या कांड के आरोप में महेश और सहेश दास दोनो भाईयों को न्यायालय से आठ साल की सजा हा गई। इस लम्बे अन्तराल में दोनो भाईयो का परिवार विखरने लगा पार्टीवालों के सहारे दोनो का परिवार किसी प्रकार चलता रहा।
आठ साल की लम्बी सजा काट कर आज महेश और सहेश दास जेल से गाँव लौटा है। कबीर पंथी निर्गुनियां दास ने दोनो के जेल में बीते पलो की जानकारी ली और कहा, सतगुरू की कृपा से बन्दी छुट आया बेटा। यह सब उसी परमात्मा की कृपा है। अब आगे की सुध् लो सब ठीक हो जाएगा।
महेश, सहेश दोनो भाई खलिहान मे रब्बी फसल की दमाही में लगा था। तभी निर्गुनियां दास की बेटी तेतरी दौड़ती हुई आ कर बोली हो-भईया, मोहन शर्मा जिन्दा लौट आया हो। आभी-अभी उसे अपने घर जाते देखा है। धत ससुरी, तूं दिन में सपना देख रही है का? तभी सहेश ने कहा, हां भईयों-हो सकता है। हमने तो मोहन शर्मा की हत्या की नहीं, आरोप में भले हीं सजा काट लिया। कानुन तो अंध होता है न?
मोहन शर्मा को जिन्दा लौट आने की खबर पूरे इलाके में जंगल की आग कि तरह फैल गई। उसके घर पर गाँव वालों की भीड़ लग गई। मोहन शर्मा ने गाँव वालों को बताया- मेरी हत्या नहीं हुई। मैं अपने भाई लाला शर्मा से लड़कर गुस्से में कमाने कलकत्ता चला गया था। क्रोध् के कारण इतने दिनों तक कोई खबर नहीं दी। सोंचा अचानक घर लौटूंगा सो आज लौट आया। मोहन शर्मा को जिन्दा लौट आने से सब लोग चकित थे। निर्गुनियां बाबा ने समाज में सवाल उठाया कि वह लाश किसकी थी? नाहक महेश और सहेश दास को हत्या के आरोप में फंसाया गया। जेल भेजा, सजा काटी, अब क्या होगा? अबरा के माउग सबके भौजाई?
दलित टोला के निर्गुनियां बाबा का निर्गुण भजन जारी था। अपनी खंजड़ी पर निर्गुण गाते हुए वे सुना रहे थे- ‘‘ए साधु बाबा विलईया मारे मटकी
केकरा के डपटी केकरा के झपटी
केकरा के मारेले बार बार पटकी
ए साधु बाबा विलईया मारे मटकी ।
तबहिए टुभोकन दास टुभक पेड़े- ए बाबा! आज थाना, आउ कोटो कचहरी में ऐसने बिलाई बिलार बैठल हय । टुभोकन के इस बात पर निर्गुण सुनने वाले श्रोता सब ठठा कर हंस पडे़।
निर्गुनियां बाबा के टोला में आज रात लालझंडा बाले कॉमरेड लोग की मीटिंग है। कॉमरेड चट्टान सिंह की अध्यक्षता में सभा शुरू हुई। सभा की शुरूआत जनवादी गीत से हुआ, जिसमें निर्गुनियां बाबा की बेटी तेतरी, महेश की बेटी- धनेसरी, सहेश की बेटी फूलेसरी और उसकी सहेलियों ने जनवादी गीत शुरू किया-
मोटर चढ़के अएमे सिपाहिया
रंथी चढ़ के जएमें रे,
राइफल लेकें अएमें सिपाहिया
खाली हाथे जएमे रे।
मिटिंग में निर्णय लिया गया कि निर्दोषो को थाना पुलिस और कानून कब तक तंग तवाह करती रहेगी। यह जुर्म और अत्याचार हम बर्दास्त नहीं करेंगे। हम जनवादी जनतंत्र की स्थापना करेंगे। मोहन शर्मा की हत्या के आरोप में हमारा कॉमरेड महेश और सहेश दास आठ साल की सजा काट चूका है जबकि मोहन शर्मा जिन्दा लौट आया है।
कुछ दिनो के बाद गाँव में गोलियां चली। मोहन शर्मा मारा गया। पार्टी वालो ने मोहन शर्मा को सरेआम गोली मार दी। उसी थाना में मोहन शर्मा की हत्या के आरोप में महेश सहेश दास को दोबारा हत्या का अभियुक्त बनाया गया।एक ही व्यक्ति की दोबारा हत्या के आरोप में अभियुक्त बनाए जाने के मामले से थाना पुलिस खूद उलझ गई। महेश ,सहेस को पुनः जेल भेज दिया गया। न्यायालय में दोनो भाईयों को पेश करते हुए उसके वकील ने जज से पूछा कि जिस व्यक्ति की हत्या हुई है वह आठ साल पहले मर चुका है। क्या एक ही व्यक्ति की दोबारा हत्या होती है ? उसी की हत्या के आरोप में महेश सहेस दोनो भाई आठ साल की सजा काट चुका है। वकील के इस सवाल से जज और पूरा न्यायालय अवाक रह गया।