मुसलमान /फ़ज़ल इमाम मल्लिक
स्कूल में होने वाले नाटक के लिए अहमद सर बच्चों में रोल बाँट रहे थे।
"रवि! तुम नाटक में मुसलमान बनोगे..."
"नहीं सर मैं मुसलमान नहीं बनूंगा..." --रवि ने डरते-डरते कहा।
अहमद सर अचंभित हो गए। रवि ने इससे पहले तो कभी किसी बात से इनकार नहीं किया था ।
"आख़िर क्यों...?"
"मुसलमान ख़राब होते हैं...लोगों को मारते हैं..." --नन्हे रवि ने बहुत ही मासूमियत से कहा।
अहमद और भी परेशान हुए । पर उन्होंने पूछा-- "किस ने कहा तुमसे...मुसलमान ख़राब होते हैं..."
"हमारे घर के पास एक अंकल हैं...उन्होंने कहा।" --रवि ने उसी मासूमियत से जवाब दिया।
परेशान अहमद ने रवि से पूछा--"मैं कैसा लगता हूँ तुम्हें...?"
"आप तो हमारे फ़ेवरिट सर हैं... बहुत अच्छे..." --रवि ने बिना हिचके कहा।
"लेकिन मैं तो मुसलमान हूँ..." --अहमद ने रवि से कहा।
"अंकल कितने झूठे हैं ..." --अब रवि की आँखों में हैरत थी।