मूली और मामूली / दीपक मशाल
Gadya Kosh से
गली में छुट्टा घूमने वाला वो नगर पालिका का सांड कुछ दिनों से अचानक ही अजीब स्वभाव का हो चला था। बेवजह किसी के भी पीछे नथुने फुलाकर दौड़ पड़ता। अभी पिछले हफ्ते तो उसने मोहल्लेवालों का बड़ा मनोरंजन किया जब एक मामूली हाथ ठेलावाले के ठेले पर लदी हरी सब्जी के दो-तीन गट्ठे खा गया और रोकने पर अपने खतरनाक सींगों के दम पर उस गरीब को दूर तक खदेड़ दिया।
मगर आज नगरपालिका वाले उसे पकड़ कर ले ही गए। हद ही हो गई उसने सब्जी खरीद कर लौट रहे सभासद के चाचा की डोलची से मूली जो खा ली थी।