मेलजोल / मनोहर चमोली 'मनु'
कलर बातें कर रहे थे। गुलाबी कलर बोला,‘‘मैं सबसे ख़ास हूँ।’’ हरा कलर बोला,‘‘धरती में हरियाली मुझसे है।’’ नारंगी ने कहा,‘‘मेरी बात ही कुछ और है। तुम सब मेरे सामने फीके हो।’’ काला कलर अब तक चुप था। वह हँसने लगा। सफेद ने उसे घूरा। बोला,‘‘तुम तो दूर ही रहो।’’
अनवर कूची लेकर आया। उसके हाथ में एक सफेद काग़ज़ भी था। उसने भूरे कलर की शीशी उठाई। कलर एक कटोरी में पलट दिया। अब नीले कलर की शीशी उठाई। उसका कलर भी कटोरी में उड़ेल दिया। भूरा और नीला कलर कुछ समझ नहीं पाए। अनवर ने कूची से उन दोनों को मिलाया। अब कटोरी में काला रंग बन गया था।
नारंगी और हरा कलर हैरान थे। वह डर गए। काला कलर बोला,‘‘हम सब एक-दूसरे के सहयोगी हैं। इतराना बुरी बात है।’’ तभी अनवर ने लाल और सफेद कलर की शीशी उठाई। उन्हें एक दूसरी कटोरी में पलट दिया। कूची से मिलाया तो नया गुलाबी रंग बन गया। अब सब कलर चुप थे। कूची काग़ज़ पर इधर-उधर दौड़ रही थी। अनवर ने मुखौटा बनाया। मुखौटे में एक चेहरा था। चेहरे पर सजे रंग हँस रहे थे।