मेहमान / शमशाद इलाही अंसारी
रात के खाने के बाद करीब दो-तीन घंटों तक मुख्तलिफ़ न्यूज़ चैनलों की खबरों से ऊंघ कर ताहिर खान ने अपने दिन को मुक्कमिल करने की ठान ही ली थी। दांतों को ब्रश करके घर की फालतु बिजलियाँ बंद की और अपने बिस्तर पर लेट गए। उनका बिस्तर उनके लिविंग रूम में ऐसी स्ट्रेटिजिक पोजीशन में था कि जहाँ से घर का मुख्य दरवाज़ा एक दम साफ़ दिखता। उनकी निगाह से घर में आने जाने वाला शायद ही कोई बच सकता हो? लेकिन उन्हें कौन देख रहा है यह उन्हें मालूम नहीं होता। तीन बेटे और एक बेटी जिसके घर में हो तब अक्सर आम एशियाई पिताओं की हरकतें ताहिर खान जैसी ही हो जाती है। यहाँ पश्चिम में रहने वाला एशियाई तबका अपने कथित मूल्यों, संस्कृति और धर्म को बचाने के लिए अक्सर माँ-बाप कम प्राइवेट डिटेक्टिव अधिक बन जाते हैं। ताहिर खान को कनैडा आये हुए यूं तो एक ज़माना हो चुका लेकिन ३० बरस की शदीद ठण्ड के वाबजूद उनकी जुबान आज तक वही है जैसी पकिस्तान में हुआ करती थी।
अचानक कोयल बोली, फिर दूसरी बार बोली तब ताहिर खान की आंख खुली कि घर के दरवाज़े पर कोई है। अलार्म रेडिओ पर गौर किया तो मालूम हुआ रात के १२ बजाकर ३५ मिनट हुए है।
कौन है ? दरवाज़ा खोलने से पहले ताहिर खान ने धीरे से पूछा
मेरा नाम शाहिद है सर।
ताहिर खान अब दरवाज़ा खोल चुके थे, उनके सामने तकरीबन ६ फीट का लईम शईम, सूट बूट पहने एक खूबसूरत नौजवान लड़का खड़ा था जिसके एक हाथ में ब्रीफ केस और दूसरे हाथ में भरा हुआ हैमर सैक था।
किससे मिलना है ? क्या मैं तुम्हें जनता हूँ ? मेरा मतलब इतनी रात में किसी के घर पर दस्तक करना ।ताहिर खान ने दरवाज़े के बाहर खड़े उस लडके पर एक साथ इतने सवाल जड़ दिए।
आपके पास कमरा है ? अंकल मैंने आपका इश्तहार अखबार में देखा था, मुझे कमरे की जरुरत है। २५-२६ साल के लडके ने ताहिर खान के पके बालों और चेहरे की सिलवटों को भांपते हुए अपनी टर्म बदल दी।
देखें।क्या नाम बताया आपने ?
जी शाहिद मुन्नवर मेरा नाम है
ओके शाहिद बेहतर होगा कि आप सुबह आएं, मकान किराए पर लेने के लिए रात के साढ़े बारह बजे कोई मौका नहीं होता, कह कर ताहिर खान ने दरवाज़ा बंद करने के लिए हाथ बढ़ाया।
अंकल एक मिनट, मेरी पास कोई दूसरी जगह नहीं है, मेरे साथ कुछ इमरजेंसी है कि मुझे रात को आना पड़ा। आपकी मेहरबानी होगी कि आप मुझे अभी कमरा दे दें। मैं किराया अभी देने के लिए तैयार हूँ। शाहिद ने अपनी बात फुर्ती से कही।
दरवाज़ा बंद करने के लिए बढे ताहिर खान के हाथ रुक गए और आधा बंद हुआ दरवाज़ा पूरा खुला, शाहिद फ़ौरन अन्दर दाखिल हुआ और उसने तेज़ी के साथ अपने जूते उतारे और शू केस में रखे। ताहिर खान उसे अपने मकान के अन्दर वाले रास्ते से नीचे बने कमरे में ले गए और उसे वह कमरा दिखाया जो खाली था।
मुझे कमरा पसंद है अंकल, यह जो बेड है इससे मेरा गुजारा हो जायेगा, बस एक रात के लिए मुझे तकिया दे दे, बाकी जरुरत का सामान मैं कल ले आऊँगा, शाहिद ने कमरा और उसमे पड़े पलंग का मुआयना करते हुए धीरे से कहा।
ताहिर खान ने तकिये के साथ एक रजाई भी दे दी, शाहिद ने अपने हैमर सैक से अपना कम्बल निकाला और तकिया लगा कर ढेर हो गया।
।इतनी रात गए तुमने एक अनजाने लडके के लिए दरवाज़ा खोला, न केवल खोला बल्कि घर में दाखिल कर लिया ।दाखिल ही नहीं उसे कमरा किराए पर दे दिया ।वाह ताहिर वाह ।तुम्हारा भी जवाब नहीं ? अपने बिस्तर पर फिर लेटते हुए ताहिर खान अन्दर बैठे ताहिर ने सवाल किया।
तो क्या हुआ ? तुझे आज पता चला ? मैं तो ऐसा ही हूँ।और ऐसा ही रहूँगा।और सुन मेरे ऐसा होने की वजह से मेरा आज तक क्या कोई नुकसान देखा है तूने? चल भाग ।बड़ा आया इल्म देने वाला। मैं सच्चा तो सब कुछ सच्चा। ताहिर ने खुद अपने भीतर उठ रहे सवालों का जवाब दिया और फिर सो गए।
सुबह ताहिर की अम्मी और उसकी बीवी की किचन से आ रही आवाजों से ताहिर की आँख खुली, किचन की तरफ नज़र गयी तो वहां एक अनजाने चेहरे को अपनी अम्मा से बाते करते देखा।
अरे! यह तो वही लड़का है जो रात में आया था, क्या नाम है उसका ?।हाँ शहीद, नाज़िमाबाद कराची वाला। रात हुई मुख़्तसर बातचीत को खुद को याद दिलाते हुए ताहिर खान अब पलंग छोड़ चुके थे और सीधे किचन में घुसे जहाँ उनकी बेगम अपने लिए चाय बना रही थी। डायनिंग टेबल पर शाहिद ताहिर खान की वालिदा से चुपके-चुपके ऐसे लहजे में बात कर रहा था जैसे उनकी पहचान बरसों पुरानी हो। कुछ देर में ताहिर खान के स्कूल जाने वाले दो छोटे बच्चे भी नाश्ते के लिए आ गए। शाहिद ने बच्चो से बे तकल्लुफ्फ़ी से उनकी क्लासें पूछी उनके सबजेक्ट्स पूछे और कहा कि अगर किसी सबजेक्ट में कुछ परेशानी हो तो वह मदद कर सकता है।
आप मुझे अपनी इमरजेंसी बताने वाले थे, ताहिर खान ने चाय का प्याला शाहिद की तरफ बढाते हुए सवाल किया।
जी, दरअसल मेरा झगडा अपने वालदायन से हो गया, गलती मेरी ही थी कि मैंने वक्त नहीं देखा।
झगडा? क्यों ।क्या वजह हुई ? ताहिर खान ने सवाल किया
अंकल, मैं अपनी पसंद की लड़की से शादी करना चाहता हूँ और ये बात उन्हें नगवार गुजरी और उन्होंने मुझे घर छोड़ देने का हुक्म दे दिया।
।शादी की बात पर,। क्या किसी गोरी से ।?
नहीं अंकल, रुखसार पकिस्तान की है लेकिन वो अफ़गान है और मेरे वालिद किसी अफ़गान के साथ रिश्ते को मंजूर नहीं कर रहे।
कमाल है, ये भी कोई बात हुई, दोनों अहले सुन्नत हो इस शादी पर तो उन्हें खुशी होनी चाहिए ।ताहिर खान अपनी बात पूरी भी नहीं कर सके कि शाहिद फिर बोल पड़ा।
जी, यही तो मैं उन्हें समझाते-समझाते तंग आ चुका हूँ, लेकिन वो बज़िद है कि मैं उनके भाई की लड़की से निकाह करूँ। लेकिन मैं और रुखसार एक दूसरे को पिछले १० साल से जानते है।
इस लिए मैंने उनका घर छोड़ना ही मुनासिब समझा, अखबार में आपका इश्तहार देखा और छोटे भाई की गाडी लेकर मैं सीधा यहाँ आ गया, बस यही मेरी इमरजेंसी थी।
बच्चों के जाने की जल्द बाज़ी में वही मसला डिस्कस न हो सका जिसका ताहिर खान को इंतज़ार था, यानि कमरे के किराए की शरायात पेशगी, किराए की तारीख और रकम वगैरह वगैरह।
इस मुख़्तसर बात के बाद ताहिर खान के बच्चो की स्कूल रुखसती हुई उनके साथ साथ ही शाहिद भी अपना बैग लिए बाहर चला गया, जाते वक्त ताहिर खान से बोला कि वह शाम ७-८ बजे तक लौटेगा।
शाहिद के जाने के बाद ताहिर खान खुद अपने आप से वो सवाल करने लगे जो उन्हें शाहिद से करने थे। अरे रात में आया तब यह था कि सुबह किराए भाड़े की बात करनी थी, अब सुबह हुई तो यह निकल गया रात में आठ बजे तक लौटने के लिए। यह लड़का अजीब है ताहिर मियां, एक दिन तुमको वह गद्दा देगा कि तुम देखते रह जाओगे?
हां देख लूँगा।खुद को दिलासा देते हुआ ताहिर खान ने खुद को समझाया।
रात में ताहिर को जब शाहिद के बारे में याद आया तब ९ बज चुके थे। वह नीचे शाहिद के कमरे तक गए। उसे बंद देख वापस आ गए। इसी उधेड़ बुन में उन्हें कब नींद आ गयी उन्हें पता न चला। अगले दिन सुबह करीब दस बजे उनके बेसमेंट वाले दरवाज़े पर दस्तक हुई। दरवाज़ा खोला तो शाहिद सामने था इससे पहले की ताहिर कुछ कहते शाहिद ने अपनी मांग बेबाकी से रख दी। ‘अंकल मुझे आपकी गाडी चाहिए आज, जुमा है न नमाज पढ़ने जाना है मुझे’
ताहिर खुद तो नमाज पढ़ने जाते नहीं थे, उन्होंने सोचा कि चलो एक नमाजी को गाडी देकर थोड़ा सवाब ही कमा ले।
करीब एक घंटे बाद शाहिद ऊपर आया और ताहिर खान से उनकी गाडी की चाबी ले कर नमाज पढ़ने चला गया उस वक्त उसने धुला कुर्ता पजामा और नार्थ फेस की गर्म जेकेट पहन राखी थी। शाहिद तुम जल्दी आना मुझे कुछ काम है इसलिए गाडी चाहिए। चाबी सुपुर्द करने से पहले ताकीद के अंदाज में ताहिर खान ने शाहिद से कहा।
धीरे-धीरे घड़ी की सुईयां आगे बढ़ने लगी, तीन बजे से लेकर शाम ६ बजे तक ताहिर खान की निगाह कभी घड़ी तो कभी दरवाजे पर अटकी हुई उनका ब्लड प्रेशर बढाती रही। तकरीबन साढ़े छः बजे शाहिद की आमद हुई। इससे पहले कि खामोश और ठन्डे मिजाज ताहिर खान अपने गुस्से का इज़हार करते। शाहिद ने फिर पहल कर दी। अंकल आज मस्जिद में काफी काम था। मैं नमाज के बाद चंदा जमा करने और साफ़ सफाई का भी जिम्मेदार हूँ इसलिए मुझे वक्त लग गया इसके लिए माफी चाहता हूँ। ताहिर खान ने गौर से शाहिद की आँखों में देखा, जाने क्यों उन्हें तसल्ली हुई कि जो सुना वह सच ही है।
कोई बात नहीं।तुम बड़े थके से लग रहे हो शायद सोये नहीं ठीक से? चाबी वापस देते हुए शाहिद अपने कमरे की तरफ नीचे बेसमेंट में चला गया। थोड़ी ही देर में शाहिद फिर ऊपर आया ताहिर खान सोफे पर बैठे अपने काम में मसरूफ थे। उनकी निगाह जैसे ही शाहिद से मिली तब तक शाहिद दिखने में एक बहुत ही नफीस से ब्रीफकेस को उनकी टेबिल पर रख चुका था। ‘अंकल ये मेरा बैग आप अपने पास रख ले, मेरे पास कोई हिफाज़त वाली जगह नही जरूरत पड़ने पर इसे मैं आपसे ले लूँगा’
‘ठीक है’ ताहिर खान के छोटे से जवाब को सुनते ही शाहिद लौट गया। ताहिर खान ने जब वह अमेरिकन ट्रेवलर्स का बैग उठा कर सेफ में रखा तब उन्हें उसके वज़न और कीमत का अहसास हुआ। फिर आदतन उनके जहन में कई सवाल उठे जिनका जवाब उन्होंने खुद दिया।
कोई दो दिन के बाद दोपहर के वक्त ताहिर खान के अंदरुनी दरवाजे यानि वही बेसमेंट में जाने वाले दरवाज़े पर दस्तक हुई। खाना खा रहे ताहिर ने दरवाज़ा खोला तो सामने बना ठना शाहिद खड़ा था दुआ सलाम हुई, ताहिर खान ने शाहिद से कहा कि खाना खा लो।’ वाह ।नेकी और पूछ पूछ, कसम से बहुत भूख लगी है, मैं लेट हो रहा हूँ लेकिन आपने इसरार किया तो खाना छोड़ भी नहीं सकता।सालन की खुशबू भी बहुत शानदार आ रही है’ शाहिद ने हक़ करी न धक वाश बेसिन पर पहुँच कर फ़ौरन हाथ धोये और खाने की टेबिल पर हाजिर हो गया। ताहिर शाहिद के इस बिला तकल्लुफ अंदाज़ के लिए जहनी तौर पर तैयार न थे। ताहिर खान ने अपनी बेगम को इशारे से इंतजाम करने को कहा, एक प्लेट में सालन कीमा, बोल में सलाद और रोटी फ़ौरन आ गयी और शाहिद खाने पर ऐसे टूट पड़ा जैसे कई दिनों से भूखा हो।
सालन तो आपने बिलकुल मेरी अम्मी के जैसा बनाया है माशाल्लाह, बहुत लज़ीज़ है। निवाला जल्दी जल्दी निगलते हुए धीरे से शाहिद ने बेगम ताहिर खान से कहा। छोटी सी मुस्कान के साथ उन्होंने बड़ा मुख्तसर सा जवाब देते हुए कहा ‘शुक्रिया’
ताहिर खान एक निवाले से दूसरे निवाले के बीच इंतज़ार कर रहे थे कि कब कुछ बात शुरू करे। निवाला बनाते वक्त वो शाहिद को कुछ कहने वाले ही थे कि शाहिद ने कहा, लेट हो रहा हूँ।निवाला मुँह में रख कर जल्दी जल्दी चबाते हुए बोला ।लेकिन आपके खाने ने मुझे मजबूर कर दिया। पांच मिनट भी नहीं हुए कि वह दो रोटियां ख़त्म कर टेबिल से उठ गया। अपने बर्तन तेज़ी से वाश बेसिन में रखते हुए नेपकिन से हाथ साफ़ करते हुए बोला। ‘अंकल कल मिलूंगा फिर बात करते है मुझे भी आपसे बहुत बाते करनी है’ कुछ ही सैकिंड में वह घर से बाहर हो गया। ताहिर खान अभी खाना खा ही रहे थे। ‘ये मुल्क आदमी को इंसान से मशीन बना देता है’
एक हफ्ता गुजर गया ताहिर खान अपने जागने तक शाहिद का इंतज़ार करते सुबह उनके उठने से पहले शाहिद अपने काम पर चला जाता। एक दिन रात में करीब साढ़े दस बजे ताहिर खान के दरवाज़े पर दस्तक हुई, दरवाज़ा खोला तो सामने शाहिद खड़ा था।
‘अरे तुम हो कहाँ इतने दिनों से मैं इस फिराक में था कि तुम से बात करूँ, ये आँखे इतनी भारी क्यों हो रही है तुम्हारी क्या सोये नहीं ?
अंकल क्या मेरा बैग देंगे मुझे ? शाहिद ने ताहिर खान के सवालों का जवाब दिए बिना अपना सवाल रख दिया।
हाँ जरुर, सब खैरियत है न? ताहिर खान ने फ़ौरन शाहिद का बैग लेने के लिए वापस मुड़ते हुए कहा। शाहिद ने अपना बैग लेकर ताहिर खान को अपने कमरे में आने के लिए कहा। कमरे में घुसते ही उसने अपने बैग का कोड नंबर मिलकर खोला तो उसमे नोटों की गड्डियाँ, कैमरा, कीमती घड़ियाँ और दीगर कीमती सामान देख कर ताहिर खान की आँखे कुछ लम्हों के लिए फ्रीज़ हो गयी। नोटों के एक बंडल में से १००-१०० डालर के ६ नोट निकाल कर शाहिद ने ताहिर खान की तरफ बढ़ा दिए।
‘ये लीजिये इस महीने का किराया और हाँ अंकल मुझे आपकी गाडी कल सुबह एक बार और चाहिए मैं दोपहर तक वापस आऊँगा और फिर आपके साथ सीधे टोयोटा शो रूम चल कर मुझे करोला खरीदनी है, उम्मीद है आप न नहीं कहेंगे। और हाँ कल सुबह सात बजे टी वी देखिएगा। मैं पुलिस कमिश्नर के एक कार्यक्रम में शरीक हो रहा हूँ आप मुझे टी वी पर जरुर देखेंगे”
नहीं नहीं ।मैं किराया लेने नहीं आया था, जब महीना खत्म हो जाए तब दे देना, ताहिर खान ने शाहिद के नोटों वाले हाथ को पीछे करते हुए कहा।
ठीक है, चाबी ले जाना, ताहिर खान ने शाहिद के कमरे का नज़ारा करते हुए देखा। उसके कपड़ो की क्लोसेट से कई जोड़ो कीमती सूट, और आधे भरे आधे खाली कई गिफ्ट पैक इधर उधर रखे थे। ऊपर जाते हुए उनके जहन में फिर सवाल जवाब शुरू हुए। तुझे पैसे ले लेने चाहिए थे ताहिर। फिर उन्होंने खुद को जवाब दिया, बेवकूफ आदमी इस लड़के ने तुझ पर इतना भरोसा किया। उसके बैग में बीसियों हजार डालर नकद और हजारो डालरों का सामान था और बिना शक किये उसने तुझे थमा दिया, उसका इतना भरोसा और तू अपने ६०० डालरों को लेकर उस पर शक कर रहा है ।लानत है तुझ पर। खुद को कोसते हुए और शाहिद के बारे में नेक ख्याली के साथ उनकी आंख लग गयी। सुबह सुबह करीब साढ़े तीन बजे उनके दरवाज़े पर दस्तक हुई। उन्होंने दरवाज़ा खोला तो शाहिद को शानदार लिबास में खड़े देखा अरमानी का सूट एल्डो के ब्रांडेड जूते,कार्टियर का चश्मा और किसी महंगे इत्र की खुशबु से शाहिद किसी दुल्हे की तरह सजा खड़ा था उसके हाथो में वही बैग और दो प्लास्टिक के बैग्स में गिफ्ट पैक्स भरे पड़े थे जो लगातार बाहर झांक रहे थे।
ताहिर खान ने बिना सवाल पूछे कार की चाबी शाहिद के हवाले की और बिना कुछ बोले उसे दरवाजे तक विदा किया। गाडी के स्टार्ट होने की आवाज उन्हें आयी और फिर अपने बेड पर आकर वह सो गए।
साढ़े पांच बजे कोयल बोली, एक बार फिर बोली। ताहिर खान की आँख खुली और दरवाज़े की तरफ बढे। दरवाज़ा खोलने से पहले बोले। कौन? हु इज दिस ?
पुलिस। बाहर से आवाज़ आयी।
इतने सुबह पुलिस, ताहिर खान ने दरवाज़े में लगे पीप होल से देखा तब उन्हें तीन चार काले रंग के साए दिखाई दिए। उन्हें यकीन हो गया कि यह पुलिस ही है। दरवाज़ा खोलते ही तीन पुलिस कर्मी उनके घर में दाखिल हुए।
आर यूं मिस्टर ताहिर खान ?
यस आई ऍम ताहिर खान ?
‘इज दैट ट्रू ब्लैक शेवरले मालिबू विथ प्लेट न बी ऍम के ७६६ वास रजिस्टर्ड अंडर योर नेम?
यस आई ऍम दी आनर आफ़ दैट कार। ताहिर खान ने जवाब दिया।
आर यू अवेयर दैट सम शाहिद मुन्नवर वास ड्राइविंग दैट कार ? अफसर ने दूसरा सवाल किया।
यस इट्स ट्रू, शाहिद बोरोड़ माई कार दिस मार्निंग।
हाऊ लांग यू नो मिस्टर शाहिद मुनव्वर? मुनव्वर लफ्ज़ पर अटकते हुए पुलिस अफसर ने पुछा।
वैल, आई नो हिम एस माई टेनेन्ट सिंस अबाउट टू वीक्स।वाहई आर यू आस्किंग आल दिस? इस एवेरीथिंग ओके?
आई ऍम सारी टू टेल यू शाहिद इज नो मोर।
इतनी बात सुन कर ताहिर खान के हाथ कांपने लगे पेशानी पर पसीने की बूंदे उभर आयी और घबराहट में वह अपने सोफे की तरफ बढे।
तभी पीछे से उर्दू में कोई आवाज उन्हें आयी। आप घबराएं नहीं। तसल्ली से बात कर लें।
उन्होंने मुड कर पीछे देखा तो पुलिस की वर्दी में एक एशियन शक्लो सूरत वाला भी शामिल था।
अब तक ताहिर खान की बीवी और बच्चे नीचे आ चुके थे। ताहिर खान की हालत देखते हुए उनकी बीवी ने उन्हें पानी का गिलास दिया पानी पी कर जरा संभलते हुए उन्होंने पुलिस वालो को उनके सवालों के जवाब दिए। पुलिस वालो ने उन्हें बताया कि शाहिद जिस कार से जा रहा था वह रास्ते में एक हाई वे रैम्प पर खराब हो गयी थी जिसे किनारे खड़ा कर के वह फोन कर रहा था कि पीछे से एक तेज़ी से आ रहे ट्रेलर ने उसकी कार में टक्कर मार दी। टक्कर इतनी शदीद थी कि कार में आग लग गयी। वक्त के इस कोहराम ने शाहिद को कार से बाहर निकलने की मोहलत ही न दी और वह फायर बाल बनी कार में ही जल कर मर गया। तकरीबन पचास लीटर पैट्रोल से कार का टैंक ताहिर खान ने कल शाम खुद फुल कराया था, इतने इंधन में कार का कुछ ही लम्हों में जल कर तबाह होना स्वाभाविक ही था।
पुलिस करीब ४० मिनट तक ताहिर खान के ब्यान रिकार्ड करती रही, उनके सवालों का मकसद शाहिद के चरित्र को रिकार्ड करना था क्या वह शराब पीता था, ड्रग लेता था उसके दोस्त उसके परिवार के बारे में सूचनाएं आदि आदि। ताहिर खान उनकी सभी बातों का तसल्लीबख्श जवाब देते रहे। पुलिस के जाने के बाद उन्होंने फ़ौरन टीवी आन किया। ट्रैफिक अपडेट्स से लेकर न्यूज चैनल्स पर इसी सड़क दुर्घटना की तस्वीरों के साथ एक नौजवान लडके की मौत की खबर सुर्खियों में थी।वो अपनी ज़िंदगी से गुजर रहे भयानक हादिसे को भुगत रहे थे। उन्हें शाहिद के बताये कार्यक्रम को आखिर देखना ही था जिसकी सूचना शाहिद ने उन्हें खुद दी थी। वो टी वी पुलिस कमिश्नर के एक कार्यक्रम में बेहतर सर्विस करने वाले पुलिसकर्मियों को कम्युनिटी की तरफ से इनाम देता दिखाया जाने वाला था। टी वी पर जरुर उसी के खबर चल रही थी लेकिन जिक्र उसकी दर्दनाक मौत का हो रहा था जिसका उन्हें दूर दूर तक कोई गुमान भी नहीं था। यह बात उन्हें रह रह कर याद आ रही थी कि शाहिद ने पुलिस फाउंडेशन कोर्स किया है और वह पुलिस फ़ोर्स में भर्ती की कोशिश भी कर रहा है।
देखते देखते कई टी वी चैनल्स के क्रू उनके घर के सामने पंहुच गए। शाहिद के कमरे के नजारों के साथ साथ ताहिर खान के छोटे से इंटरव्यू की फुटेज समाचारों की सुर्खियों में रही। डस बजे तक ताहिर खान को इस अंजानी मुसीबत और शाहिद की मौत के अहसास ने बोझल कर दिया था। उन्होंने अपने जानकार वकील को फोन करके मशविरा भी कर लिया और अपने तमाम अज़ीज़ रिश्तेदारों को फोन पर इस अनचाहे हादिसे की खबर भी दे दी।
करीब ग्यारह बजे उन्हें एक फोन आया, फोन करने वाले ने अपना नाम मुनव्वर खान बताया और यह भी बताया कि वह शाहिद के वालिद है।
‘आपने पुलिस को क्या बयान दिया’?
वही जो मुझे शाहिद के बारे में पता था।
जी मैं वही जानना चाहता हूँ कि आपने उनके किन किन सवालों के क्या क्या जवाब दिए?
ताहिर खान को जो याद आया वह तफ्सील उन्होंने मुनव्वर खान को बता दी।
कोई दवाई, कोई बीमारी का जिक्र ।?
नहीं ऐसा कोई जबाव मैंने नहीं दिया उन्होंने पूछा जरुर था कि क्या वह कोई ड्रग लेता था ?
आपने क्या जवाब दिया?
मैंने कहा कि नहीं ।मैंने उसे कुछ ऐसा वैसा करते कभी नहीं देखा।
ठीक है, आपने सही किया। शाहिद डिप्रेशन का शदीद शिकार था उसका इलाज चल रहा था। आप इस बात का जिक्र न करे। आपकी कार का नुकसान हुआ है जिसे हम पूरा कर देंगे।आप किसी बात की फ़िक्र न करे।
करीब चार दिनों के बाद शाहिद को दफनाया गया। ताहिर खान नमाज़े जनाज़ा में शिरकत करने के लिए अपने घर से करीब ३० किलोमीटर दूर वोन शहर में शाहिद के वालिद मुनव्वर खान के घर के नज़दीक एक बड़ी मस्जिद में गए थे। इसी मस्जिद में मुनव्वर खान इन्तज़ामिया थे। सफ़ेद चिट्टे चेहरे पर काली चमचमाती दाढी जो अपने बीचो बीच उम्र का सफ़र सफ़ेद धारियों में ब्यान करती झलकती थी। वहीं उन्होंने पहली बार मुनव्वर और उसके चार भाइयो दो बहनों और वालिदा को एक साथ देखा था। नमाज़े जनाज़ा में शामिल हुए करीब ३०० लोगो की भीड़ से यह साफ़ था कि मुनव्वर खान की इलाके के मुसलमान समुदाय में काफी इज्जत थी और रुतबा भी। उनके माथे के बीचो बीच पड़े हल्के से कत्थई रंग के निशान से साफ़ जाहिर था कि वह कनैडा में रहते हुए भी रोज़े नमाज़ के पाबंद इंसान थे। कब्रिस्तान में दफनाये जाने तक कई अनजाने चेहरों से वह कभी शाहिद तो कभी उसके वालिद के नेक चलन के किस्से सुन चुके थे और अपने घर लौटते हुए ताहिर खान के जहन में शाहिद का किरदार और पुख्ता हो गया था जिससे उनके दुःख में और इज़ाफा ही किया।
कई दिन तक ताहिर के जहन से शाहिद के आख़िरी बार जाने की तस्वीर नहीं निकली अक्सर घर के उस दरवाजे को बैठ कर वो तकते रहते जहाँ से वह उस रोज रात को गया था। उन्हें शाहिद की लगाई परफ्यूम की महक अक्सर आती रहती जो उनके ख्यालो में रच बस गयी थी। कुछ दिनों के भीतर शाहिद के घर वाले आकर उसके कमरे का सारा सामान ले जा चुके थे। करीब तीन हफ्ते बाद उन्हें एक नोटिस मिला जिसे पढ़ कर मालूम हुआ कि मुनव्वर खान ने उनपर १३ लाख डालर के हर्जाने का मुकदमा किया है।
नोटिस देख कर ताहिर खान ने पहले अपने वकील से बात की उसके बाद शाहिद के वालिद मुन्नवर को फोन लगाया और इस नोटिस के बारे में पुछा। मुन्नवर खान ने कहा ‘ताहिर साहब आपको घबराने की जरुरत नहीं, दर असल टेक्निकल वजह से आपको मुक़दमे में पार्टी बनाना जरुरी था आखिर आपकी कार की इन्सुरेंस कंपनी से ही तो हमें क्लेम मिलेगा’।
ताहिर खान को एक दो बार पुलिस आफिस जाकर लिखा पढी करने के बाद इन्सुरेंस कम्पनी के मुलाजिमों से भी लिखा पढी करनी पडी। इस पूरे सिलसिले में कई हफ्ते गुजर गए।शाहिद वाले कमरे में कोई दूसरा किरायदार भी आ चुका था। कुछ अर्से बाद ताहिर खान के वकील ने बताया कि मुक़दमे से उनका नाम खारिज हो गया। एक दो मर्तबा मुनव्वर खान से उनकी बाते भी हुई।
करीब एक-डेढ़ साल के वक्फे तक मुन्नवर खान के फोन आते रहे और वह उन्हें दिलासा देते रहे कि उनकी कार का नुकसान जो भी हुआ है वह बकाया दे देंगे। ताहिर खान को उनकी इन्सुरेंस कम्पनी ने ५००० की कार का मुआवजा २००० डालर का भुगतान करके उनका खाता बंद कर चुकी थी।
कुछ दिनों के बाद ताहिर खान को उनके वकील ने बताया कि मुन्नवर खान का इन्सुरेंस कम्पनी से सैटलमेंट हो चुका है उन्हें शाहिद मुनव्वर की मौत का हर्जाना ट्रक ड्राइवर की इन्सुरेंस ने ११ लाख डालर कि रकम अदा कर दी।
इस खबर के बाद ताहिर खान ने दो मर्तबा मुन्नवर खान को फोन मिलाया लेकिन दोनों बार उनका फोन कट गया। उन्हें वापस कोई काल भी न आयी। ताहिर खान की जिंदगी में शाहिद मुनव्वर सिर्फ १४ दिन का मेहमान रहा लेकिन इस मेहमान का दर्द ताउम्र उन्हें सालता रहेगा। जब कभी वह अकेले होते तो खामोशी के साथ अपने सोफे पर बैठे बैठे उस दरवाज़े को तकते रहते जहाँ से शाहिद अक्सर आया जाया करता था। शायद अपने आप को एक मसनवी धोखा और नकली आस का अहसास पाले हुए उन्हें यह लगता कि शाहिद मुनव्वर अभी आयेगा।बना ठना खुश्बुओं से मोअत्तर खिलखिलाता चेहरा वह फिर एक बार देख सकें। उनकी ज़िंदगी में एक किरायेदार ऐसा आया जो उनका मेहमान बन कर रह गया।