मैडम पै जो दिल आया / नवीन रमण
मैडम और स्टूडेंट
नमसते मैडम
ऊं मेरी लिखाई घणी कसूत्ती सै। पर आप जीतनी तै कोनी। यो लैटर भूंडी (गंदी) लिखाई मैं जाण (जान-बूझकर) कै लिखूं सूं। नहीं तै पकडया जांगा (जाऊंगा)
तू स्कूल की सारी मैडम-मा मैं सब तै सुथरी सै। जब तू हांसै (हंसती) है तो जमा बेर से झड़ ज्या सै।
जब ओ हरया (हरा) सूट पहर ल्यो सो तो जमा इसी लागो सो जणू छोले-कुलचे आले के छोले मैं हरी मर्च खड़ी हो। अर जब तू क्लास मैं नून तै नून (इस तरफ से उस तरफ) घूमै सै तो इसा लाग्गै जणू (जैसे) थाली मैं कै लास्सी (लस्सी) हांडदी (घूमना) हो।
मरच (मिर्च) जीसी चरचरी (तीखी) सै जमा तू।
अर क्लास मैं कुरसी पर बैठ कै नै जो आप आपणे नहूँ (नाखून) काट्टे पीछै उननै घीसो सो उसका मजाक सारी क्लास उड़ाया करै सै। आपणे घरा काट लिया करो।
अंगरेजी आली मैडम तो नू कै थी अक इसकी सक्ल-सक्ल बढ़िया सै, अकल नी इसमें एक धेले (रुपये) की। इस मैडम के नाम के तै सबकै चूरणे होए रै सै।
डंडे की जगाह तू रैपटे मार लिया कर। कम तै कम थोबड़े (मुंह) पै तेरा हाथ तो लाग ज्यागा।
तन्नै तेरी माता रानी की कसम, जै तन्नै इस लैटर की बात कीसे तै बताई तो
तेरे घर तै के कुछ जावै सै। पढ़ कै थोड़ी हाण हांस लिए।
तेरा...
हाहाहाहा, नाम कोनी बताऊं