मैडम / पद्मजा शर्मा
वे बड़बड़ाते रहे-'पता है मैडम के बच्चे कितने इंटेलीजेंट हैं? मैडम कितना ध्यान रखती हैं अपने बच्चों का। उनकी ड्रेस का, पढ़ाई का। पता है मैडम खाना कितना अच्छा बनाती हैं। मैडम किफायती हैं। मैडम समझदार हैं। पता है मैडम बहुत अमीर खानदान से हैं। मैडम सुबह जल्दी उठती हैं। पता है मैडम कितनी शांत रहती हैं। मैडम के पति स्मार्ट नहीं हैं फिर भी उन्हें निबाह रही हैं। पता है मैडम जॉइंट फैमिली में रहती हैं। पता है मैडम कितने रुपए कमाती हैं। अपने पति से दोगुने। फिर भी मैडम को अपने ससुर से, पति से हाथ खर्ची के लिए पैसे माँगने पड़ते हैं। मैडम को अपनी माँ के पास गए बहुत वक्त बीत गया। पता है क्यों नहीं गईं? उनके ससुर को अच्छा नहीं लगता। पता है मैडम अपने बच्चों को ट्यूशन नहीं भेजती, खुद ही पढ़ाती हैं।'
मैने कहा-'नहीं, मुझे तो यह भी नहीं पता कि यह मैडम कौन है।'
उन्होंने कहा-'अभी-अभी तो यहाँ मैडम थी, कहाँ गई?'
मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने कहा-'यहाँ से कोई कहीं नहीं गया। यहाँ मैं हूँ और आप हैं।'
उन्होंने कहा। 'क्या मैं यहाँ हूँ? अगर मैं यहाँ हूँ तो मैडम के पास वह कौन है?'
मैंने पूछा-'कौन मैडम और कौन वो?'
उन्होंने कहा-'तुम नहीं समझोगी' और करवट बदल ली।
सपना हकीकत बने उससे पहले ही उसका टूटना ज़रूरी था। मैंने उन्हें झिंझोड़ कर जगा दिया। हम दोनों एक दूसरे को अविश्वास से देखते रहे।