मैरीकॉम: गमले में अंकुरित वट वृक्ष / जयप्रकाश चौकसे

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मैरीकॉम: गमले में अंकुरित वट वृक्ष
प्रकाशन तिथि : 27 नवम्बर 2018


उत्तर पूर्व के सदैव तनाव ग्रस्त क्षेत्र में जन्मी मैरीकॉम ने पुनः महिला शक्ति का परचम पुरुष केंद्रित दुनिया में लहराया है। 'भारत रत्न' के लिए उनकी दावेदारी मजबूत हो गई है। प्रियंका चोपड़ा ने 'मैरीकॉम' के बायोपिक में अपने अभी तक के जीवन का श्रेष्ठतम अभिनय किया था। भूमिका के लिए महीनों परिश्रम करके स्वयं को प्रियंका ने तैयार किया था। इसी तरह 'बर्फी' नामक फिल्म की प्रारंभिक रीलों में उन्हें पहचान पाना कठिन हो रहा था, क्योंकि उन्होंने स्वयं को अत्यधिक बदला था। मैरीकॉम की प्रेरणा से अन्य महिलाएं भी अपने 'बाएं पंच' के लिए प्रसिद्ध हो रही हैं। ज्ञातव्य है कि हमारे हवन एवं धार्मिक उत्सवों में पत्नी को पुरुष के बाएं बैठाया जाता है। स्त्री को 'वामा' कहा जाता है और इस नाम की पत्रिका भी प्रकाशित होती थी। इस बाएं अफसाने की हकीकत यह है कि मार्ग के बाएं से चलना सुरक्षित माना जाता है। गोयाकि अपनी कमतरी के एहसास के साथ आपने बाएं को सुरक्षा का पर्याय मान लिया है। पूंजीवादी अमेरिका 'लेफ्ट' से इतना भयाक्रांत है कि उनके देशों में दाहिनी ओर चलने को सुरक्षित किया गया है। अमेरिका के भय पर बकमाल फिल्म का नाम था 'रशियंस आर कमिंग'। एक अफवाह अमेरिका को कितने भय में डाल देती है यही उस फिल्म में प्रस्तुत किया गया था। गौरतलब है कि फिल्म का निर्माण हॉलीवुड में ही किया गया था। प्रियंका चोपड़ा ने एक बाल केंद्रित 'पाहुना' नामक फिल्म का निर्माण किया है, जिसे बर्लिन अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सराहा गया है। फिल्म की शूटिंग के समय प्रियंका चोपड़ा की मां ने धूम्रपान को सख्ती से प्रतिबंधित किया ताकि वहां मौजूद बाल कलाकारों को कोई हानि नहीं पहुंचे। उनके इस व्यवहार से हम कह सकते हैं कि 'प्रियंका इज चिप ऑफ ओल्ड ब्लॉक' शीशम के दरख्त से निकला एक हिस्सा है प्रियंका चोपड़ा।

ज्ञातव्य है कि प्रियंका चोपड़ा इसके पहले भी मराठी भाषा में एक फिल्म बना चुकी हैं। हम इसे कैसे नज़रअंदाज करें कि पंजाबी परिवार में जन्मी प्रियंका मराठी भाषा की फिल्मों का निर्माण करती हैं और मराठी भाषी परिवार में जन्मे रजनीकांत भारत के सुपर सितारे हैं। हुक्मरान के लाख प्रयास के बावजूद 'अनेकता में एकता' का आदर्श लुप्त नहीं हो पा रहा है, क्योंकि वही आदर्श हमारे अस्तित्व की आधारशिला है। वह राष्ट्र का मेरुदंड है।

मैरीकॉम नेे जुड़वा बच्चों को जन्म दिया और उन्हें लगा कि अब नहीं कर पाएंगी, तब उनके कोच ने कहा जुड़वा बच्चों की मां की ताकत दोगुनी हो जाती है। हाल ही में स्वर्ण पदक जीतने वाली मैरीकॉम वर्तमान में तीन बच्चों की मां है। यह बात भी गौरतलब है कि मैरीकॉम के पति ने हमेशा उनकी हिम्मत बंधाई और अभ्यास के लिए सारी सहूलियतें दीं। इस तरह उन्होंने उस कहावत को भी पलट दिया जो यह कहती है कि हर सफल व्यक्ति के पीछे उसकी पत्नी खड़ी है जो उसे निरंतर प्रेरणा देती है। मैरीकॉम के पति अपनी सफल पत्नी के पीछे खड़े सदा उन्हें प्रेरित करते हैं। वाहनों में दो पहिए होते हैं। एकल पहिए वाली साइकिल केवल सर्कस में देखने को मिलती है। यह बात अलग है कि आम आदमी को जीवन के सर्कस में बौना हंसोढ़ बना दिया गया है जो पिटने पर आनंदित होता है।

कैशियस क्ले (मोहम्मद अली) बॉक्सिंग के इतिहास में अमर हो गए हैं। एक दौर में फिल्मकार प्रकाश मेहरा की यह महत्वाकांक्षा थी कि वह अपनी दो नायकों वाली फिल्म में कैशियस क्ले और अमिताभ बच्चन को प्रस्तुत करें। बड़े जतन के बाद प्रकाश मेहरा को प्रातः 10 बजे मुलाकात का समय दिया गया। स्वभाव से देर से आने वाले प्रकाश मेहरा उस दिन ठीक 10 बजे क्ले के बंगले के गेट पर पहुंचे तो वहां तैनात सुरक्षाकर्मी ने कहा है उन्हें 10 मिनट पहले पहुंचना चाहिए था, क्योंकि बाहरी गेट से बंगले तक पहुंचने में 10 मिनट लगते हैं। कैशियस का वह परिसर एकड़ों में फैला था।

बहरहाल, प्रकाश मेहरा ने बहुत मिन्नत की तो उन्हें मिलने का अवसर दिया गया। कैशियस क्ले को हिंदुस्तानी फिल्म में अभिनय करने से इनकार नहीं था परंतु जब प्रकाश मेहरा ने कहा कि 7 दिन तक शूटिंग होगी तब कैशियस क्ले ने उनसे कहा कि एक दिन कार्य करने की उनकी फीस हजारों डॉलर होती है तथा उसी हिसाब से आप मेहनताने का हिसाब कर लीजिए। प्रकाश मेहरा ने स्पष्टीकरण दिया कि इतने धन में तो तमाम हिंदुस्तानी फिल्में बनती हैं। इस तरह वह स्वप्न फिल्म कभी बन ही नहीं पाई। हमारी बेचारी मैरीकॉम एक अत्यंत छोटे से घर में अपने परिवार के साथ रहती हैं और घर के सकरे गलियारे में अभ्यास करती हैं।