मोबाइल फ़ोन / लिली पोतपरा / आफ़ताब अहमद
सेरेको को उसके जन्म दिन पर उसके सहकर्मियों ने एक मोबाइल फ़ोन भेंट किया। यह बात नहीं थी कि कोई उससे ख़ास तौर पर बात करना चाहता था। आख़िर कुछ न कुछ तो देना ही था। लोगों ने आपस में चंदा किया और एरिक्सन फ़ोन को ट्रामिनी की एक बोतल के साथ अच्छी तरह से पैक करके उसे भेंट किया।
सेरेको को मोबाइल फ़ोन की इच्छा नहीं थी। अगर वह चाहता तो कब का ख़रीद चुका होता। लेकिन अब उसके पास एक एरिक्सन फ़ोन था। उसने एक सॉकेट चुना जहाँ वह चार्जर को प्लग करेगा। ध्यान से निर्देश पढ़े और उन्हें एक ख़ास फ़ोल्डर में रख दिया। फिर फ़ोल्डर को एक ख़ास बॉक्स में बाईं तरफ़ वाली अलमारी में रख दिया, जहाँ वह वारंटी कार्डों के साथ दूसरे निर्देश रखा करता था।
सेरेको अपने हर काम बहुत व्यवस्थित ढंग से करता था। हर चीज़ की अपनी ख़ास जगह थी। हर चीज़ सोच समझकर और व्यवस्थित रूप से अपनी जगह पर रखी जाती थी। टैक्स भरते समय सेरेको को बेबसी से दस्तावेज़ों की तलाश में उलझना नहीं पड़ता था। गुलाश बनाते वक़्त उसका दाहिना हाथ अपने आप कड़ाही के ढक्कन पर पहुँच जाता था।
उसके जन्म दिन को एक हफ़्ता बीत चुका था। सेरेको बालकनी में बैठा कॉफ़ी पी रहा था (चाँदी के किनारे वाले छोटे कप में, जो उसकी माँ के सेट में से बचा रह गया था)। हर चीज़ वैसी ही थी जैसी होनी चाहिए थी। उसने मार्केट से कुछ सेब और सलाद पत्ते खरीदे थे। कल के बचे हुए लंच खाकर सेरेको ने प्लेट और कटलरी अच्छी तरह से साफ़ किए, कॉफ़ी बनाई और बालकनी में बैठकर चुस्कियाँ लेने लगा। शनिवार का दिन था। कॉफ़ी पीने के बाद उसने स्मर्ना पहाड़ी पर जाने की योजना बनाई, जैसा कि वह हमेशा शनिवार को किया करता था।
कॉफ़ी पीने के दौरान मोबाइल बज उठा। पहले तो उसे पता नहीं चला कि यह चनचनाती आवाज़ कहाँ से आ रही है। उसने पिछले दिन एक ऐन्टीक फ़ोन का रिंगिंग टोन सेट किया था। पूरे हफ़्ते के दौरान यह ऑफ़िस में सिर्फ़ दो बार बजा था। इससे सेरेको का कम और फ़ोन भेंट करने वाले सहकर्मियों का ज़्यादा मनोरंजन हुआ था। दोनों बार इसका टोन अलग था।
मोबाइल किचन में रेडियो सेट के पास वाले काउंटर पर बज रहा था। उसकी वही सही जगह थी, क्योंकि सेरेको ने घर पर आने के बाद वहीं पर फ़ोन रखने का फ़ैसला किया था।
वह आहिस्ता से उठा और किचन में गया। वह इस हस्तक्षेप से थोड़ा झुंझलाया हुआ था: उसे किसी फ़ोन कॉल की उम्मीद नहीं थी, और इस वक़्त, कॉफ़ी पीने के दौरान, वह चाहता भी नहीं था कि कोई फ़ोन आये।
उसने फ़ोन उठाया और अपनी आँखों के क़रीब लाकर नम्बर देखा। यह फ़ोन बुक के तीन नंबरों में से नहीं था। यह 01 से शुरू होता था और उसके ऑफ़िस का नम्बर भी नहीं था। यूँ भी, आज शनिवार था, और शनिवार को उसके दफ़्तर में कोई काम नहीं होता था। वह एक पल को हिचकिचाया। उसकी पहली प्रतिक्रिया थी कि फ़ोन रिसीव ही न करे। लेकिन वह थोड़ा उत्सुक हो गया था, और कुछ चिंतित भी कि कहीं कॉल रिसीव होने से पहले ही न बंद हो जाए।
उसने हरा बटन दबाया।
“हेलो?”
“ओह, हेलो! होज़े, तुम फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे थे? कितनी देर तक बजता रहा!”
औरत की आवाज़ में ख़ुशी भरी चहक थी कि इतनी लम्बी रिंगिंग आख़िरकार एक प्रश्नवाचक वाक्य में बदली तो।
“माफ़ कीजिये, मैं होज़े नहीं हूँ, शायद यह रॉंग नम्बर है।”
“ओह, क्या… अच्छा… आपको तकलीफ़ देने के लिए माफ़ी चाहती हूँ। गुडबाय।”
और फ़ोन ख़ामोश हो गया। थोड़ी देर तक सेरेको स्क्रीन के सवाल को पढ़ता रहा कि वह नया नम्बर सुरक्षित रखना चाहता है या नहीं। आख़िरकार उसने “नो” पर ऊँगली रख दी। फ़ोन को रेडियो के बाईं तरफ़ वाले काउंटर पर रखा, और अपनी कॉफ़ी के पास गया जो अब तक थोड़ी ठंडी हो चुकी थी। वह कप पर अपनी उँगलियाँ फेरता रहा। लेकिन उसे ठंडी कॉफ़ी पसंद नहीं थी, इसलिए उसने उसे किचन सिंक में उंडेल दिया। सोचा कि क्या फिर से कॉफ़ी बनाए। आख़िर कॉफ़ी न बनाने का फ़ैसला किया। कप धोया और बेडरूम में कपड़ा बदलने चला गया।
वह अपना ट्रैकसूट पहन रहा था कि उसने एक बार फिर किचन में फ़ोन की घंटी सुनी।
उसने जो महसूस किया उसे अभी झुंझलाहट तो नहीं कहा जा सकता था लेकिन वह इस भाव के निकट ही कुछ था। सेरेको को अपनी दिनचर्या में किसी प्रकार का हस्तक्षेप पसंद नहीं था। उसका जीवन संयत, योजनाबद्ध और व्यवस्थित था। हर चीज़ की अपनी जगह थी और हर काम का अपना समय।
स्क्रीन पर पहले वाला नम्बर था।
“हेलो?” उसने माइक्रोफ़ोन में कहा। आवाज़ शायद कुछ ज़्यादा तेज़ हो गई थी।
“ ओह, होज़े, देखो न, अभी मैंने ग़लत नम्बर लगा दिया था, और किसी आदमी से बात की। सुनो…”
“माफ़ कीजिये मैडम,” सेरेको ने टोका, फिर से रॉंग नम्बर है। मैं होज़े नहीं हूँ।”
“ओह माय! तो आप कौन हैं? माफ़ कीजिये मेरा नाम फ़ानी है। और आप?”
सेरेको तेज़ी से सोचने लगा कि इस फ़ानी नाम वाली औरत को अपना नाम बताना चाहिए या नहीं। क्या वह उससे कह दे कि उसे उसके नाम से क्या मतलब? या यह कि वह उसे इस तरह शनिवार की दोपहर में फ़ोन न करे जबकि स्मर्ना गोरा पहाड़ी पर चढ़ने में उसे पहले से ही देर हो रही है।
आख़िरकार उसने कहा, “मेरा नाम सेरेको है और यह मेरा नम्बर है।”
“ओह सेरेको, मुझे ख़ुशी हुई कि…, मेरा मतलब है, मैं फिर से माफ़ी चाहती हूँ। गुडबाय।”
फिर ख़ामोशी, और फ़ोन कटने की आवाज़। सेरेको फ़ोन हाथ में पकड़े खड़ा रहा। फिर उसे एहसास हुआ कि उसकी टी-शर्ट ट्रैकसूट ट्राउज़र से बाहर थी। उसने फ़ोन को उसकी जगह सलीक़े से रखा और टी-शर्ट को ट्राउज़र के अन्दर खोंसा। ‘मुझे फ़ोन बंद कर देना चाहिए,’ उसने सोचा। ‘बिल्कुल ठीक, मैं फ़ोन बंद करता हूँ और फ़ौरन निकल जाऊँगा।’ जैसे ही उसने फ़ोन की तरफ़ हाथ बढ़ाया, फ़ोन फिर बज उठा। उसने फ़ौरन जवाब दिया। आख़िर फ़ोन तो हाथ ही में था। और खैर—स्क्रीन पर देखे बग़ैर उसे मालूम था कि दूसरी तरफ़ कौन है।
“मैडम…” उसने कहा, लेकिन उसे बीच में टोक दिया गया।
“होज़े, ओह माई गॉड। बार-बार मेरा फ़ोन सेरेको नाम के किसी आदमी को लग जा रहा है…”
“एक्सक्यूज़ मी, फ़ानी, फिर से मैं ही हूँ, सेरेको…”
“फिर से? आख़िर यह हो क्या रहा है? आप फ़ोन रिसीव ही क्यों करते हैं? और होज़े कहाँ है?”
सेरेको झेंपकर मुस्कुराया। यह सब बहुत ग़ुस्सा दिलाने वाला था क्योंकि उसका क़ीमती समय बीता जा रहा था। लेकिन यह एक नया अनुभव भी था। आज बहुत ज़माने बाद सेरेको का शनिवार एक अलग अंदाज़ में गुज़र रहा था। वह कुछ कहना चाहता था। वह चाहता था कि— कम से कम उसका यही ख़याल था— कोई मज़ाक़ की बात कहे। उसने एक लम्बी साँस ली, लेकिन तभी उसे महसूस हुआ कि फ़ानी स्क्रीन से ग़ायब हो चुकी थी।
आख़िरकार उसने रख दिया, और जल्दी से गाड़ी से स्मर्ना गोरा पहाड़ी की तरफ़ बढ़ा। उसने पहाड़ी के लिए सबसे नज़दीक का और कम भीड़ वाला रास्ता पकड़ा, क्योंकि समय समाप्त होने वाला था। ऊपर पहुँचकर उसने एक कप अर्बल-टी और प्रेत्ज़ल ऑर्डर किया। थोड़ी हवा चल रही थी लेकिन बहुत तेज़ नहीं थी। उसने नीचे घाटी की तरफ़ देखा और उसकी नज़र मोस्ते उपनगर पर टिक गई— जहाँ फ़ोन के पहले नम्बर के लिहाज़ से— फ़ानी रहती थी।
सेरेको ने शाम को फ़ोन खोला, आराम से देर तक स्नान किया, टीवी ऑन किया, और कमर्शियल चैनल लगाकर प्रश्नों का इंतज़ार करने लगा।
वह शाम कुछ अलग सी थी। सेरेको थोड़ा सा उत्तेजित था। विज्ञापनों के दौरान वह सोफ़े से कई बार उठा और किचन में गया। वह बार-बार पानी पी रहा था, उसने एक सेब धोया। वह कई बार फ़ोन के पास कुछ पल के लिए रुका।
फ़ोन पूरी शाम ख़ामोश रहा।
दूसरी सुबह भी फ़ोन ख़ामोश रहा, और सोमवार के ज़्यादातर हिस्से में भी। इतवार की सुबह में सेरेको ने फ़ैसला किया कि वह फ़ोन अपने सीने वाली जेब में रखकर बाहर जाएगा क्योंकि उसमें बटन थे। वह साइकिल से ज़ालोग गया। अगर बारिश न हो रही हो या बर्फ़ न पड़ रही हो तो वह हमेशा इतवार को साइकिल से जाया करता था।
फ़ोन बदस्तूर ख़ामोश रहा।
सोमवार को काम करते समय सेरेको खोया-खोया सा था जिससे उसे खीज हो रही थी। उसे अपने व्यवस्थित जीवन पर, अपनी शान्ति, संतुलित विवेक, और इस छवि पर कि उसे कोई चीज़ भी डगमगा नहीं सकती थी, गर्व था।
दोपहर में उसे ख़ुद से स्वीकार करना पड़ा कि वह नर्वस था। वह मेलबॉक्स से पेपर निकालना भूल गया, और लंच के बाद उसे फिर जूते पहनकर पेपर लाने जाना पड़ा। वह काग़ज़ात के पन्ने पलटता रहा। थोड़ी-थोड़ी देर में एरिक्सन के स्क्रीन पर नज़रें डालता और कुछ देर तक उसकी नज़रें स्क्रीन से न हटतीं। लेकिन फ़ोन नहीं बजा। उसी दौरान उसने रिंगिंग टोन को ज़्यादा पॉपुलर टोन में बदल लिया, उसका ख़याल था कि इससे वह ज़्यादा दूर से भी साफ़ सुन सकेगा।
शाम को वह फ़ैसला न कर सका कि नहाने के दौरान वह फ़ोन ऑफ़ कर दे या स्विच ऑन करके किचन में छोड़ दे? फ़ोन को बाथरूम में अपने साथ ले जाने का विचार अजीब था। लेकिन कोई फ़ैसला न कर पाने से उसकी स्थिति असहनीय हो गई, तो वह फ़ोन बाथरूम में साथ ले गया। जल्दी-जल्दी नहाया। ठीक से नहाया भी नहीं जिसके लिए उसने बाद में ख़ुद को झिड़का भी। लेकिन फ़ोन नहीं बजा।
आख़िरकार फ़ोन बजा। बिल्कुल उस समय जब सेरेको आदत के अनुसार जल्दी सोने जा रहा था। यह उसके सहकर्मी जैनेज़ का फ़ोन था। उसने कहा कोई ख़ास बात नहीं, बस यूँ ही फ़ोन किया था, क्योंकि उसको मालूम था कि सेरेको के पास अब मोबाइल फ़ोन है। सेरेको ने बात को संक्षिप्त रखा, और जैनेज़ को गुडबाय कहकर फ़ौरन फ़ोन बंद कर दिया। जैनेज़ के फ़ोन से वह इतना ज़्यादा झुंझला उठा था, इस बात को वह ख़ुद से भी स्वीकार नहीं करना चाहता था। वह अच्छी तरह नहीं सो सका।
मंगल को सेरेको ने अपनी कनपटियों में सख़्त दबाव महसूस किया। उसने यह कहकर कि उसे सिरदर्द है, उस दिन काम से जल्दी छुट्टी लेली, और इस कंपनी में काम करते हुए पंद्रह साल में पहली बार वह बारह बजे ही घर चला गया।
पहले उसने कॉफ़ी बनाई, लेकिन उसे पीने का मन न हुआ। अभी उसकी दोपहर की कॉफ़ी का समय बहुत दूर था, जो वह लंच के बाद साढ़े चार बजे बालकनी में पीता था। या अगर बारिश, बर्फ़ या तेज़ हवा हो, तो किचन के टेबुल पर पीता।
दो बजे सेरेको ने अपना हाथ लिक्विड सोप से धोया। थोड़ा पहले ही लंच बना लिया। खाया। बर्तन धुला। बर्तनों को सुखाकर रख दिया। सीने वाली जेब से फ़ोन निकाला और सोफ़े पर बैठ गया। उसने रेडियो की आवाज़ धीमी की और सावधानी से, फ़ोन पर मिल रहे निर्देशों के अनुसार अमल करता रहा, यहाँ तक कि उसे दूसरी तरफ़ का रिंगिंग टोन सुनाई पड़ा।
“हेलो?” औरत की परिचित आवाज़ सुनाई दी। “कौन?” आवाज़ ने पूछा? सेरेको ने राहत की एक लम्बी साँस ली, और बोलने से पहले उसने दूसरी आज़ाद हथेली से अपने गले को सहलाया।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : आफ़ताब अहमद