मोम्बी अकाहारा / शायक आलोक
मोम्बी अकाहारा उस छोटे से गाँव में रहती थी जहाँ बारिश बहुत कम होती थी। बचपन से पानी बचाने में हुनरमंद मोम्बी आंसू बचाना भी सीख गयी। जब उसे खूब प्यास लगती वह अपना मन उस बड़े से पानी के जहाज पर भेज देती जहाँउसका प्रेमी उसे याद करते हुए बारिशों का गीत गाया करता था। एक बार उस गाँव में खूब बारिश हुई। पानी से सभी तालाब, गड्ढे, कुएं पूरी तरह भर गए। मोम्बी बहुत खुश हुई। उसने इतना पानी कभी नहीं देखा था। मोम्बी पानी के साथअपने सपने धोने,पोंछने, साफ़ करने लगी। मोम्बी ने प्रेमी को ख़त लिखा- “लौट आओ कि अब खूब पानी है अपने गाँव में, लौट आओ कि पानी से तुम्हारा इश्क यहाँ भी परवान पायेगा, लौट लाओ कि अंजुरी में पानी लिए मैं इन्तजारकरती हूँ तुम्हारा सुबह-शाम। “ .... ख़त पाकर उसका प्रेमी बहुत खुश हुआ और लौटने की राह तकने लगा । उस बड़े पानी के जहाज के लौटने में काफी वक़्त लगा। बारिश का मौसम गुजर गया और उस छोटे से गाँव में फिर पानी की कमीहो गयी। गाँव लौटे उसके प्रेमी ने पानी नहीं पाकर मोम्बी पर खूब गुस्सा किया। मोम्बी ने आसमान को देखकर खूब आंसू बहाए फिर भी बारिश नहीं हुई। थोडा वक़्त गुजरकर मोम्बी का प्रेमी फिर अपने जहाज पर लौट गया। बचपन सेपानी बचाने में हुनरमंद मोम्बी ने उस रोज इतने आंसू बहाए कि उसकी आँखों की आखिरी बूँद भी ख़त्म हो गयी। उस दिन से मोम्बी ने पानी की परवाह छोड़ दी। उस दिन से मोम्बी ने प्रेमी की परवाह छोड़ दी