मोहम्मद शरीफ का अकृत पाप / शमोएल अहमद
उसका दिमाग सन्न से रह गया...
जमीन पांव तले खिसक गयी....
ढाई लाखका गबन?
वो सिर थाम कर बैठ गया। मिन्टों में खबर आग की तरह फैल गयी कि एकाउंटस क्लर्क मुहम्मद शरीफ ने ढाई लाख का गबन किया।
किसी को यकीन नहीं आया कि ये काम मुहम्मद शरीफ का है। लेकिन कम्पनी के लेजर-बुक में उसका नाम दर्ज था और कैशरोल में प्राप्र्तकता की जगह उसका दस्तखत मौजूद था। मैनेजर के सामने कैशरोल खुला पडा था। मुहम्मद शरीफ कमरे में दाखिल हुआ तो मैनेजर ने चश्मे के अंदर से घूर कर देखा।
दस्तखत तो आपके हैं?
दस्तखत उसी के थे।
मैनेजर का लहजा सख्त हो गया।
आपको एक हफ्ते की मुहलत दी जाती है। रकम जमा कर दें वरना
मुहम्मद शरीफ पर लरजा तारी हो गया काटो तो बदन में लहू नहीं था। किसी तरह लडख़डाता हुआ मैनेजर के कमरे से बाहर निकला तो अमले ने उसे घेर लिया।
ये सब कैसे हुआ?
शरीफ की जुबान चुप थी।एकाउन्टेंट ने कन्धे पर हाथ रखते हुए पूछा।
शरीफ कुछ बताओगे?
शरीफ रूआंसा हो गया। उसके मुंह से बमुश्किल निकला -
रकम मैं ने नहीं ली।
हमें यकीन है। एकाउन्टेंट ने कन्धा थपथपाया।
ये उस कैशियर की कारस्तानी है। किसी ने कहा तो शरीफ ने चेहरा दोनों हाथों से छिपा लिया और फफक - फफक कर रो पडा।
शरीफ के आंसू थमे तो उसने विस्तार से बताया कि नलनी कंस्ट्रक्शन वालों ने ढाई लाख का ड्राफ्ट भेजा था, जिसकी निकासी बैंक से होनी थी।उस दिन कैश्यिर छुटटी पर था। मैनेजर ने ड्राफ्ट उसके हवाले किया था।लेकिन किसी वजह से वो उस दिन बैंक नहीं जा सका था और दूसरे दिन कैशियर छुटटी से वापस आ गया था। कैश्यिर ने ये कह कर ड्राफ्ट ले लिया था कि लेखा में समायोजन कर लेगा
और उसने गबन कर लिया ? एकाउंटेंट बोला।
शरीफ ने हां मे सिर हिलाया।
लेकिन तुमने कैशरोल पर दस्त त क्यों किये ?
उसने कहा कि ऑथोरटी लेटर मेरे पास है। दस्तखत भी मुझे ही करना चाहिए।
और तुमने कर दिया।
मैं क्या जानता था, उसकी नीयत में फितूर है?
उसने बैंक वालों से मिलकर किसी तरह ड्राफ्ट कैश करा लिया और तुम फंस गये!
लेकिन बैंक में उसका दस्तखत तो होगा ?
उससे क्या हुआ ? उसने रकम निकाली और तुमको दे दी। ऑथोरिर्टी लेटर तुम्हारे नाम है।प्राप्र्तकत्ता की जगह तुम्हारा दस्तखत मौजूद है?
अब क्या होगा ? शरीफ फिर रूआंसा हो गया।
रकम तो देनी पडेग़ी!
शरीफ की आंखों तले अंधेरा छा गया।
अमले को यकीन था कि गबन कैशियर ने किया है। मुहम्मद शरीफ को सभी जानते थे वो ईमानदार और निरीह आदमी था और सिर्फ अपने काम से मतलब रखता था। लेकिन कैशियर से पूछ-ताछ मुश्किल थी। वो इस्तीफा देकर कहीं चम्पत हो गया था और इलजाम मुहम्मद शरीफ के सिर था।उसके साथी दिलासा दे रहे थे कि किसी तरह कैशियर को ढूंढ कर रकम वापस ली जाएगी लेकिन उसपर लरजा तारी था। रह - रह कर एक ही खयाल सांप की तरह डस रहा था।अब क्या होगावो पुलिस की हिरासत में होगा और बीवी बच्चे?
दफ्तर से निकलने के बाद अचानक उसको एहसास हुआ कि उसके कंधे पर एक टिकठी है जिसे ढोते हुए वो मुरदाघर की तरफ बढ रहा है।जब तक दफ्तर में था ऐसा अजीब सा एहसास नहीं हुआ था। वहां दोस्तों को विस्तार से बताने में उलझा हुआ था और जब एक - एक करके सब चले गये तो उसने जाना कि जंजीरों में जकडा हुआ है उसके कदम घर की तरफ नहीं बढ पा रहे थे। हार्डिंग पार्क के करीब वो रूक गयाफिर भारी कदमों से पार्क में दाखिल हुआ और एक तनहा से गोये में निढाल - सा बैठ गया।पार्क में इक्का - दुक्का लोग मौजूद थे।एक लडक़ा बैलून उछाल रहा था और एक जोडा बेंच पर बैठा खुशगप्पियां कर रहा था। करीब ही एक अधेड उम्र का शख्स घास पर लेटा चुपचाप आसमान तक रहा था। उसको लगा ये शख्स भी किसी दफ्तर में मुलाजिम है और इस वक्त घर जाना नहीं चाहता। अचानक कैशियर का लिजलिजा चेहरा उसकी निगाहों में घूम गया! किस चालाकी से उसने कैशरोल पर दस्तखत लिए थे पहले कैन्टीन में चाय पिलाई थी फिर मीठी मीठी बातें की थीं और वो बातों में आ गया था! अगर उस दिन दफ्तर नहीं गया होता तो मैनेजर उसके नाम ऑथोरटी लेटर भी नहीं लिखता! अब क्या होगा? कहां से लाएगा ढाई लाख रूपये? उसके पास जायदाद भी नहीं है। बीवी के पास इतने जेवर भी नहीं है कि बेच कर रकम चुकता कर सके? उसने उदास निगाहों से चारों तरफ देखा पार्क में कुछ और लोग आ गये थे। जोडा उसी तरह खुशगप्पियों में लीन था। सहसा उसको महसूस हुआ कि हर चीज अर्थर्हंीनता के कोहरे में लिपटी हुई हैये जोडा अभी खुशगप्पियों में मग्न है कल नियति की निर्ममता का शिकार होगा। आदमी गफलत में होता हैनियति घात में होती हैउम्र की किसी न किसी मंजिल पर दबोच लेती हैये नियति ही तो थी कि उसने कैशरोल पर?
घास पर लेटे हुए अधेड उम्र के शख्स ने सर्द आह के साथ करवट बदली।
दायें हाथ को मोड क़र सिर के नीचे तकिया सा बनाया और आंखें बंद कर लीं। उसने गौर से देखाचेहरे पर चिंता के गहरे आसार थेदाढी बढी हुई थीबाल सूखे हुए थे और कमीज का कालर अन्दर की तरफ मुडा हुआ था। उसको लगा घास पर लेटा हुआ अधमरा शख्स कोई और नहीं खुद वो है! दफ्तरी निजाम के शिकंजे में फंसा हुआबेबस और तनहा? उसके जी में आया करीब जाए और उसके कन्धे पर सिर रख देतब अपनी आंखें उसको भीगी हुई महसूस हुईंउसने सर्द आह खींची और घास पर लेट गया।
शाम गहराने लगी। तारे एक - एक करके रोशन हो गये। पार्क में लैम्प के चारों तरफ गर्दिश करते परवानों की संख्या में इजाफा होने लगा। लोग-बाग आहिस्ता आहिस्ता जाने लगे थे। लेकिन वो उसी तरह घास पर पडा रहा। यहां तक कि सडक़ों पर ट्रेफिक का शोर मध्दिम हो गया। सब चले गये तो अधमरा शख्स भी उठा। उसके दामन से एक तिनका चिपक गया था। उसने गर्द भी नहीं झाडी और बोझल कदमों से बाहर निकल गया। पार्क में सन्नाटा अचानक बढ ग़या। उसको घबराहट सी हुई और घर की याद आई । वो उठा और घिसटते कदमों से घर की तरफ चल पडा।
बीवी इंतजार कर रही थी। देखते ही बरस पडी। फ़िर उसको गुम-सुम देख कर घबरा गयी। वो बस इतना ही कह सका कि दफ्तर में देर हो गयी।लेकिन बीवी को इत्मिनान नहीं हुआ।
ये उसका नियम नहीं था।वो हमेया दतर से सीधा घर आता था। आज पहली बार उसने देर की थी और इतना गमजदा था कि उसके चेहरे से दुख साफ झलक रहा था।अपने हाल पर परदा डालने के लिए वो तुरन्त हाथ - मुंह धोने बैठ गया। पानी के दो चार छींटे चेहरे पर मारे और तौलिये से मुंह पोंछता हूआ खाने की मेज पर आया। बीवी ने फिर टोका कि आखिर मामला क्या था कि वो इतना चुप चुप था। उसने उसी तरह मुख्तसर सा जवाब दिया कि काम ज्यादा था जिस से रुकावट पैदा हो गयी था।उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे बताए कि मामला क्या था। किसी तरह उसने दो चार लुकमा जहर - मार किया और कमरे में आ कर बिस्तर पर लम्बा हो गया। मुन्ना एक तरफ सो रहा था।वो गहरी नीन्द में था। उसकी मुटिठयां अधखुली थी और होठों पर भीगी - भीगी सी मुस्कान थी। उसने मुन्ने के सिर पर आहिस्ता से हाथ फेराउसकी आंखें भीग आयींतकिये में मुंह छिपा कर आंसू पेछे और करवट बदल कर लेट गया। उसको एकाउंटेंट की बात याद आयीरकम जमा करनी होगी? ये तहरीरी निजाम का जब्र? उसने गबन नहीं किया लेकिन सजा झेलने पर मजबूर है! कहां से लाएगा वो रकम? कौन हे जो उसकी मदद करेगा? क्या वे कैशियर को ढूंढ पाएंगे ? सब कहने की बाते हैं। कोई उसके लिए इतना जोखिम क्यों उठाएगा? और कैशियर अपना जुर्म क्यों कुबूल करेगा ? उसने गबन इसलिए तो नहीं किया कि खुदको गुनाहगार साबित करे? ये सजा तो उसको भुगतनी हैवो बच नहीं सकताउसका दस्तखत मौजूद हैदस्तखत? महज कुछ अक्षर और एक झूठ सच में बदल गया! शायद सच और झूठ एक ही सिक्के के दो पहलू हैंझूठ की भी अपनी एक सच्चाई हैअपना वजूद है झूठ कासच्चाई की रोशनी में चमकता है झूठ! स्च्चाई है कैशरौल में उसका दस्तखत जो मुहम्मद शरीफ को मुजरिम बनाता हैउसके दस्तखत की सच्चाई मुजरिम मुहम्मद शरीफ को मरने नहीं देगी। उसके होठों पर एक तीखी सी मुस्कराहट फैल गयीक्या हो अगर वो दस्तखत करके मर जाए कि उसकी मौत की जिम्मेवार उसकी बीवी है? बेचारी पति परायणा? तुरंत कातिल करार दी जाएगी सोच - सोच कर मर जाएगी कि उससे कौन सा अपराध हुआ कि पति बेमौत मर गया ? बच्चे भी उसको कातिल समझेंगे वो जिन्दगी भर साबित नहीं कर सकती कि वो बेकसूर हैबस कुछ अक्षरफिर वो शिकंजे में होगीअकृत पाप की भागीदार?
आदमी कुदरत के निजाम में आजाद है लेकिन अपनी ही व्यवस्था का गुलाम हैबस एक मामूली सा दस्तखत? दस्तखत तो आप ही के हैं? उसके जी में आया जोर से चिल्लाएजी हां दस्तखत मेरे हैंशत प्रतिशत मेरेमैं अपने दस्तखत की सच्चाई का बन्दी हूं जिसका शिकंजा मौत के शिकंजे से ज्यादा दुखदायक है!
बीवी पास आकर खडी हो गयी। उसके दिल में दर्द की लहर सी उठीक्या वो भी शक करेगी? उसकी हमदम जो दस सालों से साथ है? उसने तकिये को सीने पर रख कर दबाया और करवट बदल कर लेट गयाशक कर सकती हैतंगदस्त आदमी का मान शक के घेरे में होता हैउसकी हैसियत ही क्या है? प्राइवेट कम्पनी का एक मामूली सा लिपिकढाई लाख रूपये नहीं लेगाढाई सौ नहीं लेगाक्या ढाई लाख भी नहीं लेगा?
उसने एक नजर बीवी की तरफ देखा उसके बाल खुले थे और चेहरे पर ताजगी थी। शायद उसने शाम को गुस्ल किया था।वो जब भी गुस्ल करती बाल खुले रखती जो लम्बे थे और कमर तक लहराते थे। उसने हाथ को पीछे लेजा कर बालों की तहों को सुलझाया छातियों के उभार नुमायां हो गये और सफेद गर्दन तन गयी जिस पर अभी झुर्रियां नहीं पडी थीं। फिर बालों को समेट कर जूडा बनाया और मुन्ने को उठाने के लिए बिस्तर पर झुकी तो आंचल ढलक गया और कान की बालियां हिल गयीं मुन्ने की बांह पकड क़र धीरे से बिस्तर के किनारे खींचा। फिर तकिये की ओट बनाई और बगल में लेट गयी। वो ये सोचे बिना नहीं रह सका कि उसका इस तरह अपने लिए जगह बनाना यकीनन बेमकसद नहीं था।उसने अक्सर ऐसा किया था।तब वो भी उसकी तरफ उन्मुख होता था और उसकी आंखों में कामदिग्ध लम्हों की तहरीरें साफ पढ लेता था वरना आम दिनों में मुन्ना बीच में होता था और वो दूसरे किनारे पर सोती थी।
बीवी ने हाथ को जुम्बिश दी और उसने कमर के गिर्द उसकी उंगलियों का स्पर्श महसूस किया। उसको याद आया बीवी को चार महीने का गर्भ भी है। वो खुद करीब खिसक आयीयहां तक कि वो चेहरे पर उसकी गरम सांसों को महसूसने लगा उसके दिल में टीस सी उठी। वो उठकर बैठ गया।
क्या बात है? बीवी ने तकिये से सिर उठाया।
वो चुप रहा।
आप की तबीअत तो ठीक है?
पानी पिलाओ!
वो उठी और कमरे में रोशनी की। उसके चेहरे पर खिन्नता के भाव स्पष्ट थे। उसका जूडा खुल गया था और बाल बिखर गये थे।साडी बेतरतीब हो गयी थी जिस से पेट का उभार नुमायां हो गया था। वो पानी लाने किचन की तरफ गयी तो उसने देखा वो कूल्हों पर जोर देकर चल रही थी।साडी क़ी बेतरतीबी से पेटीकोट के नेफे में जोड क़े करीब गुलाबी नाडे क़ा बहुत थोडा सा अंस दिख रहा था।उसने गहरी सांस ली और चित लेट गया।
उसको चाहिए कि सबकुछ बतादे! दिल का बोझ तो कम होगा लेकिन वो घबरा जाएगी और कुछ कर भी तो नहीं सकती वो भी क्या कर सकता है? वो भी तो कुछ नहीं कर सकता! बीवी तो कम से कम दुआ मांग सकती है तुरंत नमाज में खडी हो जाएगी सजदे में गिर पडेग़ी रो रो कर फरियाद करेगी उसको उम्मीद होगी कि कोई चमत्कार होगा खुदा सुन लेगा खुदा बहुत रहम वाला है निहायत मेहरबान सब भेद का जानने वाला उसका मन आस्था से ओतप्रोत है इसलिए उम्मीद की किरन आखिरी दम तक उसका साथ नहीं छोडेग़ी। जेल जाने के बाद भी वो यही समझेगी कि इसमे खुदा की मरजी को दखल है! जीने के लिए जरूरी है कि आदमी आस्था का भ्रम पाले लेकिन उसका ईमान तो हमेशा ढुलमुल रहा आस्था के अंकुर कभी फूटे नहीं वो तो दुआ भी नहीं मांग सकता वो किसी चमत्कार की आस नहीं लगा सकता वो खुद को तसल्ली नहीं दे सकता कि खुदा सब देख रहा है इन्साफ करेगा वो सच्चाई पर है सच्चाई की जीत होगी उसके पास उम्मीद की कोई किरन नहीं है उसको हैरत हुई कि वाकई उसके पास को खुदा नहीं है वो किस से दुआ मांगे? कहां है खुदा? आसमानी किताबों में या इनसानी दिलों में विद्यमान है धमनियों से भी करीब? खुदा जिसकी खुदाई में शून्यता को भी पूर्णता है जिसने हर जीवात्मा के मुकद्दर मे अंकित कर दी है एक अकृत पाप की सजा लेकिन उसको अपना अकृत पाप कुबूल नहीं है वो क्यों उस गुनाह की सजा कुबूल करे जिस का भागी नहीं है? रकम जमा कर दें वरना.. वरना क्या? आप फांसी पर चढा देंगे यही न? तो कौन बरी है तहरीरी निजाम के जब्र से? बहुत मुमकिन है मछली के पेट से एक जीव का सही सलामत निकल आना कि ये कुदरत का निजाम है लेकिन खुद अपने ही निजाम के शिकंजे से छूटना मुमकिन नहीं है कि तहरीरी निजाम में अक्षरों की सच्चाई जिस झूठ को जन्म देती है वो खुदा की तरह अजर अमर है। दस्तखत तो आप के ही हैं बेशक हुजूर वाला दस्तखत मेरे ही हैं मैं दफ्तर के कैशरोल में इसी तरह मौजूद हूं जिस तरह खुदा आसमानी ग्रंथों में मौजूद है। कैशरोल में मेरे दस्तखत की सच्चाई मेरे अजन्मे को जन्म में बदल चुकी है मैं हमेशा हमेशा वहां मौजूद रहूंगा!
बीवी पानी लेकर आई तो उसने एक ही सांस में गिलास खाली कर दिया। बीवी ने पूछा और चाहिए तो उसने इनकार में सिर हिलाया ओर करवट बदल कर लेट गया। उसने रोशनी गुल की और बिस्तर पर लेट गयी। वो अपनी कमर के गिर्द फिर उसकी उंगलियों का स्पर्श महसूसने लगावो और करीब खिसक आयी और उसके सीने पर अपना सिर रख दिया। कोई और वक्त होता तो बीवी को अपनी बाहों में भर चुका होता लेकिन उसका जी चाह रहा था मुर्दे की तरह चुपचाप पडा रहे और को इस बीच विघ्न नहीं डाले।अचानक मुन्ना जोर से रो पडा। वो मुडी और मुन्ने को तुरंत बिस्तर से उठा कर फर्श पर खडा कर दिया फिर भी फर्श तक आते आते दो चार कतरा पेशाब बिस्तर पर खता हो गया। मुन्ने को फर्श पर पेशाब कराने के बाद बिस्तर पर लिटाया और थपकियां देने लगी।
अचानक उसको लगा दरवाजे पर कोई दस्तक दे रहा है! उसके कान खडे हो गये दिल में आया दफ्तर के साथी कैशियर को ढूंढने में कामयाब हो गये हैं। उसने दरवाजा खोला वहां कोई नहीं था! एक लम्हे के लिए उस पर सकता तारी रहा और फिर उसके मुंह से निकला - खुदा बेनियाज़ है और आदमी पुर उम्मीद उसके जी में आया जोर से चिल्लाए-
तमाम दरवाजे बन्द कर लो नहीं होगा किसी ईसा का आगमन आदमी इसी तरह खुद अपने निजाम के शिकंजे में फंसा रहेगा!
लेकिन वो चिल्ला नहीं सका।अचानक उसको सीने में जोर का दर्द महसूस हुआ। दोनो हाथों से छाती पकडते हुए उसने किसी तरह दरवाजा बन्द किया और लडख़डाता हुआ बिस्तर तक आया। कांपते हाथों से बीवी के बाजूओं को थामने की कोशिश की। उसको छाती से लगा कर भींचा। बीवी की छातियों के कोमल स्पर्श से उसको कुछ राहत मिली उसने अपना मुख उसके मुख पर रख दिया और उसकी पीठ जोर - जोर से सहलाने लगा मानो देह के स्पर्श से अपने लिए थोडे प्राण जज्ब करना चाहता होपेट के उस हिस्से के कडेपन को उसने महसूसने की कोशिश की जहां उसका अस्तित्व पल रहा था। लेकिन अचानक सीने में दर्द बढ ग़या। उसको अपना दम घुटता हुआ महसूस हुआ। दम टूटने की इस घडी में उसके जी में आया जोर से फरियाद करे -
मैं उस अपराध की सजा क्यों भुगतूं जो मैं ने किया नहीं है?
लेकिन आवाज उसके सीने में मानों घुट कर रह गयीफंसी - फंसी सी आवाज में वो दो बार बीवी का नाम ले कर पुकार सकासुलताना सुलताना!
और उसका सिर सुलताना की छातियों के दरम्यान लुढक़ गया!