मौसम-मुर्ग / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल

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मौसम-मुर्ग ने हवा से कहा, "कितना थका देने वाली और एकरस हो तुम। क्या तुम किसी और तरह नहीं बह सकती? तुम मेरी ईश-प्रदत्त स्थिरता को भंग करती हो।"

हवा ने कुछ नहीं कहा। वायुमंडल में वह केवल हँस दी।