यक्ष प्रश्न / अशोक भाटिया
Gadya Kosh से
शहर के गणमान्य व्यक्तियों का ‘बेटा बेटी एक समान’ विषय पर एक उच्चस्तरीय कार्यक्रम चल रहा था। कार्यक्रम अंतिम चरण में था। मुख्य वक्ता अपना वक्तव्य दे रहे थे। उन्होंने देखा कि श्रोता ऊँघने लगे हैं। उन्होंने उनका ध्यान खींचने के लिए पूछा- आपमें से जो बेटी को बेटे के बराबर मानते हैं, वे हाथ खड़े करें। ’
सबने हाथ खड़े कर दिए। फिर हाथ नीचे करते हुए कुछ श्रोता फुसफुसाए – बेटियां तो बेटों से भी बढकर हैं।’
मुख्य वक्ता मुस्कराया। उसने फिर पूछा –आपमें से जो अपने बेटों को बेटियों के बराबर मानते हों, वे हाथ खड़े करें। ’
अब किसी में आँख उठाने की भी हिम्मत नहीं थी।