यथार्थ और सौन्दर्यबोध का अनुपम हाइकु-संग्रह है ‘सप्तस्वर’ / कविता भट्ट

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सप्तस्वर( हाइकु-संग्रह) सम्पादक: डॉ.कुँवर दिनेश सिंह , अयन प्रकाशन, 1/ 20, महरौली नई दिल्ली-110030 , वर्ष 2021, पृष्ठ: 96, मूल्य रु0 220/-

डॉ.कुँवर दिनेश सिंह द्वारा सम्पादित हाइकु-संग्रह ‘सप्तस्वर‘ विषय वैविध्य को समेटे हुए एक श्रेष्ठ हाइकु-संग्रह है। अत्यंत आकर्षक व अर्थपूर्ण आवरण पृष्ठ के साथ ही शीर्षक स्वयं ही इस हाइकु-संग्रह की विषय-वस्तु के सम्बन्ध में बहुत कुछ प्रतिबिम्बित करता है। उत्कृष्ट हाइकु सर्जक चयनित सात हाइकुकारों के विविधविषयी हाइकु इस संग्रह में एक साथ होना शीर्षक को सार्थक, रोचक और सारगर्भित बनाते हैं। डॉ कुँवर दिनेश के सधे हुए एवं उत्कृष्ट सम्पादन शिल्प में इस संग्रह के अन्तर्गत उन्होंने वरिष्ठ हाइकुकार सुदर्शन रत्नाकर व भीकम सिंह के साथ ही मीनू खरे, प्रियंका गुप्ता, भावना सक्सैना, अनिता ललित और ज्योत्स्ना प्रदीप के हाइकु चयनित व सम्पादित किए हैं।

सुदर्शन रत्नाकर के उत्कृष्ट हाइकु प्रकृति, जीवन सत्य, यथार्थ, यादें और प्रेम इत्यादि रोचक विषयों पर केन्द्रित हैं और इन्हीं से यह संग्रह प्रारम्भ होता है। आपके द्वारा रचित- भीगते रहे/ बरसात में हम/प्यासा है मन (पृष्ठ 10) एक मनमोहक हाइकु है। इसके अतिरिक्त- सर्दी की धूप/अहसास कराती/ज्यों माँ का स्पर्श (पृष्ठ 11)

बिम्ब के माध्यम से अपनी बात कहने की हाइकुकार की अनुपम सामर्थ्य को दर्शाता है। भीकम सिंह द्वारा रचित हाइकु प्रेम, रात, जुगनू, सूर्य और गाँव इत्यादि नवीन विषयों पर आकर्षक और सारगर्भित हैं। इनके- प्रेम का क्षण/पलकों से ढुलका/ज्यों अश्रुकण (पृष्ठ 21) और ‘सूर्य से दौड़े/खींच रहे हैं धूप/श्रम के घोड़े’ (पृष्ठ 29) जैसे अत्युत्तम हाइकु इस संग्रह के सौन्दर्य में वृद्धि कर रहे हैं।

मीनू खरे ने पर्यावरण, पावस, वसन्त, औरत और जीव-जन्तु इत्यादि सुन्दर विषयों पर लेखनी चला है- काजल नहीं/पीड़ाओं की झील की/परिधि है ये (पृष्ठ 39) और - मैं औरत हूँ/नेमप्लेट के सिवा/पूरा घर हूँ‘ (पृष्ठ 42) जैसे मर्मस्पर्शी हाइकु मीनू खरे के लेखन को विशिष्टता के चरम तक ले जाते हैं।

प्रियंका गुप्ता ने प्रकृति, अकेलापन, नींद, सपने और रिश्ते इत्यादि विषयों में अपने भावों को अभिव्यक्त किया है-मेरी आस्तीन/विषधरों से भरी/जान न पाई (पृष्ठ 50)

और

तुम्हारा प्यार/कलियुग में गूँजे/वेद ऋचाएँ (पृष्ठ 54) जैसे सारगर्भित हाइकु आपके लेखन को अन्य हाइकुकारों से थोड़ा अलग बनाते हैं।

भावना सक्सैना के हाइकु प्रकृति, जल, व्रत और त्योहार इत्यादि पर केन्द्रित हैं। इस संग्रह में आपके द्वारा रचित-जल क्यों व्यर्थ/हर बूँद लिये है/अपना अर्थ(पृष्ठ 59) और रात चाँदनी/पलक अलगनी/यादें हैं टँगी (पृष्ठ 69) इत्यादि जैसे अनेक हाइकु प्रासंगिकता युक्त वर्त्तमान विषयों को सँजोए हुए हैं।

अनिता ललित ने स्मृतियाँ, चाँद-चाँदनी, प्रेम और वर्षा जैसे सुन्दर विषयों को अपनी लेखनी से उकेरा है-

मीत ने छला/हाथों की लकीरों से/क्या करूँ गिला (पृष्ठ 74)

हाइकु चाँद उतरा/सीपियों के अँगना/सिन्धु मचला(पृष्ठ 75) इत्यादि जैसे अनेक मनभावन हाइकु इस संग्रह में चार चाँद लगा रहे हैं।

ज्योत्स्ना प्रदीप के हाइकु फूल, सूरज, चाँद और बादल इत्यादि प्राकृतिक विषयों पर केन्द्रित हैं -पलाश वन/पद्मिनी का हो मानो/जौहर-यज्ञ (पृष्ठ 85) और यामा से हिम/है आलिंगनबद्ध/आकाश स्तब्ध (पृष्ठ 90) इत्यादि जैसे बिम्बात्मक हाइकु इस संग्रह को समग्रता की ओर ले जाते हैं।

'डॉ . कुँवर दिनेश जैसे मजे हुए सम्पादक ने अद्भुत कौशल द्वारा श्रेष्ठ हाइकु और विषयों को एक ही संग्रह में समाहित किया और चयन में भी अपनी विशिष्ट पारखी क्षमता को पूर्व की भाँति ही परिपुष्ट किया। एक ओर जहाँ वरिष्ठ हाइकुकारों ने अपनी चिर-परिचित शैली में विभिन्न बिम्बों द्वारा संग्रह में प्राण भर दिए। वहीं अनेक नई; किन्तु उत्कृष्ट लेखनियों द्वारा अनेक सुन्दर विषयों पर रचित हाइकु इस संग्रह को विशिष्ट बनाते हैं। साररूप में यह संग्रह सामान्य पाठकों के साथ ही शोधार्थियों के लिए भी पठनीय और संग्रहणीय है।