यहूदी दुख से प्रेरित उपन्यास व फिल्में / जयप्रकाश चौकसे

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यहूदी दुख से प्रेरित उपन्यास व फिल्में
प्रकाशन तिथि : 01 फरवरी 2021


अर्थशास्त्र के जानकार कहते हैं कि हर 90 वर्ष पश्चात वैश्विक आर्थिक मंदी आती है। वैश्विक आर्थिक मंदी एक विस्फोट की तरह होती है, जिसके आणविक विकिरण दूर तक और देर तक असर दिखाते हैं। विगत आर्थिक मंदी का दौर 1931 में आया था। उन दिनों रेस्त्रां के बाहर लिखा होता था कि अभी चाय-कॉफी की कीमत यह है परंतु पीते समय महंगाई बढ़ सकती है। विगत आर्थिक मंदी के दौर में बेरोज़गारी बहुत बढ़ी थी। हिटलर ने इसका लाभ उठाकर प्रचार किया कि सत्ता में आते ही वह रोज़गार के अवसर पैदा करेगा। उसने सत्ता में आते ही हथियार बनाने के कारखाने खोले। अपनी धन की आवश्यकता पूरी करने के लिए उसने यहूदियों पर दबाव बनाया। उनके दफ्तरों पर छापे मारे। फिर हिटलर ने कहा कि आर्य जाति सर्वश्रेष्ठ है और उसे पूरे विश्व पर अधिकार जमाना होगा। यह आर्य श्रेष्ठता ने यथेष्ट उन्माद जगाया। यहूदियों को विधिवत ढंग से त्रास दिया गया, उनकी संपत्ति जब्त कर ली। इस रकम से अधिक हथियार बनाकर सेना को शक्तिशाली बनाया। यहूदी कौम सूद पर धन देकर अमीर होती गई थी। उनके खिलाफ हमेशा से पूर्वाग्रह रहे हैं।

शेक्सपीयर के नाटक में यहूदी एक क्रिश्चियन को कर्ज देता है और करारनामे में यह लिखवा लेता है कि समय पर कर्ज अदा नहीं किया तो कर्ज़दार के शरीर से एक पाउंड मास निकालने का अधिकार उसे होगा। घटनाक्रम में कर्ज अदायगी में विलंब होता है। कर्ज लेने वाले पर मुकदमा कायम होता है। कर्ज़दार की प्रेयसी और पोर्शिया, पुरुष वेश धारण करके बचाव पक्ष की वकील के रूप में प्रस्तुत होती है। वह जज से कहती है कि करारनामे के अनुसार यहूदी करदाता को शरीर से एक पाउंड मांस निकालने का अधिकार है परंतु इस प्रक्रिया में रक्त की एक बूंद भी नहीं गिरनी चाहिए क्योंकि करारनामे में रक्त गिरने की बात का उल्लेख नहीं है।

पोर्शिया मुकदमा जीत जाती है। इस सबको लिखने का उद्देश्य यह है कि यहूदियों के खिलाफ हिटलर के उदय के बहुत पहले ही से ही पूर्वाग्रह रहे हैं। यह संभवत: उनकी अपार संपत्ति के कारण हुआ है।

बहरहाल एस.एस. वाचा ने ‘यहूदी’ नामक फिल्म का निर्माण किया। बिमल रॉय निर्देशित इस फिल्म में दिलीप कुमार, मीना कुमारी और सोहराब मोदी ने अभिनय किया। गीत है, ‘ये मेरा दीवानापन है, या मुहब्बत का सुरूर, तू न पहचाने तो है ये, तेरी नज़रों का क़ुसूर, दिल को तेरी ही तमन्ना, दिल को है तुझसे ही प्यार, चाहे तू आए न आए, हम करेंगे इंतज़ार। शैलेंद्र ने नया विचार रखा कि इंतज़ार अपने आप में संपूर्ण काम है और महबूबा का आना महत्वपूर्ण नहीं है।

हिटलर के कैंप में लाखों यहूदी मारे गए। दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात यहूदियों ने अपना देश बनाने की मांग की। अमेरिका और ब्रिटेन ने इज़राइल देश की स्थापना में राजनैतिक शक्ति का इस्तेमाल किया। इसमें वहां के मूल निवासी फिलिस्तीनियों के साथ अन्याय हुआ। उन्हें खदेड़ा गया। मूल निवासियों के पास साधन कम थे परंतु उन्होंने इज़राइल पर आतंकवादी हमले किए। यहां से ही आधुनिक काल खंड में आतंकवाद का प्रारंभ हुआ। शेखर कपूर ने आतंकवाद के उदय पर फिल्म बनाई है। ज्ञातव्य है कि इज़राइल के खिलाड़ी ओलंपिक के समय मारे गए। यहूदियों ने दोषियों को खोजा और दंडित किया। यहूदियों का एक संगठन हिटलर के साथियों को खोजता है। लिओन यूरिस का उपन्यास क्यू.बी.सेवन महत्वपूर्ण है। ज्ञातव्य है कि एना फ्रेंक की डायरी पर फिल्म बनी है। 1918 में ‘जोजो रैबिट’ नामक फिल्म में यहूदियों को बचाने की कथा है, जिसे ऑस्कर से नवाज गया था। स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ‘शिंडलर्स लिस्ट’ में एक क्रिश्चियन, यहूदियों को काम देता है। अपने तलघर में उनको प्रश्रय देता है। हाल ही में दिल्ली में इज़राइल दूतावास के गेट पर बम फेंका गया। यहूदी, दोषियों को दंडित करेंगे। यह मुमकिन है कि आखिरी युद्ध संकीर्णता बनाम संकीर्णता हो।