यह पांचवी फ्रेम कहां है / जयप्रकाश चौकसे

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यह पांचवी फ्रेम कहां है

प्रकाशन तिथि : 28 फरवरी 2011

गुजश्ता सभ्यताएं ज्ञान की कमी से समाप्त हुईं और मौजूदा शायद जानकारियों की अधिकता से। बहरहाल, आजकल भांति-भांति के आंकड़े इकठठे किए जाते हैं और विशेषज्ञ भी कुछ इस तरह बनते हैं कि बाएं नकसुड़े में दर्द होने पर सीधे का विशेषज्ञ इलाज नहीं करता। कुछ दिनों में जनरल फिजीशियन खोजने पर भी नहीं मिलेगा। आम आदमी के लिए क्या कम संतोष की बात है कि वह किसी अनाड़ी नहीं वरन विशेषज्ञ की देखरेख में मर रहा है।

बताया जाता है कि हाल ही में अनेक लोगों से पूछा गया कि वे किस अभिनेत्री को संपूर्ण नग्न अवस्था में देखने की ख्वाहिश रखते हैं। इसमें ऐश्वर्या राय को सबसे अधिक मत मिले और प्रियंका चोपड़ा दूसरे स्थान पर रहीं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उत्तेजक नृत्य प्रस्तुत करने वाली किसी भी साहसी बाला को अधिक मत नहीं मिले क्योंकि उन्होंने कभी कुछ छुपाने का प्रयास ही नहीं किया। स्वाभाविक है कि अनदेखे के प्रति ज्यादा आकर्षण होता है और प्रतिबंधित क्षेत्र में झांकने का हमेशा मन होता है।

मधुबाला, सुचित्रा सेन, नरगिस और नूतन जैसी अभिनेत्रियां हमेशा लोकप्रिय रही हैं और इनके व्यक्तित्व का आकर्षण अनावरण में नहीं, परदेदारी में था। साड़ी स्कर्ट पर भारी पड़ती रही है कि उससे एब छुपाए जा सकते हैं और 'शक्ति' के संकेत दिए जा सकते हैं। 'मुगल-ए-आजम' में दिलीप कुमार स्वयं में तल्लीन मधुबाला के चेहरे पर मोरपंख का स्पर्श करते हैं और यह सबसे बड़ा प्रेम दृश्य बनकर उभरता है। राज कपूर और नरगिस बेहद झिझक के साथ बरसते पानी में एक ही छाते के नीचे खड़े होते हैं और यह प्यार के इकरार का सबसे अधिक प्रभावोत्पादक दृश्य माना जाता है। देव आनंद के जीनत अमान के साथ किए गए धुआं-धुआं दृश्य 'गाइड' के प्रेम दृश्य के सामने बहुत बेअसर नजर आते हैं। 'जागते रहो' में ठरकी वेश्यागामी मोतीलाल के सामने उनकी पत्नी गाती है, 'पिया आज खिड़की खुली मत छोड़ो, पिया आज बाती जली मत छोड़ो...' और आमंत्रण में इस गीत दृश्य में 'चोली के पीछे' से ज्यादा कशिश है। पेंटिंग के क्षेत्र में कई प्रसिद्ध लोगों ने भी मॉडलिंग की है। राजा रवि वर्मा पर लगाया गया अश्लीलता प्रदर्शन का आरोप कोर्ट में नहीं टिक पाया। आज तक प्रतिबंधित करने वाला कोई भी पक्ष किसी भी अदालत में नहीं जीता है। इस तरह के प्रकरणों में अदालत से अलग होता है सामाजिक लोकप्रिय फैसला।

एक बार अमेरिका में एक विज्ञापन फिल्म पर नग्नता के आभास का आरोप था, परंतु कोर्ट में देखने के बाद यह महसूस किया गया कि कुछ है, परंतु स्पष्ट नहीं है। हर पांचवीं फ्रेम में नग्न चित्र था और २४ फ्रेम प्रति सेकंड चलने पर चित्र नजर नहीं आता, परंतु जाने कैसे अवचेतन में उसका आभास पैदा होता है। बहरहाल, यह विचारणीय है कि कभी आम आदमी से उसकी इच्छाओं को जानने का प्रयास क्यों नहीं किया गया। फुटपाथ पर जीवन बसर करने वालों से पूछें कि क्या वे किसी सितारा का नग्न स्वरूप देखना चाहेंगे या उन्हें पेट भर भोजन ज्यादा बेहतर लगेगा। इस तरह के फितूर कैसे लोगों के दिमाग में आते हैं? हमारे यहां कम से कम पैंतीस प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिन्हें पूरे जीवन में एक संपूर्ण आहार नहीं मिलता। कभी एक बार दाल, रोटी और एक सब्जी वाला भोजन नहीं मिला है। नमक से रोटी खाते-खाते उम्र बीत जाती है। इस हकीकत को अनदेखा करके ऐसे आंकड़े इकठठे करना कि कितने प्रतिशत लोगों के अवचेतन में किसे संपूर्ण नग्न देखने की इच्छा है, अजीब लगता है।