यादों के पाखी / सुधा गुप्ता

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श्री रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' ने डॉ.भावना कुँअर और डॉ.हरदीप कौर सन्धु के साथ मिलकर एक 'थीम आइडिया' लेकर 'यादों के पाखी' नामक हाइकु संकलन का सम्पादन किया है। इस संकलन में 48 नए-पुराने हाइकुकार हैं। सभी के हाइकु एक विषय पर केन्द्रित हैं- 'स्मृति' यह अपने ढंग का पहला हाइकु-संकलन है। विषय को चुनने में भी बड़ी सावधानी बरती गई हैः जीवन में मानव की स्मृतियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

यदि स्मृतियाँ न होतीं तो मानव विशेष सुखी होता, किन्तु अधूरा भी—स्मृति दुःखद और सुखद दोनों रूपों में आकर रुलाती-हँसती रहती हैं। हिन्दी के हाइकुकार स्मृतियों के धनी हैं। हिन्दी हाइकु में बात करने का 'शउर' है, 'सलीका' है, वेदना व्यक्त करने का एक शालीन, गरिमामय संस्कार है। बहुत-से हाइकु सीधे अध्यात्म से जुड़ कर हाइकु की मूल भावना को अभिव्यक्ति देते हैं तो बहुत से पार्थिव प्रेम, विरह, स्मृति-वैकल्य को साकार करते हैं, किन्तु सभी हाइकुकारों में एक बात समान है-शालीन अभिव्यक्तिः सांकेतिकता, सुचारुता, शब्दों के चयन में अतिरिक्त सतर्कता, भावना-प्राबल्य है, आवेग है, किन्तु 'ऊहा' नहीं, 'उत्ताप' नहीं, एक ऐसे सहज वातावरण का निर्माण जहाँ 'मौन' बहुत कुछ गुनगुनाता है, वरिष्ठ हाइकुकार, डॉ-भगवत शरण अग्रवाल के हाइकु से आरम्भ करती हूँ-

1-भोर के साथ / महक किसकी थी / पागल मन!

2-टहुँके मोर / याद आ गया कौन / इतनी भोर?

3-घटा-सी घिरी / कमलों की सुगन्ध / वह आए क्या?

4-याद तो होगा / पुस्तकें बदलना / पृ ' ठों में फूल

5-तुम्हारी यादें / रात-रात करतीं / फूलों से बातें

वयोवृद्ध हाइकुकार डॉ-रमाकान्त श्रीवास्तव के व्यक्तित्व की सौम्य सुकोमलता तो सर्वविदित है-

1-आया वसन्त / मंजरियों में बसी / तेरी सुगन्ध

2-जलाता सदा / सँझवाती बिरिया / दीप यादों का

डॉ-गोपाल बाबू शर्मा केवल सतरह वर्ण में एक समूचा जीवन खण्ड प्रस्तुत कर देते हैं-

1-भीगती शाम / साथ-साथ लिखे थे / पेड़ों पर नाम

श्री रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' अपने उपमानों / प्रतीकों की पावनता से मन मोह लेते हैं-

1-संझा-जीवन / बनी यादें तुम्हारी / मन्दिर-बाती

2-धुले रूप-सी / गुनगुनी धूप-सी / यादें तुम्हारी

3-तुम्हारी याद / अँधेरे में दीप-सी / रही आबाद

4-टेरती रहीं / हिलते रुमाल-सी / व्याकुल यादें

5-बीते बरसों / अभी तक मन में / खिली सरसों

डॉ-उर्मिला अग्रवाल की स्मृति में भोर की 'उजास' झिलमिलाती है-

1-उजास फैली / भोर-किरन नहीं / तेरी याद थी

2-चाँदनी रातें / डबडबाई आँखें / तुम्हारी यादें

सशक्त हाइकुकार डॉ-भावना कुँअर एक सर्वथा नूतन / अनछुए संसार में ले जाती हैं-

1-पागल हवा / उड़ा कर ले आई / यादों के ख़त

2-दौड़ती आई / चंचल हिरणी-सी / याद तुम्हारी

3-ओढ़ के सोई / विरह की रातों में / यादों की लोई

डॉ-हरदीप कौर सन्धु की यादें तो अद्भुत 'खज़ाना' समेटे हैं_ पलक झपकते दशकों पुराने जीवन के 'एल्बम' खोल बैठीं-

1-तोतले दिन / जिस संग बिताए / यादों में आए

2-मन पहुँचा / यादों के पंख लगा / गाँव-आँगन

3-थका ये मन / यादों की तकिया ले / जी भर सोया

4-पगती रही / यूँ रूह की खुराक / यादों के चूल्हे

सुदूर अतीत के गर्भ में छिपी 'स्मृति' की अनूठी अभिव्यक्ति रचना श्रीवास्तव ने यूँ की है-

1-भूली तारीख / तिरता कोई गीत / दिलाता याद

2-मुड़ा पड़ा था / जंग लगे बक्से में / पुराना वक्त

'स्मृति' की इस वीथिका में अनेक एक-से-एक शब्द-चित्र उकेरे गए हैं-

1-गूँजती रही / यादों की बाँसुरी / मन के तीर-कमला निखुर्पा

2-साँझ की नदी / क्यों कल-कल गाए / यादों के गीत-कमला निखुर्पा

3-पत्तियाँ नहीं / झरतीं किताबों से / यादें तुम्हारी-ज्योत्स्ना शर्मा

4-महक उठे / दिल के घरौंदे में / यादों के फूल-प्रियंका गुप्ता

5-याद तुम्हारी / आँखों के कोरों पर / आँसू की बूँद-कृष्णा वर्मा

6-अधर मौन / फिर भी हुई बात / आज भी याद-डॉ-सतीशराज पुष्करणा

7-टूटी कलम / लिखे यादों की दास्ताँ / बिन स्याही के-श्याम सुन्दर अग्रवाल

8-तुम्हारी याद / दिन देखे ना रात / आ बैठे पास-सुभाष नीरव

9-सहेज ली हैं / मन की पोटली में / चंचल यादें-डॉ.जेन्नी शबनम

10-नदी का पाट / वह घरौंदे बनाना / आता हे याद-सुशाीला शिवराण

11-यादों के खत / भटकते पहुँचे / बरसों बाद-डॉ.अनीता कपूर

12-यादों के तीर / चुभे रहे ताउम्र / नैनों में नीर-रेखा रोहतगी

13-यादें तुम्हारी / धरोहर हैं मेरी / कैसे भूलूँ मैं-सुदर्शन रत्नाकर

14-आँखों की कोर / यादों के मौसम में / भीगी ही रही-मंजु मिश्रा

15-बूढ़ी आँखों में / लौट आतीं खुशियाँ / चिट्ठी जो आती-रा. मो. त्रि. बन्धु

16-छम-से आया / यादों भीगा सावन / सूखी आँखों में-स्वाति भालोटिया

17-मन पाखी-सा / यादों के पिंजरे में / फड़फड़ाए-डॉ-सरस्वती माथुर

18-काली थीं रातें / दिल दीपक बना / बाती थीं यादें-प्रो.दविद्रकौर सिद्धू

19-यादों के वाण / जब भी हैं चलते / घायल प्राण-अमिता कौण्डल

20-करता रहा / यादों से मन-मानी / पागल मन-चन्द्रबली शर्मा

21-मिलते हमें / यादों के सफर में / गुजरे लम्हे-प्रगीत कुँअर

22-मिश्री-सी मीठी / निबौरी-सी कड़वी / अनन्त यादें-सीमा स्मृति

23-यादों की झील / चाँद उतर आया / मन हर्षाया-संगीता स्वरूप

सारांशतः मेरा निवेदन है कि हिन्दी हाइकु की यह उल्लेखनीय विशेषता कि मन के भावों की अभिव्यक्तिः दुःख हो या सुख, में गहनता, मार्मिकता, सहजता तथा हृदय को छू लेने की क्षमता है किन्तु वह अपनी शालीनता तथा गरिमा को सदैव बनाए रखती है-वह शोर-शराबे से दूर है, उसमें लाउडनेस नहीं है। उसकी यही शिष्टता विशेष सराहनीय है।

अभिजात वेदना के नीरव आर्त्तनाद को साकार करते कुछ हाइकु (इन पंक्तियों की लेखिका के) उद्धृत करते हुए प्रसंग का समापन करना चाहूँगी-

1-बरसों बाद / घुँघरू-सी छनकी / तुम्हारी याद

2-किसी की याद / फिर फड़फड़ाई / छाती में फाख़्ता

3-कूकी जो पिकी / एक हिलोर उठी / हिचकी बँधी

4-कूकी कोयला / चीरा-सा लगा गई / टपका लहू

5-भूलता नहीं / एक सूखा गुलाब / बन्द किताब

हजारों वर्ष से लिखी जा रही यह किताब कभी खत्म नहीं होगी-नित नए पन्ने इसमें जुड़ते रहेंगे। संचयन एवं संकलन प्रस्तुत कर्त्ता श्री हिमांशु, डॉ.भावना कुँवर, डॉ.हरदीप कौर सन्धु को उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए बधाई।