यामी गौतम बनाम माहिरा / जयप्रकाश चौकसे

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यामी गौतम बनाम माहिरा
प्रकाशन तिथि :06 जनवरी 2017


पच्चीस जनवरी के दिन शाहरुख खान की 'रईस' और ऋतिक रोशन की 'काबिल' का प्रदर्शन होने जा रहा है और इन हाथियों की भिड़न्त से जन्मे विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। 'रईस' की नायिका माहिरा पाकिस्तान के छोटे परदे पर भूमिकाएं कर चुकी हैं। 'काबिल' की नायिका यामी गौतम 'विकी डोनर' करने के बाद एक-दो फिल्मों में ही नजर आई हैं। माहिरा को यामी गौतम से अधिक अनुभव है और वे मंजी हुई कलाकार हैं, परंतु यामी गौतम अपने सीमित अवसरों में अपने अभिनय से अधिक अपने आकर्षक व्यक्तित्व के लिए चर्चित रही हैं। किसी भी भीड़ में यामी गौतम अपनी सुंदरता के कारण अलग पहचान बनाती हैं। अत: इन नायिकाओं की टक्कर को अनुभव बनाम अनगढ़ता भी कहा जा सकता है। माहिरा ने टेलीविजन के लिए काम किया है परंतु यह उसकी पहली फिल्म है। टेलीविजन के दर्शक और कथा फिल्मों के दर्शकों में अंतर होता है। वे दोनों एक ही व्यक्ति होकर भी अलग होते हैं। टेलीविजन घर में परोसी गई थाली है, सिनेमा एक रेस्तरां की तरह है। रेस्तरां में व्यक्ति घर से अलग किस्म के भोजन के लिए जाता है। घर की थाली में परोसा बैंगन खाने के सिवा आपके पास कोई रास्ता नहीं है, परंतु रेस्तरां में आप बैंगन के लिए ऑर्डर नहीं करते।

विभाजन के बाद पाकिस्तान में सिनेमा उद्योग विकसित नहीं हुआ। सीमित संख्या में सिनेमाघर हैं परंतु वहां का शिक्षित वर्ग टेलीविजन से जुड़ा। उनके सीरियल सभी एशियाई देशों में पसंद किए गए। सीरियल 'तन्हाइयां' और 'धूप किनारे' तो बीबीसी पर भी दिखाए गए। उनकी लेखिका हसीना मोइन को राजकपूर ने भी 'हिना' के संवाद लिखने के लिए आमंत्रित किया था। जेबा बख्तियार भी पाकिस्तान से आई थीं और 'हिना' के बाद उन्होंने रणधीर कपूर के सहायक खालिद सामी के निर्देशन में 'नरगिस' नामक फिल्म में अभिनय किया, जिसका प्रदर्शन अदालती अखाड़े में फंसा रहा और हाल ही में मुक्त हुआ है। 'नरगिस' की कथा हेलन केलर के जीवन से प्रेरित है और नायिका गूंगी तथा बहरी है। वह संघर्ष और इलाज से सामान्य हो जाती है।

यह इत्तेफाक काबिले गौर है कि राकेश रोशन की 'काबिल' के पात्र देख नहीं पाते गोयाकि ये 'चिल्ड्रन ऑफ लेसर गॉड' की कहानियां हैं। ईश्वरीय कमतरियों से पीड़ित लोगों को 'चिल्ड्रन ऑफ लेसर गॉड' कहा जाता है। अत: खालिद सामी की 'नरगिस' और राकेश रोशन की 'काबिल' में थोड़ा-सा साम्य है। आश्चर्य तो यह भी है कि 'हिना' की जेबा बख्तियार और 'काबिल' की यामी गौतम की सुंदरता में भी साम्य है। दरअसल 'मेड इन इंडिया' और 'मेड इन पाकिस्तान' की समानता दोनों मुल्कों के बीच तनी सरहद का मखौल उड़ाती है। दूसरे युद्ध के बाद विभाजित जर्मनी फिर एक हो गए और सरहदें टूट गईं, तो क्या हम यह मानें कि भारत और पाकिस्तान भी कभी एकजुट होकर एशिया को यूरोप बनने से बचा लेंगे। चीन के सपने तो यही हैं कि वह एशिया के सभी देशों का मालिक बनकर पश्चिम को नेस्तनाबूद कर दे।

आजकल युद्ध बाजार को अपने अधीन लेने का हो चुका है और चीन की घुसपैठ जारी है। चीन की महत्वाकांक्षा है कि वह चीनी भोजन की तरह पूरे विश्व में आधिपत्य जमा ले। स्वाद की दुनिया हथियार के बाजार से अलग होती है परंतु कांटा और चाकू उसमें भी इस्तेमाल होते हैं। फोर्क व नाइफ स्वाद की दुनिया के एके 47 की तरह हैं। चीनी व्यंजनों में भारतीय तड़का लगने से उसका स्वाद अलग ही बन जाता है। चीन में परोसा गया व्यंजन, भारत के अनेक शहरों में बने भोजन के ठिए 'चाइना टाउन' से अलग हैं। शक्ति सामंत तो पांचवे दशक में 'चाइना टाउन' नामक थ्रिलर भी बना चुके हैं। चीनी ढ़ंग से पके व्यंजनों में 'अजीनोमोटो' डाला जाता है, जिसे अब सेहत के लिए हानिकारक घोषित किया जा चुका है। बहरहाल, 25 जनवरी को सिनेमाघरों में 'रईस' और 'काबिल' की मुठभेड़ होगी और फैसला दर्शक के दरबार में होगा।