याराना समधियाने की फंतासी / जयप्रकाश चौकसे

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याराना समधियाने की फंतासी
प्रकाशन तिथि : 10 सितम्बर 2018


टेलीविजन पर एक कार्यक्रम में रानी मुखर्जी-चोपड़ा ने मजाकिया लहजे में कहा कि सलमान खान की बेटी और शाहरुख खान के बेटे में इश्क हो जाए और शादी भी हो जाए तो वे एक-दूसरे के रिश्तेदार बन जाएंगे। समधियाना रिश्ता आपसी प्रतिद्वंद्विता को समाप्त कर देगा और सूरज बड़जात्या की फिल्म 'मैंने प्यार किया' में प्रस्तुत समधी युगल गीत की संभावना पैदा होगी।

दरअसल, ऐसा कुछ होने पर दोनों कलाकार इस प्रेम-कहानी के खलनायक बन जाएंगे तथा युवा प्रेमी 'बॉबी' की तरह भाग जाएंगे। सलमान नदी में कूदकर शाहरुख के बेटे को बचाएंगे और शाहरुख सलमान की बेटी को बचाएंगे जैसे 'बॉबी' में प्रेमनाथ और प्राण करते हैं। यह एक अत्यंत हवा-हवाई गल्प है, क्योंकि सलमान खान ने अभी तक विवाह नहीं किया है। गौरतलब यह है कि रानी मुखर्जी ने अपनी संतान को इस तरह की कल्पना में प्रेम विवाह से दूर रखा है। प्राय: माता-पिता अपनी संतान के विवाह की कल्पना पारम्परिक ढंग के विवाह की तरह ही करते हैं। हम अपनी कल्पना या फंतासी में भी क्रांतिकारी नहीं होना चाहते इसलिए फॉर्मूलाबद्ध फिल्में बनाते हैं।

आख्यानों से बुने हमारे अवचेतन में भी राधा-कृष्ण प्रेम को हम काल्पनिक ही मानते हैं। ताजा खबर है कि सलमान खान अपनी अंतरंग मित्र यूलिया वंटूर और जिमी शेरगिल को लेकर एक फिल्म बनाने जा रहे हैं, जिसमें पोलैंड की एक युवती कृष्ण भक्त है और एक भारतीय से प्रेम करती है। ज्ञातव्य है कि कुछ ही दिन पूर्व इसी कॉलम में यह लिखा गया था कि एक टाइटैनिक नुमा फिल्म की कथा इस प्रकार हो सकती है कि अमेरिका में बसी एक युवती से एक अमेरिकी टेक्नोक्रेट प्रेम करता है। युवती कृष्ण भक्त है। उसका प्रेमी भारत आता है और समुद्र में डूबी हुई द्वारका की खोज करता है। उसी द्वारका में निरंतर रास होता है। दरअसल, एक-सा विचार अनेक लोगों के मस्तिष्क में जन्म ले सकता है और इस वैचारिक जलसाघर में कोई कॉपीराइट एक्ट भी नहीं है।

जब शाहरुख खान दिल्ली से मुंबई आए थे तब अजीज मिर्जा ने उन्हें आश्रय दिया था और 'राजू बन गया जेंटलमैन' नामक फिल्म में अवसर भी दिया था। शाहरुख खान 'फौजी' नामक सीरियल में अभिनय कर चुके थे। अपने संघर्ष के समय शाहरुख खान प्राय: सलमान खान के घर जाते थे और सलीम खान उनका हौसला बढ़ाया करते थे। उस समय सलमान खान सितारा हैसियत प्राप्त कर चुके थे। दोनों के बीच याराना था। जैसे-जैसे शाहरुख खान को अवसर मिलते गए और वे व्यस्त होते गए, वैसे-वैसे उनके बीच मेलजोल कम होता गया। यह स्वाभाविक था।

एक दौर में सलमान खान और एेश्वर्य राय के बीच अंतरंग संबंध पनप रहे थे। उसी दौर में शाहरुख खान भी ऐश्वर्या राय के साथ काम करने लगे और 'अमानत में खयानत' होने लगी या उसके अंदेशे पर ही दोनों के बीच भिड़ंत हो गई। मुंबई-पुणे के बीच एक लोकेशन पर शूटिंग के समय बात हाथापाई तक जा पहुंची थी। यह फिल्म उद्योग में पहली या आखिरी बार नहीं हो रहा था। राज कपूर अपने समकालीन दिलीप कुमार के माध्यम से नरगिस को अपने खेमे में ले आए और दोनों ने सतरह फिल्मों में साथ-साथ काम किया। दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला ने 'नया दौर' में साथ-साथ काम किया और दोनों ने कुछ और फिल्में भी साथ-साथ अभिनीत की। यहां तक कि दिलीप कुमार की अपनी फिल्म 'गंगा जमुना' में भी वे नायिका थीं। जन्म-जन्मांतर की प्रेमकथा बिमल राय की 'मधुमति' में भी अभिनय किया। इसके पूर्व वे विमल राय की 'देवदास' में भी सह-कलाकार थे। राज कपूर ने वैजयंतीमाला के साथ 'नज़राना' नामक फिल्म की और बाद में उनकी 'संगम' में वे राधा की भूमिका में प्रस्तुत हुईं। इस फिल्म की यूरोप में की गई शूटिंग के दरमियान उनके रिश्ते गहरे हो गए। इस तरह दूसरी बार राज कपूर ने दिलीप के दिल में सेंध मारी। संजीव कुमार मन ही मन हेमा मालिनी से प्रेम करते थे परंतु धर्मेन्द्र अपनी 'ड्रीम गर्ल' को ले उड़े। हेमा के प्रति जितेंद्र भी आकर्षित हुए थे और वे लक्ष्मण रेखा पार ही करने वाले थे कि उनकी पुरानी मित्र शोभा उन्हें ले उड़ीं। इसी प्रकार कल्पना कार्तिक के प्रति चेतन आनंद और देवआनंद में प्रतिस्पर्धा थी और एक दिन शूटिंग के समय सेट पर ही देवआनंद ने कल्पना कार्तिक से विवाह कर लिया। अब यह बताना कठिन है कि विवाह कराने वाला पंडित असल में पंडित था या शूटिंग में पंडित की भूमिका करने वाला कोई चरित्र अभिनेता था? फिल्म उद्योग ही नहीं वरन हर क्षेत्र में साथ-साथ काम करने वालों के बीच गहरी मित्रता हो जाती है। प्रेम तिकोन भी बनते हैं। इस तरह के याराने की तरह बहनापा भी विकसित होता है। वहीदा रहमान और नंदा के बीच गहरा बहनापा रहा है। राज कपूर और राजेन्द्र कुमार की पत्नियां भी गहरी मित्र हैं। शबाना आजमी, शेखर कपूर और जावेद अख्तर भी मित्र रहे हैं। कहने वाले कहते हैं कि एक प्रेम तिकोन वह भी था। अभिव्यक्त प्रेम कथाओं से अधिक होती है अनअभिव्यक्त प्रेम-कथाएं।

राजनीति क्षेत्र के प्रेम तिकोन कभी उजागर नहीं होते परंतु साथ-साथ काम करने वालों के बीच रिश्ते तो बनते ही हैं। कुछ समय पूर्व स्वर्गवासी भये एक नेता का भी प्रेम-प्रसंग कभी उजागर नहीं हुआ। यह 'आर्टफुल डॉजर' का कमाल है। संदर्भ है ऑलिवर ट्विस्ट का एक पात्र। राजनीति क्षेत्र में यह कड़वाहट का दौर है। प्रेम से डरे हुए हुक्मरान नफरत ही फैला सकते हैं।