या देवी सर्वभूतेषु,नमस्तस्यै नमस्तस्यै / जयप्रकाश चौकसे

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या देवी सर्वभूतेषु,नमस्तस्यै नमस्तस्यै
प्रकाशन तिथि : 13 अप्रैल 2021


मुंबई के बोरीवली में चल रही शूटिंग को महामारी के चलते रोकना पड़ा। यह फिल्म महिला क्रिकेटर मिताली राज का बायोपिक है। तापसी पन्नू, मिताली की भूमिका अभिनीत कर रही हैं। मिताली राज के समान नजर आने के लिए दांत के डॉक्टर ने नकली डेंचर बनाया है, जिसे तापसी अपने मुंह में लगाती है। इस कठिन काम को तापसी ने अभ्यास करके सरल बना लिया। फुटबॉल आधारित फिल्म ‘मैदान’ टीम के कोच के संघर्ष की कथा है। ज्ञातव्य है कि इसी फिल्म के लिए बने सेट्स कोरोना के कारण तोड़ दिए गए थे। बोनी कपूर के 8 करोड़ रुपयों पर पानी फिर गया था। बोनी जीवन के तूफानों में टिके रहे। बोनी कपूर श्रीदेवी की असमय हुई मृत्यु के दुख के पहाड़ को पीठ पर उठाए हुए चल रहे हैं।

रिलायंस फिल्म निर्माण कंपनी की ‘83’ लंबे समय से सिनेमाघरों में लगाने के लिए रोक दी गई है। इस फिल्म में रणवीर सिंह ने कपिल देव की भूमिका के लिए लंबी ट्रेनिंग ली है। ज्ञातव्य है कि मार्लिन ब्रेंडों ने ‘गॉडफादर’ की भूमिका के लिए नकली डेंचर लगाया था। अपने माथे पर शल्य क्रिया द्वारा एक गठान लगवाई थी। अपने उच्चारण के लिए सिसली के लोगों की बोलने की शैली को अपनाया था । दिलीप कुमार ने अपनी फिल्म ‘गंगा जमुना’ के लिए अपने शरीर में कुछ परिवर्तन करवाए थे।

गौरतलब यह है कि कलाकार अपनी भूमिकाओं का अभिनीत करने के लिए अपने शरीर और विचार प्रक्रिया में परिवर्तन करते हैं। शूटिंग के बाद इन परिवर्तनों का कुछ प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है।

कलाकारों को सांप की तरह अपनी केचुली को बार-बार बदलना पड़ता है। सांप रेंगता है, अत: त्वचा के नष्ट होते ही नई त्वचा के आ जाने को प्रकृति ने रचा है। राजनीति क्षेत्र में सक्रिय लोग भी गिरगिट के समान अपना रंग बदलते रहते हैं। संभवत: उनकी दाह क्रिया के बाद भी गिरगिट वाला स्वभाव कायम रहता है। स्वर्ग और नर्क के अधिकारी, चित्रगुप्त को कितनी दुविधा होती होगी कि नेता की आत्मा को किस काम में भेजा जाए!

रानी मुखर्जी ने ‘दिल बोले हड़िप्पा’ में पुरुष वेश धारण करके क्रिकेट खेला। फाइनल मैच में पाकिस्तान की पुरुष टीम को पराजित किया था। पाकिस्तानी कप्तान ने जान लिया कि एक खिलाड़ी स्त्री है और उसने एतराज उठाया। उसकी चिंता यह थी कि पाकिस्तान लौटकर वह कैसे स्वीकार करेगा कि एक महिला से हार कर आया है! पुरुष का महिला से पराजित होना कभी सहा नहीं जाता। इस दृष्टिकोण ने मानव इतिहास में बहुत नुकसान पहुंचाया है। यह सिलसिला आज भी जारी है। किसी भी चुनाव में महिला से हार जाना पुरुष को सहन नहीं होता, इसलिए येन-केन प्रकारेण विजय रची जाती है।

हॉकी खेल में महिला टीम को ऑस्ट्रेलिया में आयोजित प्रतिस्पर्धा में भेजे जाने के लिए महिला टीम का मैच पुरुष टीम से करवाते हैं। पुरुष टीम जीत जाती है, परंतु पुरुष खिलाड़ी महिला टीम की योग्यता को नमन करते हैं। इस फिल्म का नाम था ‘चक दे इंडिया’। एक दौर में पाकिस्तान में बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री रहीं। वहां पुरुष बड़े कुढ़ते रहे। उनकी हत्या कर दी गई। हिंसा किसी समस्या का निदान नहीं है।

इस सत्य को प्राय: अनदेखा किया जाता है कि पुरुष में आधी महिला समाए हुए रहती है। हरिवंश राय बच्चन का कथन है कि उनका सारा लेखन उनके भीतर की महिला ने ही किया है। ग्वालियर के कवि पवन करण ने अनेक कविताएं, महिलाओं पर लिखी हैं। पूजा-पाठ हवन में पत्नी अपने पति के बायीं ओर बैठती है। इसलिए उसे वामा कहा जाता है। गौरतलब है कि पुरुष का भी बाएं हाथ से किया गया प्रहार ही निर्णायक होता है। बॉक्सिंग में बाएं का पंच विजय दिलाता है।

मनुष्य ने प्रभावी बाएं पर झूठी लोक-लाज और भीतरी कमजोरी के कारण प्लास्टर धारण किया हुआ है, जबकि उसमें कोई फ्रैक्चर नहीं हुआ है।