या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता... / जयप्रकाश चौकसे

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या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता...
प्रकाशन तिथि : 04 अक्तूबर 2019


जयंतीलाल गढ़ा की विद्या बालन अभिनीत 'कहानी' नामक रोचक फिल्म में विद्या बागची नामक पात्र लंदन से कोलकाता आया है अपने गुमशुदा पति की तलाश में। दरअसल, उसका असली मकसद उस आतंकवादी को खोजना है, जिसने रेल में बम फोड़कर अनेक लोगों को मार दिया था और मरने वालों में उसका पति भी शामिल था। वह एक गर्भवती स्त्री के स्वरूप में अपने मिशन पर आई है और एक पुलिसवाला अपने आला अफसरों के निर्देश का विरोध करते हुए उसकी सहायता करता है। वह उसी साधारण होटल में ठहरी है, जहां कथित तौर पर उसका पति रुका हुआ था। दरअसल उसका श्वसुर एक अत्यंत योग्य गुप्तचर अधिकार रहा है और सेवानिवृत्त होने के बाद उसी की योजना के अनुरूप उसकी बहू आतंकवादी को खोज रही है। पूरा घटनाक्रम बहुत रहस्यमय है और दुर्गा विसर्जन के दिन वह आतंकवादी को गोली मार देती है। पुलिस अफसर उसे खोज रहे हैं। वह दुर्गा विसर्जन के जुलूस में शामिल हो जाती है। परम्परा है कि विसर्जन जुलूस में सभी महिलाएं बड़े लाल बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहनती हैं और सभी के चेहरे पर गुलाल मला होता है। अत: किसी को पहचान पाना कठिन है।

सरकारी गुप्तचर की भूमिका नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने अभिनीत की है। आतंकवादी की हत्या करने के बाद विसर्जन जुलूस में शामिल हुई 'विद्या बागची' को खोजने में असफल अफसर उसके होटल जाकर उसके फिंगर प्रिंट लेना चाहता है परंतु उसने सारे निशान मिटा दिए हैं। लंदन से विद्या बागची नामक कोई स्त्री कभी कोलकाता आई ही नहीं है।

फिल्म के अंतिम दृश्य में नायिका अपने श्वसुर से कहती है कि गर्भवती स्त्री का स्वांग करते-करते उसे अब लगने लगा है कि उसने अपना गर्भस्थ शिशु खो दिया है गोयाकि गर्भवती होने का स्वांग करने से भी हृदय में ममता की लहरें हिलोरें लेने लगती हैं। ज्ञातव्य है कि कुछ आला सरकारी अफसर भी आतंकवादी से मिले हुए थे। मुंबई ब्लास्ट और उसी तरह के आतंकवादी हमलों में हमारे अपने बिके हुए लोग भी शामिल रहे हैं गोयाकि जयचंद परम्परा भी शाश्वत रही है।

गुरुदत्त ने जितनी फिल्में बनाई हैं, उतनी ही फिल्में कुछ रील बनाने के बाद रद्द कर दी थीं। आज़ादी पूर्व केदार शर्मा ने भी एक फिल्म बनाई थी, जिसमें एक शिल्पकार काल्पनिक चेहरे की मूर्तियां बनाता है और एक दिन उसे उसी चेहरे-मोहरे वाली एक महिला दिख जाती है। मनुष्य अवचेतन की सबसे निचली सतह पर समयातीत बातें दर्ज रहती हैं। मसलन टाइटैनिक दुर्घटना के चौदह वर्ष पूर्व मॉर्गन रॉबर्टसन के एक काल्पनिक उपन्यास का विषय ही एक भव्य पांच सितारा पानी के जहाज की डूबने की दुर्घटना थी। समय की नदी के किनारे बैठा व्यक्ति देखता है कि नदी के तल से उठी कोई लहर सतह पर प्रवाहित लहरों से मिल जाती है और जल पर एक गुम्बद-सा खड़ा हो जाता है। कभी-कभी कोई विरल व्यक्ति भूत, वर्तमान और भविष्य की लहरों का हिलमिल जाना देखता है और प्रकृति के इस रहस्य को पढ़ भी लेता है। मनुष्य का जीवन आकाश में टिमटिमाते सितारों से कहीं अधिक नदियों और समुद्र पर उठती-गिरती लहरों से संचालित है। संभवत: इसीलिए एक उत्सव में जलते हुए दियों को नदी में प्रवाहित किया जाता है। विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 'करीब' में इस उत्सव का एक भव्य दृश्य था। बाजार की ताकतों ने कुछ नए उत्सव रचे हैं जैसे वेलेंटाइन डे परंतु कुछ उत्सव भुला भी दिए गए हैं। मसलन 'पोला' नामक उत्सव के दिन मवेशियों को नहलाया जाता था और उनके सींगों पर चटख रंग लगाया जाता था। अगर जानवरों के सींगों पर फ्लारेसेंट रंग लगा दिया जाए तो अनेक दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। कदाचित हमारी व्यवस्था दुर्घटनाओं द्वारा जनसंख्या नियंत्रण करना चाहती है।

मृणाल सेन की फिल्म 'अकालेर साधने' में यह बताया गया था कि बंगाल में आया एक अकाल मनुष्य द्वारा रचा गया था। इस बात को इस तरह दिखाया गया है कि उस तथाकथित प्रकृति प्रदत्त अकाल के समय धरती पर हरियाली दिखाई देती है। अमर्त्य सेन को भी नोबेल प्राइज अकाल पर शोध के लिए दिया गया है। बहरहाल, दुर्गा उत्सव कोलकाता में सबसे अधिक उत्साह से मनाया जाता है जैसे गणेशोत्सव महाराष्ट्र में मनाया जाता है। परंतु मूलत: सारे उत्सव अखिल भारतीय ही हैं। अंतर केवल उत्साह की तीव्रता का है। गुजरात में गरबा नृत्य खूब उत्साह से मनाया जाता है। मुंबई में बसे गुजराती भी इसे उत्साह से मनाते हैं। अन्य देशों में बसे भारतीय भी सारे उत्सव मनाते हैं। विगत वर्ष सलमान खान ने गरबा केंद्रित 'लव-रात्रि' नामक फिल्म बनाई थी। बंगाल में दुर्गा उत्सव के समय नई किताबों का प्रकाशन होता है, क्योंकि उनकी दिवाली खरीदी में पुस्तकें अनिवार्य होती हैं और भव्य फिल्मों का प्रदर्शन भी होता है। इस बार कोलकाता में दुर्गा की सोने की मूर्ति बनाई गई है, जो तीन करोड़ में बनी है। जयंतीलाल गढ़ा के पास कहानी जैसी ही एक और पटकथा है परंतु वर्तमान में वे अन्य कामों में व्यस्त हैं। संभवत: अगले वर्ष दुर्गा उत्सव पर 'कहानी-3' संभव हो पाए।