यिंग ली / शायक आलोक
यिंग ली जब एक गुरु की तलाश में था तो उसे एक छोटी बरसाती नदी के किनारे बैठी एक स्त्री मिली जिसके बाल लम्बे, रेशमी और घने थे। अपने बालों में लगे एक कांटे से वह मछली पकड़ रही थी। अपनी उत्सुकता नहीं छुपा सके यिंगली ने उस स्त्री से उसके इस हुनर की तारीफ़ की और एक सहज सा सवाल पूछा कि रस्सी और कांटे का इस्तेमाल क्यों नहीं जो इस तरह इन रेशमी बालों का इस्तेमाल। स्निग्ध हंसी हंसती उस स्त्री ने कहा कि अगर यिंग ली गौर से देखे तोपायेगा कि उसके कांटे में कोई चारा नहीं है। मछलियाँ उसके रेशमी बालों को नरम शैवाल समझ खाने आती हैं और फंस जाती हैं। स्त्री से प्रभावित यिंग ली ने बताया कि वह एक गुरु की तलाश में है और स्त्री के इस हुनर से प्रभावित हो उसेअपने गुरु के रूप में स्वीकार करना चाहता है। स्त्री ने तीन शर्तें रखीं। पहली शर्त कि यिंग ली को उससे विवाह करना होगा। दूसरी शर्त कि मछली पकड़ने में बालों का प्रयोग क्यों वाले सवाल की तरह यिंग ली सवाल नही पूछेगा और जवाबखुद ढूंढेगा और तीसरी शर्त कि जिस दिन यिंग ली ने सवाल पूछ दिया उस दिन इस विवाह की वैधता समाप्त हो जाएगी और यिंग ली को घर छोड़ कर जाना होगा। यिंग ली ने शर्तें मंजूर कर ली। उस स्त्री ने यिंग ली को बहुत प्रेम किया औरएक अच्छी पत्नी भी साबित हुई। यिंग ली ने बतौर शिष्य भी अपनी गुरु से बहुत कुछ सीखा। बरस बीत गए। एक बार उस गाँव में जब बहुत दिनों बारिश न हुआ तो घोर अकाल पड़ा। अनाज ख़त्म हो गए। बरसाती नदी में पानी बहुत कमहो गया। नदी की मछलियों का इतना शिकार हुआ कि नदी से मछलियाँ ख़त्म हो गयीं। जैसे तैसे गुजारे के बीच एक दिन यिंग ली ने देखा कि पहले रोज की तरह स्त्री नदी में अपने बाल लटकाए बैठी है। मछलियाँ तो थी नहीं फिर मछलियोंके शिकार का यह उपक्रम क्यों। यिंग ली ने अभिप्राय समझने की पूरी कोशिश की पर वह समझ न सका। जब वह थक हार गया तो वह पूछ ही बैठा। यिंग ली के सवाल पूछते ही शर्त के अनुसार विवाह की वैधता समाप्त हो गयी और यिंगली को स्त्री का घर छोड़ कर जाना पड़ा। जाते जाते यिंग ली ने मांग की कि उसे कम से कम सवाल का जवाब तो दिया जाय। स्निग्ध हंसी हंसती उस स्त्री ने कहा कि अगर यिंग ली ने गौर से देखा होता तो पाता कि उसके बालों में कोई काँटानहीं था। वह तो नदी के पूरे सूख जाने के पहले उसमे बाल डुबोने का सुख भोग रही थी। यिंग ली बरसों बाद भी खुद का सत्य नहीं तलाश पाया था।