ये दास्तां कहां शुरू, कहां खत्म / जयप्रकाश चौकसे

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ये दास्तां कहां शुरू, कहां खत्म
प्रकाशन तिथि : 27 नवम्बर 2021


फिल्म निर्माता जयंती लाल गड़ा और फिल्म डायरेक्टर, प्रोड्यूसर शूजीत सरकार की विद्या बालन अभिनीत फिल्म ‘कहानी’ का पात्र बॉब बिस्वास एक कॉन्ट्रैक्ट किलर है। वह एक जीवन बीमा कंपनी में काम करता है परंतु जीवन में एक भी बीमा ना करता है ना ही करवाता है क्योंकि उसका असली काम एक आतंकवादी के लिए उन व्यक्तियों का कत्ल करना है, जिनके फोटोग्राफ और पते उसे भेजे जाते हैं। ‘कहानी’ में बॉब बिस्वास एक दुर्घटना में घायल हो जाता है और अन्य पात्र उसे मरा हुआ समझ लेते हैं।

बहरहाल, अब ‘बॉब बिस्वास’ नामक फिल्म बनाई जा रही है, जिसमें अभिनय करने के लिए अभिषेक बच्चन ने 20 किलो वजन बढ़ाया है। शूटिंग पूरी हो गई है और अभिषेक अपना वजन घटाकर सामान्य 80 किलो पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। फिल्म की कथा में, बॉब बिस्वास नामक पात्र जिसे मरा हुआ समझा जाता है, वह अस्पताल में लंबे समय तक उपचार के लिए रहता है। उसके शरीर के घाव तो भर जाते हैं परंतु उसकी याददाश्त चली जाती है। अंग्रेजी भाषा में लिखे गए उपन्यास ‘बोर्न आइडेंटिटी’ में मछुआरों को समुद्र तट पर एक बेहोश आदमी मिलता है। उस कस्बे का एकमात्र शल्य चिकित्सक इस छोटे से कस्बे में बेनाम जीवन जी रहा है।दरअसल उससे कभी एक गलती हो जाने के कारण उसे डॉक्टर संस्था से निष्कासित कर दिया गया था, इसलिए वह अब इस कस्बे में था। मछुआरे उस बेहोश व्यक्ति को इस सर्जन के पास लाते हैं। ‌वह शल्य चिकित्सा करते समय मरीज की बांह की मांसपेशियों में तांबे का टुकड़ा पाता है, जिस पर मात्र एक अंक लिखा होता है। सेहतमंद होने के बाद व्यक्ति अपनी याददाश्त खो देता है। तांबे पर अंकित नंबर के सहारे उसे अपनी पहचान पाना है। बॉब बिस्वास अपनी खोई हुई याददाश्त पाने के लिए शहर की सड़कों पर घूमता रहता है कि कोई परिचित उसे पहचान ले जिसकी सहायता से वह अपना विगत जान सके। वह जिस आतंकवादी दल के लिए काम करता है, उस दल को ‘कहानी’ में नायिका समाप्त कर चुकी है। क्या यह संभव है कि वह विद्या बालन अभिनीत पात्र से कहीं टकरा जाए? ‘कहानी’ फिल्म में एक पुलिस वाले ने नायिका की सहायता की थी और वह मन ही मन विद्या से प्रेम करने लगा था। यह संभव है कि उस पुलिस वाले और बॉब बिस्वास की मुलाकात कहीं हो जाए। दक्षिण भारत के एक फिल्मकार ने आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘गजनी’ में प्रस्तुत किया था कि नायक को कभी-कभी विगत याद आता है लेकिन याददाश्त की वापसी मात्र 7 सेकंड के लिए ही होती है। ज्ञातव्य है कि मछली की याददाश्त भी मात्र कुछ क्षणों के लिए आती है और इसीलिए वह उसे पकड़े जाने वाले स्थान पर बार-बार लौट आती है और पकड़ी जाती है। विज्ञान मानता है कि मछली खाने से मनुष्य की बुद्धि विकसित होती है। मछली के तेल को कैप्सूल के रूप में बाजार में बेचा भी जाता है। एक दौर में टीनू आनंद अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म ‘शिनाख्त’ बनाना चाहते जो ‘बोर्न आइडेंटिटी’ उपन्यास से प्रेरित थी लेकिन किन्हीं कारणों से यह फिल्म बन नहीं पाई थी।

गौरतलब है कि लेखक एलिया कजान के उपन्यास ‘अरेंजमेंट’ में नायक को कार दुर्घटना के बाद अस्पताल लाया जाता है। अपनी नीम बेहोशी में वह डॉक्टरों का वार्तालाप सुनता है वे बात करते हैं कि ‘इस तरह के मरीज की याददाश्त खो जाने की आशंका बनी रहती है।’ नायक इसका लाभ उठाकर अभिनय करना प्रारंभ करता है। परिणाम यह होता है कि उसे ज्ञात होता है कि उसकी पत्नी उसके व्यापार में पार्टनर रहे व्यक्ति से प्रेम करती रही है और उसकी अपनी सचिव एवं प्रेमिका भी उसके ड्राइवर से प्रेम करती है। गोया की सारा जीवन ही एक सहूलियत वाला अरेंजमेंट है। समस्त व्यवस्थाएं सुविधाजनक रचनाएं हैं। हम सब इसमें खुश हैं। जाने क्यों कबीरा दुखी है?