ये लम्बा सिलसिला आज टूट गया / दीपक शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश चौकसे, निसंदेह हिंदी जगत के सबसे श्रेष्ठ फ़िल्म समीक्षक हैं....शायद इसीलिए फिल्म इंडिस्ट्री की बहुत सी अंदर की कहानियां हमने उनसे जानी। दिलीप कुमार क्यों दिलीप कुमार हैं और लता क्यों लता, चौकसे जी से बेहतर कौन बता पाया है ?
वे 26 बरसों से लगातार दैनिक भास्कर में लिख रहे हैं। और बरसों बरस से उनके कलम से हम सब मायानगरी के बारे में कुछ न कुछ नई जानकारी रोज पाते चले गए। पर ये लम्बा सिलसिला आज टूट गया।
आज उनका आखिरी बार लिखा हुआ कॉलम पढ़कर आँखें नम हों गयी। हमे सच में नहीं पता था कि वो काफी समय से कैंसर से जूझ रहे थे, लेकिन फिर भी रोज़ लिखते थे। कुछ दिन पहले उनकी स्मृति और स्वास्थ्य पर इस कदर असर पड़ा कि उन्हें अपना कॉलम विवशता वश बंद करना पड़ रहा है। आज उनका आखिरी लेख छपा और धन्य है दैनिक भास्कर जिसने उनके इस अंतिम लेख को पहले पेज पर जगह दी।
कभी कभी दुनिया कितनी निर्मम हो जाती है ? लेकिन इस निर्मम समय में भी ऊर्जा के अंतिम क्षणों तक चौकसे साहब की कलम चलती रही। ईश्वर से प्रार्थना, उन्हें किसी भी तरह बेहतर करे।