रंग खुशियों के / अनु चौहान / राजी खुशी
मुखपृष्ठ » | पत्रिकाओं की सूची » | पत्रिका: राजी खुशी » | अंक: दिसम्बर 2011 |
खुशी एक चिडिय़ा है, जो हमारे दिलों में चहकती है। खुशी एक तितली है, जो हमारी हथेलियों पर दमकती है। खुशी एक अनुभूति है जो मन की क्यारी में महकती है। खुशियों के रंग मन में पक्के बस जाते हैं।
सुषमा सेठ [अभिनेत्री] - कहीं ढूंढऩे से नहीं, अपने आसपास ही मिलती हैं खुशियां। जिंदगी में बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो आपकी जिंदगी को खुशियों से भर देते हैं। मेरी जिंदगी में खुशियां भरने वाले मेरे पति, बच्चे, दोस्त, यहां तक कि ग्रांड चिल्ड्रेन तक हैं। वे कहती है जब-जब त्योहार आते हैं तो इनका आना ही खुशियां भर देता है। गाना-बजाना होता है। परिवार के लोग इकट्ठा होते हैं। राग-रंग का माहौल रहता है। त्योहारो ंपर क्या बनेगा, कैसे घर सजेंगे इसकी कई दिन पहले से तैयारी शुरू हो जाती थी। यही खुशियां हैं, जो जीवन में रंग भर देती हैं।
नीता अंबानी ( कॉरपोरेटर) - मेरे जीवन में खुशियां भरने वाले हैं मेरे बच्चे। उन्हें देखकर, उनके साथ बैठकर, उनके साथ समय बिताकर मेरी खुशियां दोगुनी हो जाती हैं। बहुत खूबसूरत होते हैं वे क्षण, जब हम सब बैठकर बातें करते हैं और मस्ती करते हैं। वैसे मुझे लोगों को खुश देखना बहुत अच्छा लगता है। अभी कुछ दिन पहले हमारे घर में एक पपी आया है। वह बहुत सुंदर है। उसके साथ हम हर पल खुश हो रहे हैं। मैं खुशियां हर जगह तलाश कर लेती हूं. जब हम सारे दोस्त मिल जाते हैं, अलग-अलग खाना बनाते हैं फिर एक जगह मिलकर खूब डांस और मस्ती करते हैं। बस यही खुशी के क्षण होते हैं।
रितु बैरी[फैशन डिजाइनर] - मेरे जीवन में मेरा परिवार ही मुझे सबसे ज्यादा खुशियां देता है। इससे बढ़कर मेरे लिए कुछ भी नहीं। दूसरे नंबर पर मेरा काम है, जो मेरे लिए अहम् है। काम करके ही मुझे जीवनभर की खुशियां मिलती हैं। काम में मेरा साथ देने वाले भी मुझे खुशी देने में पीछे नहीं रहते। यही दुनिया है मेरी जो खुशियों से भरी है।
फराह खान ( फिल्म निर्देशक ) - मेरे हर क्षण में खुशियां ही खुशियां हैं। कारण, मैं एक खुशमिजाज इंसान हूं और हर पल को खुशी से जीती हूं। मेरे बहुत सारे दोस्त हैं जिनके साथ बैठना मेरे जीवन में खुशियां भर देता है। हमारे लिए सबसे ज्यादा खुशी का मौका तब होता है, जब कोई हमारे खाने की भरपूर तारीफ करता है और गुलदस्ता भेजकर हमें बधाई देता है। मेरे घर में जब भतीजे और भतीजी का जन्म हुआ तो वह क्षण मेरे लिए विशेष खुशी का था।
मिताली राज [क्रिकेटर] - मैं तो एक स्पोर्ट्सपर्सन हूं और उसी समय मुझे खुशी मिलती है, जब इंडिया के लिए हम मैच जीतते हैं। जब आप मेहनत करते हैं और सफल हो जाते है, तो इससे बड़ी खुशी कोई नहीं। जब हमारी टीम अच्छा प्रदर्शन करती है और कोई साथी खिलाड़ी की कोशिश जीत का कारण बनती है तो हम खुशी को बांटते हैं, सेलीब्रेट करते हैं। हमारी जिदंगी काफी तनावभरी है। जब दोस्तों के साथ वक्त गुजारती हूं तो बेहद खुशी मिलती है और तनाव कम होता है। एक महिला तभी खिलाड़ी बनती है, जब उसे उसके माता पिता का सहयोग मिले। माता-पिता की वजह से ही मैं भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान बन सकी।
अनु चौहान (नवभारत टाइम्स)