रंग परिवर्तन / सुभाष नीरव
आखिर मंत्री बनने का मनोहर लाल जी का पुराना सपना साकार हो ही गया। शपथ-समारोह के बाद वह मंत्रालय के सुसज्जित कार्यालय में पहुँचे। वहाँ उनके प्रशंसकों का ताँता लगा हुआ था। सभी उन्हें बधाई दे रहे थे।
देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं के पत्रकार और संवाददाता भी वहाँ उपस्थित थे।
एक संवाददाता ने उनसे पूछा-- मंत्री बनने के बाद आप अपने मंत्रालय में क्या सुधार लाना चाहेंगे?
उन्होंने तत्काल उत्तर दिया-- सबसे पहले मैं फिजूलखर्ची को बन्द करूंगा।
-- देश और देश की जनता के बारे में आपको क्या कहना है?
इस प्रश्न पर वह नेताई मुद्रा में आ गये और धारा-प्रवाह बोलने लगे-- देश में विकास की गति अभी बहुत धीमी है। देश को यदि उन्नति और प्रगति के पथ पर ले जाना है तो हमें विज्ञान और तकनालोजी का सहारा लेना होगा। देश की जनता को धार्मिक अंधविश्वासों से ऊपर उठाना होगा। तभी हम इक्कीसवीं सदी में अपने पहुँचने को सार्थक कर सकेंगे।
तभी, मंत्री ज़ी को उनके निजी सहायक ने फ़ोन पर बजर देकर सूचित किया कि छत्तरगढ़ वाले आत्मानंद जी महाराज उनसे मिलना चाहते हैं। मंत्री जी ने कमरे में उपस्थित सभी लोगों से क्षमा-याचना की। सब के सब कमरे से बाहर चले गये।
महाराज के कमरे में प्रवेश करते ही, मंत्री जी आगे बढ़कर उनके चरणस्पर्श करते हुए बोले-- महाराज, मैं तो स्वयं आपसे मिलने को आतुर था। यह सब आपकी कृपा का ही फल है कि आज...
आशीष की मुद्रा में महाराज ने अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाया और चुपचाप कुर्सी पर बैठ गये। उनकी शान्त, गहरी ऑँखों ने पूरे कमरे का निरीक्षण किया और फिर यकायक वे चीख-से उठे-- बचो, मनोहर लाल, बचो !.... इस हरे रंग से बचो। यह हरा रंग तुम्हारी राशि के लिए अशुभ और अहितकारी है।
मंत्री महोदय का ध्यान कमरे में बिछे हरे रंग के कीमती कालीन, सोफों और खिड़कियों पर लहराते हरे रंग के पर्दों की ओर गया। पूरे कमरे में हरीतिमा फैली थी। अभी कुछ माह पहले ही पूर्व मंत्री क़ी इच्छा पर इसे सुसज्जित किया गया था।
--जानते हो, तुम्हारे लिए नीला रंग ही शुभ और हितकारी है। -महाराज ने चेताया।
मंत्री महोदय ने तुरन्त निजी सचिव को तलब किया। उससे कुछ बातचीत की और फिर महाराज को साथ लेकर अपनी कोठी की ओर निकल गये।
अब मंत्रालय के छोटे-बड़े अधिकारी रंग-परिवर्तन के लिए युद्धस्थल पर जुटे थे।