रणबीर कपूर एक्शन फिल्म करना चाहते है / जयप्रकाश चौकसे

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रणबीर कपूर एक्शन फिल्म करना चाहते है
प्रकाशन तिथि : 04 मार्च 2011


रणबीर कपूर ने अब तक आधा दर्जन फिल्में की हैं और भूमिकाओं में कुछ विविधता रही है। इम्तियाज अली की फिल्म 'रॉक स्टार' की शूटिंग पूरी करके वह अनुराग बसु की 'बर्फी' शुरू करने जा रहे हैं। उनके मित्रों का कहना है कि वह अब एक संपूर्ण एक्शन फिल्म करना चाहते हैं। दक्षिण भारत की फिल्मों के हिंदी संस्करण आमिर खान (गजनी) और सलमान (वॉन्टेड) कर चुके हैं। अत: उनकी इच्छा भी दक्षिण की किसी एक्शन फिल्म के हिंदी संस्करण में काम करने की है। उनका व्यक्तित्व प्रेम कहानियों में उभरता है और अब तक उनका श्रेष्ठ 'वेक अप सिड' में सामने आया है।

'गजनी' या 'वॉन्टेड' जैसी फिल्म के साथ न्याय कर पाना उनके लिए कठिन हो सकता है। उन्होंने प्रकाश झा की 'राजनीति' स्वीकार कर साहस दिखाया था और 'बर्फी' में भी लीक से हटकर भूमिका कर रहे हैं। उनके दादा राज कपूर और पिता ऋषि कपूर ने भी कभी एक्शन फिल्म नहीं की, परंतु परदादा पृथ्वीराज कपूर ने देवकी बोस की 'सीता' में राम, सोहराब मोदी की फिल्म में सिकंदर और के. आसिफ की फिल्म में अकबर की भूमिका की थी। उन्होंने 'रुस्तम सोहराब' भी की थी और 'आसमान महल' में भी दीवालियापन की कगार पर खड़े नवाब की भूमिका की थी। वे पहले सितारे थे जो दंड-बैठक भी लगाते थे। उन दिनों जिम नहीं होते थे। यह संभव है कि रणबीर एक संपूर्ण नायक की छवि बनाना चाहते हों। उन्हें एक्शन नायक की लोकप्रियता का अंदाज है और वे जानते हैं कि प्रेम कहानियों से अधिक एक्शन फिल्में बनती हैं।

रणबीर कपूर की जीवनशैली युवा शम्मी कपूर-सी है और आए दिन उनके प्रेम प्रकरण सुर्खियों में रहते हैं। वह शायद अपनी नायिकाओं को भी प्रभावित करने के लिए एक्शन फिल्म करना चाहते हैं। आज एक्शन के नाम पर मांसपेशियों का प्रदर्शन हो रहा है और युवा दर्शकों को भी यही पसंद है। रणबीर की कद-काठी में अलग किस्म का एक्शन रचा जा सकता है। एक्शन फिल्म बिना अतिरेक के भी बनाई जा सकती है।

यह अभिनय का कमाल भी हो सकता है। जब अमिताभ बच्चन 'जंजीर' और 'दीवार' में अनेक गुंडों से निपटते हैं, तब एक्शन का प्रभाव उन्होंने अपने अभिनय से प्रस्तुत किया था। उस जमाने में आज की तरह तकनीक इत्यादि का प्रयोग करके नायक को हवा में कलाबाजी करते नहीं दिखाते थे और न ही कम्प्यूटरजनित छवियों का सहारा था। अमिताभ बच्चन की हिंसा उनकी आंखों में नजर आती थी और जब वे 'दीवार' में कहते हैं कि अगले हफ्ते एक और मजदूर पैसा नहीं देगा, तो दर्शक को यकीन हो जाता है कि यह पात्र कुछ कर गुजरेगा। सिनेमा यकीन दिलाने की कला है।

रणबीर कपूर को 'गजनी' या 'वॉन्टेड' की तरह की फिल्म के बजाय अमिताभ बच्चन की पुरानी फिल्मों जैसी एक्शन फिल्म की तलाश करनी चाहिए। फिल्म उद्योग में प्राय: व्यक्ति वह काम छोडऩा चाहता है, जो उसे करना आता है और जाने किसे क्या साबित करने के लिए कुछ नए के चक्कर में अविश्वसनीय-सा लगता है। रणबीर की कद-काठी और उम्र प्रेम कहानियों के लिए उचित है, परंतु उसके सिर पर एक्शन फिल्म का भूत सवार है और आज वह इतना सफल सितारा है कि पैसा कमाने की खातिर कोई भी निर्माता सहज ही तत्पर होगा। प्रकाश झा की राजनीति में सारी हिंसा पात्र के दिमाग में है, वह खुद जाकर हत्याएं नहीं करता।

बहरहाल रणबीर के लिए कई निर्माता रजनीकांत की पुरानी फिल्मों का अध्ययन कर रहे हैं। दरअसल गुंडागर्दी की सफलता सामने वालों के दिल में छुपे हुए भय को जगाने में निहित है। सलीम खान की लिखी हुई फिल्म 'नाम' में दुबला-पतला नायक गुंडों से घिरा हुआ है। वह कहता है कि वह आज जरूर मारा जाएगा, परंतु किसी एक को अवश्य मारेगा। उसके कहने के ढंग से गुंडों के मन में भय जाग जाता है। दरअसल सारी हिंसा का ट्रिगर मनुष्य के दिमाग में ही होता है।