रणबीर कपूर का नया आशियाना / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 10 सितम्बर 2014
कुछ ही दिनों में रणबीर कपूर कार्टर रोड पर एक भव्य आशियाने में शिफ्ट होने जा रहे हैं, क्योंकि उसके माता-पिता के पाली हिल स्थित बंगले का कायाकल्प किया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि ऋषि कपूर ने यह 1980 में खरीदा था आैर उसे तोड़कर पूरा नया बनाया था। इसी बंगले से थोड़ी दूर पर नीतू सिंह का बंगला था। विवाह के बाद वह इसी बंगले में शिफ्ट हुआ आैर नाम रखा 'कृष्णा राज'। रणबीर कपूर आैर उसकी बहन रिद्धिमा का जन्म आैर लड़कपन यहीं बीता, इसी बंगले से रिद्धिमा की शादी आैर विदाई हुई। कार्टर रोड का फ्लैट दो वर्ष के लिए किराए पर लिया गया है, तब तक 'कृष्णा राज' का कायाकल्प हो जाएगा तथा इस फ्लैट आैर कृष्णा राज की दूरी पांच मिनिट में पूरी की जा सकती है।
राजकपूर भी विवाह के बाद अपने पिता पृथ्वीराज के माटुंगा स्थित मकान से चेंबूर रहने चले गए थे। इसी तरह शम्मी आैर शशिकपूर भी विवाह के बाद अपने मकानों में चले गए थे। अलग मकानों में रहते हुए उनके आपसी प्रेम में कभी कमी नहीं आई आैर हर महीने परिवार के सारे सदस्य एक पूरा दिन साथ बिताते रहे हैं। यह परम्परा आज भी जारी है। अन्य सितारा परिवारों में भी अलग मकानों में रहते हुए परस्पर प्रेम का रिश्ता कायम रखा जाता है। आमिर ने उसके खिलाफ बातें करने वाले अपने भाई को हर तरह से संभाला है। आमिर के पिता ताहिर हुसैन ने जब दूसरा निकाह किया था तब आमिर की मां अपने मायके चली गई थी। आमिर उन्हें वापस लेकर आए आैर वे उनके साथ ही रहती हैं। यह पारिवारिक भावना सामान्य नागरिकों के परिवार में भी है आैर इसके साथ परिवार की दरारें भी सहज मानवीय स्वरूप में मौजूद है।
गौरतलब है कि एक सितारे का जीवन सामान्य कामकाजी व्यक्ति से अलग हाेता है। सितारों के पास सचिव, बिजनेस मैनेजर, चार्टड अकाउंटेंट आैर अन्य लोगों का आना-जाना होता रहता है। आज हर सफल सितारा एकल व्यक्ति उद्योग की तरह है। बहुत कम उद्योग सौ करोड़ रुपए का मुनाफा अर्जित कर पाते हैं आैर इस मुनाफे के लिए अनेक लोग आैर मशीनें उनके लिए काम करती है परंतु सितारा अकेले ही यह आय साल-दर-साल अर्जित करता है। उसके पास निर्माता आते हैं, वह पटकथाएं सुनता है। उसका अपना मित्र मंडल भी होता है आैर इन सब गतिविधियों के लिए उसे स्वतंत्र आवास की जरूरत होती है। उसे अपनी भूमिकाओं के लिए तैयारी करनी होती है। रोज फिटनेस ट्रेनर घर आता है आैर रियाज करवाता है। अनेक सितारे ट्रेनर के अतिरिक्त योग के शिक्षक से भी पाठ पढ़ते हैं। सारांश यह कि सितारे को स्वतंत्र स्पेस की आवश्यकता होती है।
सामान्य जीवन में परिवार के लोग भी अपना निजी कमरा चाहते हैं। दरअसल मध्यम वर्ग के पारिवारिक जीवन में हर सदस्य दूसरे की निजता का सम्मान करते हुए उसे स्पेस देता है। सारे मनुष्य कभी एक सा नहीं सोच सकते आैर व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान आवश्यक है। प्रसिद्ध लेखिका एमिली ब्रोंटे ने कहा था कि महिला लेखकों की संख्या पुरुषों से बहुत कम है जिसके अनेक कारणों में एक यह भी है कि महिला का अपना निजी कमरा नहीं होता। विवाह पूर्व बहन भाइयों के साथ कमरा बांटना होता है, विवाह के बाद पति के साथ। निजी कमरे के अभाव में लेखन कैसे संभव है। दरअसल स्वतंत्र विचार प्रक्रिया आैर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अत्यंत महत्वपूर्ण है आैर मनुष्य को रेजीमेंटेशन से बचे रहना आवश्यक है। अनेक स्वार्थ लोलुप सत्ताएं चाहती हैं कि सब एक सा सोचें आैर इसी रेजीमेंटेशन ने अनेक षड्यंत्र रचे हैं।
बहरहाल सितारे की रात सामान्य व्यक्ति से अलग होती है। उसे दिन में निभाई भूमिका के केंचुल से मुक्त होना होता है आैर अगले दिन अलग केंचुल के लिए तैयार होना होता है। दूसरों की भावनाआें को परदे पर प्रस्तुत करते हुए उसे इस जोखिम से बचना होता है कि वे ही भावनाएं उसकी व्यक्तिगत इच्छाआें पर हावी नहीं हो जाए। सितारे के रतजगे अलग किस्म के हाेते हैं। दर्शकों में सपने जगाने वाले को अपने सपनों के लिए भी वक्त लगता है। अशोक कुमार का अपना बाथरूम बहुत बड़ा था, क्योंकि वे वहां पेंटिंग भी करते थे तथा उन्हें निर्वस्त्र होकर पेंटिंग की आदत थी। देव आनंद का भी बाथरूम बड़ा था आैर उससे जुड़े ड्रेस रूम में तैयार होकर ही वे बाहर आते थे। उनके किसी निजी नौकर ने भी उन्हें पायजामा या लुंगी बनियान में कभी नहीं देखा था। शाहरुख खान तो बाथरूम में इतने तल्लीन होते हैं कि गौरी को उन्हें मोबाइल पर तन्द्रा से मुक्त कराना होता है। इसी तरह भीड़ के बीच अकेला होना आैर न्हा होते हुए भी खुद से मुलाकात होना दो अलग बातें हैं। सामाजिक मुलाकात में व्यक्ति तन्हा रह सकता है, खुद से मिलकर भी नहीं मिल पाना अलग किस्म की मजबूरी है। खबर है कि नीतू कपूर की देखरेख में कटरीना कैफ ने रणबीर के आशियाने की सजावट की है।