रणवीर सिंह, अनाम घोड़ा और हयवदन / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :06 अप्रैल 2015
भंसाली की "बाजीराव मस्तानी' के घुड़सवारी के दृश्य में रणवीर सिंह घोड़े से नीचे गिर गए और उनके कंधे पर चोट आई। कुछ दिन तक देश-विदेश में डॉक्टरों से परामर्श के बाद 3 अप्रैल को उनकी शल्य चिकित्सा मुंबई में हुई और अब मई में ही वे शूटिंग कर पाएंगे। भंसाली 25 दिसंबर को अपनी फिल्म प्रदर्शित करना चाहते हैं, जिस दिन रोहित शेट्टी और शाहरुख खान की 'दिलवाले' भी लगने वाली है। पहले भी भंसाली-शाहरुख की फिल्में दीवाली पर टकरा चुकीं थीं, वे फिल्में थी 'ओम शांति ओम' व 'सांवरिया'। उन दिनों दोनों के बीच कड़वाहट हो गई थी और अगली 25 दिसंबर दो मुक्केबाजों का राउंड टू की तरह कुछ होने वाला था परंतु रणवीर की चोट शायद इस फिल्मी मुठभेड़ को टाल दें परंतु रंजिश इस तरह कहां मिटती है। वह मात्र स्थगित होती है।
बहरहाल, आजादी के आस-पास ही कभी अभिनेता श्याम घोड़े से गिरने के कारण मर गए थे। अमिताभ बच्चन भी 'कुली' के सेट पर घायल हो गए थे और बाद में मुत्यु के मुंह से लौट आए। उन दिनों इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं तथा पहली बार कोई प्रधानमंत्री एक अभिनेता का कुशल क्षेम पूछने गया अस्पताल गया। अब वे सौहार्द के दिन नहीं रहे। आज अमिताभ बच्चन इंदिरा की पुत्रवधु सोनिया के विरुद्ध खेमे में खड़े होने का भाव प्रकट कर रहे हैं और यह आकलन गलत भी हो सकता है परंतु गांधी और बच्चन परिवारों के बीच अब सब कुछ सामान्य नहीं है- यह तो सत्य है। बड़े लोगों की मित्रता व अनबन के कारण भी रहस्य ही रहते हैं और इससे अवाम को क्या फर्क पड़ता है।
फिल्मों का बीमा होता है। सेट जल जाने पर मुआवजा भी मिलता है। अमेरिका में शूटिंग के दरमियान कलाकार के बीमार पड़ने पर या दुर्घटना होने पुर भी मुआवजा मिलता है और कलाकार को भी यह अनुबंध करना पड़ता है कि शूटिंग के दरमियान वह अपने खाने पर नियंत्रण रखेगा तथा अपने वजन में परिवर्तन नहीं होने देगा। यह सब भारतीय सितारे नहीं करते। बहरहाल, रणवीर सिंह की दुर्घटना पर अगर मुआवजा मिलेगा तो वह रणवीर सिंह को मिलेगा या भंसाली को। यह एक त्रासदी है कि दशकों पूर्व गीता बाली की स्माल पॉक्स से मृत्यु हुई, क्योंकि बचपन में उन्हें टीका नहीं लगा था। उस समय गीता बाली की स्वयं निर्मित व राजिंदर सिंह बेदी की लिखी 'एक चादर मैली सी' लगभग तैयार थी। मात्र क्लाईमैक्स शूट करना बाकी था। गीता बाली के असमय निधन से फिल्म पूरी न हो सकी और अवसाद में होश गुम होने के कारण शम्मी कपूर ने उस महान फिल्म को ही नष्ट कर दिया। ज्ञातव्य है कि उस फिल्म को सी.एल.धीर निर्देशित कर रहे थे, जिनके पुत्र पंकज धीर टेलीविजन पर सक्रिय हैं और आज-कल गुरु भल्ला के सीरियल 'दिल की बातों' में कार्य कर रहे हैं।
रणवीर की नानी फिल्मों में थीं और राज कपूर की 'बूट पॉलिश' में उन्होंेने महत्वपूर्ण भूमिका की थी। रणवीर आदित्य चोपड़ा की 'बैंड बाजा बारात' में पहली बार परदे पर आए थे। भंसाली की 'गोलियों की रासलीला...' की भूमिका उनके अंतस में ऐसी प्रवेश कर गई है कि वे उससे बाहर ही नहीं आ पा रहे हैं। सच तो यह है कि वे उससे बाहर ही नहीं आना चाहते, उसी में ताउम्र रमे रहना चाहते हैं। पौरुष की उद्दंडता और मिथ्या अहंकार उन्हें पसंद आ गया है और अपने आपको वे संसार का 'लेडी किलर' समझते हैं। मरदानगी की मिथ्या ध्वजा हाथ में लिए घूमने वाले 'पुरुष' जानते ही नहीं कि 'औरत सिर्फ जमीन नहीं कुछ और भी है' (सारा शगुुप्ता से क्षमा याचना सहित)। बहरहाल, जिस घोड़े की वे सवारी कर रहे थे, उस बेचारे घोड़े को शायद सवार की मरदानगी की जानकारी हो गई थी और उसने अपने 'हॉर्स पावर' का उन्हें परिचय दे दिया कि यह 'पावर' पुरुषों का नहीं घोड़ों का क्षेत्र है। अब कोई आश्चर्य नहीं होता कि गिरीश कर्नाड के नाटक 'हयवदन' की पृष्ठभूमि उस स्वयंवर की है, जिसमें राजकुमारी वरमाला सवार नहीं, घोड़े के गले में डालती है। कितने रहस्य कितने समय बाद यों अचानक उजागर हो जाते हैं।